नैचुरल सेल्फी की मुहीम: सौन्दर्य बाजार को लड़कियों की चुनौती



सोशल मीडिया पर आईआईएमसी की पूर्व छात्रा गीता यथार्थ यादव ने एक मुहीम शुरू की है #NaturalSelfi नाम से. अपने किस्म से यह ख़ास मुहीम है बाजार द्वारा प्रायोजित सौन्दर्य बोध और उसे बने मुनाफे के अर्थशास्त्र के खिलाफ. गीता की मुहीम में कई महिलायें  शामिल हो गई हैं.

इसकी शुरुआत गीता ने इन पंक्तियों के साथ अपनी सेल्फी डालकर की और साथियों को आमंत्रित किया. जिसके बाद एक सिलसिला सा दिख रहा है.
बिना मेकअप
बिना काजल कुंडल
बिना लिपस्टिक
चिपके तेल लगे बालों में
हम ऐसे दिखते है.
बाज़ारवाद तेरा क्या होगा अब…!!
‘ब्यूटी विद ब्रेन’ महिलाओं को छलने के लिए बनाया गया कॉन्सेप्ट था, ब्रेन है ब्रेनी है, अलग से ब्यूटी का भार क्यों डाल दिया पेट्रिआर्कि ने लड़कियों के ऊपर.

गीता यथार्थ यादव

2016 की शुरुआत में एक ऐसा ही कैम्पेन  ‘अनफेयर एंड लवली’ नाम से सोशल मीडिया पर चालाया गया था , जिसे  टेक्सास विश्वविद्यालय, ऑस्टिन के  तीन विद्यार्थियों ने शुरू किया था. इसका भारतीय संस्करण था  ‘हां, हम खूबसूरत हैं, क्योंकि हम सांवले हैं’ इस स्लोगन के साथ यह कैम्पेन भारत में भी तेजी से आगे बढ़ा.  और अब गीता द्वारा शुरू किया गया यह मुहीम भी लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है.

अनफेयर एंड लवली: गोरेपन की सनक का जवाब 

रजनी शैल चौधरी  ने लिखा : 
बाजारवाद हमारे अंदर हीनता को भरता है
लिपस्टिक से होंट, काजल से आँखों को भर हमे अहसास दिलाया जाता है की अब हम खुबसूरत है
लम्बी हिल्स, लॉन्ग, स्मूथ ,सिल्की बाल हो तो हम कॉन्फिडेंट है
हमे रोज अपने चेहरे को क्रीम बराबर पोतना है नही तो हम काले हो जायेंगे और काला होना बुरा है
यह बाज़ारवाद हमसे हमारी प्राकृतिक पहचान और अस्तित्व को छीन कर हमे एक अजीब सा प्राणी बनाये जा रही है
जरूरत है की इसके खिलाफ लड़ा जाये
और नस्लवाद को मुंह तोड़ जबाब दिया जाये

रजनी शैल चौधरी

साक्षी मिताक्षरा  ने तंज के साथ के सेल्फी पोस्ट की, ‘ मुझे लगा, इससे पहले कि कोई शक़्ल को ही हराम घोषित कर दे मुझे अपनी शक़्ल वाली फोटू लगा लेनी चाहिए, साथ ही मैंने Geeta Yatharth Yadav जी के लिए भी इस फोटू में मेकअप को हराम मानते हुए इसे प्रोफ़ाइल फोटू बना लिया…दो काम एक साथ हो गये.

साक्षी मिताक्षरा

नीलिमा चौहान ने लिखा जिस मुल्क में नैचुरल का अर्थ बुरा होता हो ।सादी का अर्थ भोंदू और भद्दी होता हो । सीधी का मतलब त्रिया का एक पैंतरा होता हो । हुस्न का अर्थ सजधज होता हो । जलवे का अर्थ नई तकनीक वाला एयर ब्रश मेकअप , सुनहले बालों के लच्छे और ऊटपटांग काट के कपड़े होता हो । तरोताज़ा का मतलब इत्र डियो के झोंके मारना होता हो । चुस्त का मतलब बनी ठनी तनी होता हो ।निखरी का मतलब उजली गोरी ,बेदाग फ्लॉलेस होता हो ….
… उस मुल्क की स्त्रियों को वक्त वक्त पर अपनी छविभंजक तस्वीरें पेश करते रहना चाहिए ।
और हां नेचुरल छवि भी कहीं हमारा स्टीरियोटाइप न बन जाए । बाज़ार और जमात के लिए एक और औज़ार न बन जाए । इसलिए वक्त वक्त पर नेचुरल छवि के खिलाफ भी आइकोनोक़लास्टिक छवियों से चौंकाते रहना होगा न ।

पहाड़ से लौटी हूँ ।ठीक ठीक टैन हुई हूँ ।पर कमबख्त आजकल के फोनों की सेल्फियां बाज़ार का ही साथ देती हैं सच का नहीं ।
यूं भी सेल्फी खुद में बाज़ार का एक प्रोडक्ट मात्र ही है और बारास्ता सेल्फी हर चेहरा एक ब्रांड है। तो लीजिए नैचुरल को ब्रांड बनाती मेरी एक सेल्फी ।

नीलिमा चौहान

तजीन खान

सच पूछो तो हमको सेल्फ़ी लेना भी नही आता और हम वैसे भी कभी मेकअप नहीं करते फिर भी Geeta तुम्हारे कहने से !

तजीन खान

और यह भी..  हम भी आ गए… एक दमे सादा बालो में कंघी तक न फेरी…

अगर सांवली रात खूबसूरत है 

श्वेता यादव

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