बस हौसला मजबूत होना चाहिए : डोनल बिष्ट

2014 के मई महीना में डोनल बिष्ट का मेल मिला था मुझे. तब वे ‘न्यूज एक्सप्रेस’ में गेस्ट –को-ऑर्डिनेटर थीं. दूसरे दिन मैं न्यूज एक्सप्रेस के ऑफिस पहुंचा, चुनाव पर बातचीत के एक पैनल में आमंत्रित था. वहां पहली बार डोनल से मुलाक़ात हुई – खूबसूरत और हंसमुख- लगा ही नहीं कि हम पहली बार मिल रहे हैं. जल्द ही हम फेसबुक फ्रेंड भी बन गये. फेसबुक पर ही डोनल ने अपने मुम्बई जाने की सूचना पोस्ट की, फिर लगातार कई सूचनाएं- पहले माया नगरी में रिपोर्टिंग की , फिर चित्रहार के एंकरिंग की और फिर धारावाहिकों में अभिनय की – सबकुछ इतनी तेजी से – न्यूज चैनल में मेहमाननवाजी की भूमिका से छोटे पर्दे पर सुनहरे करिअर की ओर ! एक साल के भीतर यह सफलता अपने आप में एक सफल पटकथा है- किसी गैर फ़िल्मी बैकग्राउंड की एक साधारण लड़की के ख्वाव पूरे होने की पटकथा है यह. डोनल के ही शब्दों में 

‘ कभी किसी ने एक कहावत सुनाई थी मुझे, ‘ समंदर में गिरी कोई चीज अगर कचरा है तो समंदर उसे बाहर फेक देता है और यदि वह  मोती है तो उसे अंदर समेट लेता है.’ मुम्बई में मेरे करिअर की कहानी मुझे मोती होने के अहसास से भर देती है, मैं आत्मविश्वास से भर जाती हूँ. मुम्बई ने , मायानगरी ने, मुम्बई के समंदर ने मुझे मुम्बईकर बना लिया.

मैं वह घटना कभी नहीं भूलूंगी. मुम्बई में मेरा वह दूसरा ही दिन था. न्यूज एक्सप्रेस के लिए शाहरूख खान की एक खबर पर वाक थ्रू के लिए मैं उनके घर के पास पहुंची. मैं जैसे ही अपनी गाडी से उतरी 3-4 लोग भागते –भागते मेरे पास आये और कहा कि ‘ आप हिरोइन हो न, हमें आपके साथ तस्वीर खिचवानी है.’ मैं समझ नहीं पाई कि उन्हें क्या रेस्पोंड करूं. कैमरामैन और साथी रिपोर्टर ने उन्हें समझाया और हटाया. तभी मैं समझ गई थी कि ‘ This world belongs to me. This is my city.’ इंटरव्यू लेने जाती तो सेलिब्रेटीज भी यही बोलते कि ‘ तुम्हें कैमरा के इस तरफ होना चाहिए न कई उस तरफ.’

 
मूलतः उत्तराखंड के चमोली की रहने वाली हूँ , जन्म और परवरिश राजस्थान के अलवर में हुआ. वहां की शुरुआती पढ़ाई के बाद पिता के ट्रांसफर के साथ मैं दिल्ली आ गई. दसवीं के बाद कैम्ब्रीज स्कूल नोएडा में पढ़ी. फिर फिल्म सिटी नोएडा के एशियन स्कूल ऑफ़ मीडिया स्टडीज से पढाई की. कॉलेज के एक महीने के बाद ही पहली नौकरी इन्टर्न के रूप में आई बी एन 7 से शुरू की – गेस्ट को –ऑर्डिनेटर के तौर पर. इसके बाद स्टार न्यूज में गेस्ट को –ऑर्डिनेटर और फिर न्यूज एक्सप्रेस में. कभी –कभी रिपोर्टिंग के लिए भी भेज दी जाती थी. न्यूज एक्सप्रेस में इंटरटेनमेंट रिपोर्टर की जरूरत थी तो गेस्ट को –ऑर्डिनेशन से इस नये काम के लिए मुम्बई भेज दी गई- मुम्बई में मेरे सपनों को पंख लग गये.

पत्रकारिता में ग्रेजुएशन के दौरान हाउस जर्नल के लिए संपादक चुनी गयी थी.  Delhi International Film Festival-2013 के लिए मुझे  ‘फेस ऑफ दी ईयर’ चुना गया। पहला काम ‘चित्रहार’ के एंकरिंग का मिला. मम्मी –डैडी एंकर के रूप में देखना चाहते थे- बड़े खुश हुए. एंकर के रूप में मुझे देखने का उनका सपना पूरा हो गया, लेकिन मेरे सपने की तो यह शुरुआत थी. इसके बाद मैंने न्यूज मीडिया की नौकरी छोड़ दी. ‘चित्रहार’ के लिए दिल्ली गई थी, फिर से मुम्बई आ गई. फिर एक वाकया हुआ.

एक कॉफ़ी शॉप में किसी का इन्तजार कर रही थी कि एक शख्स आया और उसने परिचय दिया कि वह Endmol का कास्टिंग हेड है. इसके बाद  ‘ बिंदास’ के एक एपिसोड के लिए मेरी शूटिंग शुरू हो गई. दूसरी बार मुम्बई आई तो चैनल V के लिए ‘ ट्विस्ट वाला लव’ के लिए मैं चुन ली गई. मैं दिल्ली से जब –जब मुम्बई आई मुझे काम मिलता गया. तीसरी बार मुझे ‘ बालाजी’ से  ऑडिशन के लिए बुलाया गया और मैं लाइफ ओ के के’ कलश’ के लिए चुन ली गई.

एक पंजाबी एलबम ‘मेरे खुदा करी न जुदा’ भी आ चुका है . मेरी आने वाली फिल्में हैं  ‘प्यार वर्सेज खाप पंचायत’, और ‘इन द नेम ऑफ जुलाई’

मैं मुम्बई का सपना देख रही लडकियों को कहूंगा कि आप मुम्बई आने से डरे नहीं, आप जैसे हैं वैसे ही लोग मिलेंगे आपको. यहाँ काम करने वाले और टैलेंट की कद्र है, बस हौसला मजबूत होना चाहिए.’ 

डोनल से सम्पर्क : donalbisht@gmail.com

Related Articles

ISSN 2394-093X
418FansLike
783FollowersFollow
73,600SubscribersSubscribe

Latest Articles