बहू और काठ की गाड़ी जैसे चर्चित नाटकों की लेखिका और नाट्य निदेशक त्रिपुरारी शर्मा से स्त्रीकाल के लिए रेणु अरोड़ा, हिन्दी की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, राजेश चंद्रा, संपादक समकालीन रंगमंच और संजीव चंदन,संपादक स्त्रीकाल ने बातचीत की. अपनी विस्तृत बातचीत में उन्होंने भारतीय नाटक में जेंडर और जाति के विविध पहलुओं पर बात की. अभिनेत्रियों और स्त्री -निदेशकों के प्रभाव और महिला आन्दोलन में नाटकों के इस्तेमाल को स्पष्ट किया. यह बातचीत थियेटर की एक ऑनलाइन क्लास की तरह है.
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स्त्रियों ने रंगमंच की भाषा और प्रस्तुति को बदला: त्रिपुरारी शर्मा
ISSN 2394-093X