क्या यौन शोषण , अंग तस्करी और ह्युमन ट्रैफिकिंग के सुरक्षित ठिकाने हैं शेल्टर होम

सुशील मानव 

देवरिया उत्तर प्रदेश के माँ विंध्यवासिनी शेल्टर होम से चल रहे सेक्स रैकेट और बच्चों की तस्करी के भयावह खुलासों के बाद प्रशासन के लकवाग्रस्त हाथ-पाँव हरकत करने लगे हैं। इसका नतीजा ये है कि यूपी के जौनपुर हरदोई और मेजा में चल रहे अधिकृत और अनाधिकृत शेल्टर होम में कई बच्चियाँ और औरतें लापता मिली हैं। मामला अब प्रति व्यक्ति ज्यादा सरकारी फंड हड़पने की साजिश से ज्यादा आगे का और ज्यादा खतरनाक लग रहा है। बता दें कि जौनपुर जिले के हुसैनाबाद मुहल्ले में मंगलवार 7 अगस्त को छापेमारी में अवैध स्वाधार गृह का पकड़ा गया है। यहाँ 18-60 साल की 13 महिलाएँ और उनके साथ 9 बच्चे मिले हैं। जबकि जिला प्रोबेशन अधिकारी संतोष सोनी की अगुवाई में पुलिस टीम ने जब यहाँ ठीक एक दिन पहले यानि सोमवार को छापेमारी की थी तब 7 औरते ही मिली थीं। इस अवैध शेल्टर होम का संचालन चंद्रा शिक्षण संस्थान करता था। मगर संचालक के पास इससे जुड़ा कोई भी दस्तावेज नहीं मिला। जिलाधिकारी ने केंद्र को बंद करने और और जिला प्रोबेशन अधिकारी और पुलिस को जाँच का निर्देश दिया है।

 7 अगस्त को यूपी के इलाहाबाद जिले के मेजा तहसील में एसडीएम अर्पिता गुप्ता और सीओ उमेश शर्मा और इंसपेक्टर गजानंद चौबे की अगुवाई में मेजा पुलिस की टीम ने मेजा पहाड़ी पर संचालित स्वाधार गृह का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण में पंजीकृत 25 बालिकाओं में से 17 बालिकाएं एक ही जिले लखीमपुर खीरी की निकलीं। स्वाधार गृह में एक साथ 17 लड़कियों का लखीमपुर खीरी जिले का होना मामले को संदिग्ध बना रहा है। बता दें किकई वर्षों से चल रहे बनवासी गृह नामक इसी स्वाधार गृह के संचालक त्रिवेणी प्रसाद दूबे हैं।

 7 अगस्त को ही हरियाणा के सोनीपत जिले में सीटीएम श्वेता सुहाग की अगुवाई में गन्नौर के बड़ी में ललिता ज्योति अनाथालय में भारी गड़बड़ी मिली है। वहाँ से 2 बच्चियाँ गायब मिली हैं। गायब बच्चियों में एक की उम्र तीन साल व दूसरे बच्ची की चार साल बताई जा रहीहै। वहीं गन्नौर में ही लल्हेड़ी रोड स्थित ग्राम विकास बाल कल्याण परिषद में जाँच के दौरान बिना बाल कल्याण आयोग के परमीशन के बच्चियों को रखने का मामला सामने आया है। जबकि वहाँ से भी तीन बच्चे एक महीने से गायब हैं।वहीं एक रोज पहले जिले हरदोई के एक शेल्टर होम में भी डीएम के औचक निरीक्षण में शेल्टर होम के रजिस्टर में पंजीकृत 21 औरतों में से सिर्फ 2 ही मौके पर मिली थी जबकि 19 औरतें लापता थीं।

प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश के दो आश्रयगृहों पर कल जिलाधिकारी शंभु कुमार ने छापेमारी की। छापेमारी में दोनो आश्रय गृहों से कुल 26 महिलाएं गायब मिली। शहर के अष्टभुजानगर में जागृति स्वाधार महिला आश्रय है। यहाँ बुधवार को दिन में जिलाधिकारी शंभु कुमार ने छापा मारा तो रजिस्टर में दर्ज 16 में से सिर्फ एक औरत रजि़या ही मौके पर मिली। अन्य पंद्रह महिलाओं के बाबत संचालिका रमा मिश्रा ने बताया कि औरते काम करने बाहर गई हैं। प्रशासन देर रात तक महिलाओं का इंतजार करता रहा। रात करीब दस बजे एसडीएम सदर और एसपी टीम के साथ दोबार आश्रयगृह पहुँचे। जहाँ सिर्फ तीन महिलाएं ही मिली जबकि रजिस्टर में महिलाओं की संख्या 16 से बढ़कर 17 हो गई थी। 14 महिलाएं आश्रयगृह से गायब थीं। एसडीएम के सवाल पर संचालिका रमा मिश्रा ने बताया कि महिलाएँ आज नहीं लौटीं हैं उनकी तलाश की जा रही है।बता दें कि रमा मिश्रा प्रतापगढ़ भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष और सभासद रही हैं। जबकि इस आश्रयगृह का संचालन वे तीन सालों से कर रही हैं। वहीं प्रतापगढ़ जिले के ही अचलपुर में चल रहे दूसरे आश्रयगृह में की गई छापेमारी में रजिस्टर में दर्ज 15 में से सिर्फ 3 महिलाएं ही मौके पर मिली। यहाँ भी पुलिस की टीम देर रात तक महिलाओं का इंतजार करती रही। जबकि यहाँ से भी 12 महिलाएँ गायब है।

सबसे चौंकाने वाले तथ्य ये है कि अभी तक नियमितता और यौन अपराध के आरोप में धरे गए सभी शेल्टर होम का संचालन करने वाले समाज के वर्चस्ववादी तबके के लोग है। ये राजैनितक सत्ता में भागीदारी करनेवाले वर्ग के प्रभुत्वशाली लोग हैं। ताज्जुब की बात है न कि जो वर्ग आज भी सामंतवादी मूल्यों से मुक्त नहीं हो पाया है वही शेल्टर होम चला रहा है वंचित, गरीब, अनाथ बेसहारा बच्चों और औरतों के लिए। जो वर्ग आजादी के बाद भी स्त्रियों और दूसरी जाति-धर्म के लोगों को दोयम दर्जे का व्यक्ति समझता आय़ा है वह शेल्टर होम चला रहा है। जो समूह  अमानवीयता और बर्बरता की हद तक जिन लोगो का उत्पीड़न और दमन करने को अपना अधिकार और धर्म मानता आया हो वह उन्हीं लोगो के लिए शेल्टर होम खोलकर बैठा हो, शक़ होना ही चाहिए। बेशक़ इसके पीछे मानवता, करुणा और प्रेम से ज्यादा इसके बहाने सरकारी फंड को हड़पने की प्रवृत्ति काम कर रही है। साथ ही मुफ्त के घरेलू नौकर और यौनेच्छाओं को घर बैठे पूरा करने का सुरक्षित इंतजाम।

मेरे आरोपों का आधार मुजफ्फरपुर से लेकर देवरिया तक के तमाम बालगृहों में संचालक द्वारा शेलटरहोम की बच्चियों औरतों के उत्पीड़न से और ज्यादा पुख्ता होता है। इतना ही नहीं तमाम बालगृहों से गाहे-बगाहे बच्चों-बच्चियों का गायब हो जाने या भाग जाने की घटनाएं  शेल्टर होम से मानव अंग तस्करी और और बच्चे की तस्करी की खतरनाक साजिशों की ओर इशारा करती हैं। विशेषकर शेल्टर होम से भागे हुए बच्चों या औरतों के फिर कभी भी कहीं से न बरामद होने की स्थिति में। बालगृहों से बच्चों के गायब होने की तारीख का देश के अस्पतालों में हुए अंग प्रत्यर्पण की तारीख से मिलान करके मेरे इस आरोप के बाबत तमाम सबूत इकट्ठे किये और बालगृहों में चलने वाले इस बेहद अमानवीय खेल से पर्दा उठाया जा सकता है। जबकि बेगुसराय बिहार के एक बालिका गृह से एक बच्ची की एक किडनी गायब होने की ख़ौफ़नाक ख़बर कई मीडिया एजेंसियों के हवाले से आ रही है। हालांकि खबर लिखे जाने तक उस बच्ची के अंग निकाले जाने की डॉक्टरी पुष्टि नहीं हुई है। शेल्टर होम से अंग तस्करी का ये चौंकाने वाला मामला मानवता के नकाब के पीछे छुपकर शेल्टर होम चलाने वाले एनजीओ के सबसे खौफनाक चेहरे को उजागर कर रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक बेगुसराय के बालिकागृह से भागी उस दस वर्षीय लड़की के पेट पर चीरे के निशान हैं। जिसका कारण पूछने पर बालिका ने अपने घरवालों से बताया कि उसकी किडनी निकाली गई है।

सूत्रों के मुताबिक मोतिहारी जिला के हरपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत घोड़ा सहन की 10 साल की लड़की करीब डेढ़ साल पहले भटकते हुए बेगूसराय आ गई थी। उसे पकड़कर बालिका संरक्षण गृह में रख दिया गया था। करीब पाँद दिन पूर्व वो मौका देखकर बालिकागृह से भाग निकली और रविवार को मोतिहारी जिले के हरपुर थाना मं आनेवाले अपने घर पहुँची। उसके पेट में चीरा लगा देखकर घरवालों ने परेशान होकर पूछा तो लड़की ने बताया कि उसकी किडनी निकाल ली गई है। इस मामले में स्थानीय थाने में मामला दर्ज कर ली गई है। बता दें कि बेगूसराय में ये शेल्टर होम कर्पूरी ठाकुर ग्रामीण विकास सेवा संस्थान पटना के सौजन्य से चलाया जा रहा था।सवाल ये उठता है कि जो लड़की डेढ़ साल बाद अपने घर वापिस पहुँच गई। उसे अपने घर का दर पता उस वक्त भी मालूम रहा होगा जब वो गुम हुई थी। फिर उससे उसके माँ बाप और घर का पता पूछकर उसके घर पहुँचाने के बजाय उसे उसकी मर्जी के खिलाफ़ शेल्टर होम में क्यों रखा गया था।

वहीं विदेशियों के हाथों बच्चों को गोद देने के बहाने विदेशों में बच्चों की तस्करी के कई भयावह मामले देवरिया उत्तर प्रदेश के माँ विंध्यवासिनी शेल्टर होम से अंज़ाम दिए जाने की पुख़्ता ख़बरें मिल रही हैं।
कहने का सारा लब्बोलुआब ये कि इस घोर बाज़ारवादी समय में मानवता, करुणा और प्रेम के मुखौटे पहनकर दीन,दुखियों और बेसहारों की सेवा करने के फरेब के पीछे घोर अमानवीय़ और बर्बरतम कृत्यों को अंजाम दिया जा रहा है। इसमें गाँव के छोटे सामंतवादी बाबूसाहेब से लेकर बड़े बड़े विदेशी पुरस्कार हथियाने वाले सबके सब शामिल हैं। कोई ताज्जुब नहीं की बच्चों पर यौन बर्बरता के देश के सबसे बड़े और खौफनाक खुलासे के बाद जब पूरा देश इससे ग़मग़ीन और विक्षुब्ध हैं अपने नोबलवीर चुप्पी की चादर ताने हुए हैं। इस चुप्पी का मतलब तो समझते हैं न आप लोग, ख़ैर। शेल्टर होम में देह व्यापार, अंग तस्करी और बच्चों की तस्करी का ये घिनौना खेल सिर्फ बिहार या उत्तर प्रदेश को दो-चार शेल्टर होमो में ही नहीं चला बल्कि इसी जड़े देश के कोने-कोने में फैले अधिकांश शेल्टर  होम तक पहुँची हुई हैं। ये सब सत्ता के संरक्षण और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है।

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