१.
क्या पूछते हमें
कैसे रहे ? कैसे जीए ?
हम तो बस
उन्हीं के हो गए
उन्होंने अपनाया
हम न हमारे रहे
उनके इशारे चलते रहे
बस, हम जीते रहे
क्या पसंद , नापसंद क्या
बेमतलब सवाल रहे
वे कहते रहे
हम सुनते रहे
अपने लिए , अपनी मर्जी से कैसे जीते !
आखिर औरत हूँ
कन्यादान में जो मिली हूँ
स्वतंत्र देश की गुलाम नागरिक हूँ
2.
तेरा उडता आंचल
तेरा बहता काजल
गहरा अह्सास
कौन पह्चानता ?
दुःख दर्द आहें
आंसू भरी निगाहें
अर्थ उनका
कौन समझता ?
पल भर की देहभूख
पल भर का देह सुख
अस्तित्व तुम्हारा
यहीं सिमटता
तू माता भगिनी
तू कांचन कामिनी
तेरी एक ही औरत जात
हर कोई समझता