ज़िंदा जलती होलिका

  बाल गंगाधर‘बाग़ी’

शोधार्थी जे.एन.यू. नई दिल्ली संपर्क : 09718976402 Email. bagijnu@gmail.com

अलग आस्वाद और बिंबों के साथ कवि बाल गंगाधर  बागी अपनी कविताओं के लय से न सिर्फ श्रोताओं को झुमाते हैं, बल्कि सामजिक क्रान्ति के सन्देश भी देते हैं. बागी को नीले आकाश और आंबेडकरी आकांक्षाओं का कवि कहा जा सकता है. आइये पढ़ते हैं उनकी कविता ‘ज़िंदा जलती होलिका.’  

 

अग्नि कुण्ड में जला-जलाकर, राखों में ढकने वाले
सती प्रथा में महिलाओं को जलाये हैं ये मतवाले
ज़िंदा जलती चीख-चीख कर, खून की बहती धारें
जलती नारी देख पर इनके आँख में पड़े नहीं छाले

नारी का सम्मान न करते, ज़िंदा उसे जलाते हैं
हत्याओं का जश्न मानकर, होली वही मनाते हैं

साल हज़ारों सदियाँ कितनी, खूनों में हैं डूब चुकी
आँखों से खूनों की धारा, नदियाँ बनकर सूख चुकी
नंगा बदन घुमाये कितने, गाँव शहर चौराहों पर
सामूहिक दुष्कर्म कर टाँगे, हैं खम्भे ‘औ’ पेड़ों पर

देवदासी बनाकर रात-दिन, रास रचाया करते हैं
धर्म नाम पर मंदिर के, कोठे में बिठाया करते हैं
सास बहू को क़ैद किये जो, घूंघट में अकुलाती हैं
भरे समाज बोले गर तो, वे शर्मसार की जाती हैं
दीन-दलित की महिलायें,उनसे बेईज़्ज़त की जाती हैं
अगर विरोध कर दें वे कुछ,तो नीलाम की जाती हैं

जन-मन का गीत गाकर,वो माँ का राग सुनाते हैं
जो बहू ठूस घर में अपने,आज़ाद नहीं कर पाते हैं

गाँव में दलित पिछड़ों के घर, होली में झोंके जाते हैं
फिर चारो ओर घूम-घूमकर, डण्डा लट्ठ बचाते हैं
वे अपने घर से पाँच-पाँच, खण्डे के टुकड़े लाते हैं
डाल होलिका में उसे फिर, फगुआ रास सुनाते हैं

दलित पिछड़ों के घर में घुस,बहुओं को रंग लगाते हैं
वे इसी बहाने छेड़छाड़ कर, दुष्कर्म भी कर जाते हैं

छेड़-छाड़ आतंक मचाती, हर रंगों की टोली है
ऊपर से ये कहते यारों, बुरा न मानो होली है
रंग लगाते घर में घुस, सामान चुरा ले जाते हैं
पानी कीचड़ रंग अवीर, कपड़े फाड़ चिल्लाते हैं

दहेज न मिलने पर, बहुओं को जिंदा जलाते हैं
मार पीट जिंदा जला, होलिका सी हाल बनाते हैं

हत्याओं का पर्व छिपाने, रंग गुलाल उड़ाते हैं
याद खून की होली को, वे रंगों से भर जाते हैं
दारु गांजा चरस अफीम, भांग संस्कृति फैलाते हैं
नशाखोरी में फंसा समाज, दलदल में ले जाते हैं

समझौता करने वाले, इन रंगों में खो जाते हैं
इतिहास भूल होली का,  पकवान बनाकर खाते हैं

Related Articles

ISSN 2394-093X
418FansLike
783FollowersFollow
73,600SubscribersSubscribe

Latest Articles