कई अन्य शेल्टर होम में बलात्कार की पुष्टि, सरकार की भूमिका संदिग्ध



सुशील मानव

बिहार के शेल्टर होम को लेकर एक के एक बाद नये खुलासे हो रहे हैं। मुजफ्फरपुर के बालिका गृह ‘सेवा संकल्प’ के बाद मोतिहारी में निर्देश नामक बालगृह पर एफआईआर करके सारे बच्चों का मेडिकल इक्जामिन किया गया है, इसके अलावा छपरा महिला गृह में विक्षिप्त महिलाओं के साथ बलात्कार का शर्मनाक मामला सामने आया है। इनमें से कुछ महिलाएं गर्भवती भी बताई जा रही हैं। एफआईआर के बाद इस महिला गृह से 36 महिलाओं को सीवान शिफ्ट किया गया है।

 भागलपुर के शेल्टर होम पर भी डीएसपी को एफआईआर करने के लिए बोला गया है। जबकि सीतामढ़ी जिले में स्थित सेंटर डाइरेक्ट नामक बालगृह में भी संचालन के महज 40 दिन के भीतर अनियमितताएं पायी गयी थीं, सेंटर बंद करने की संस्तुति की गयी थी, लेकिन यथावत चलता रहा। यहाँ  फरवरी 2018 में एक बच्चे के गायब होने और अप्रैल 2018 में एक बच्चे के थैलासीमिया से मरने की खबर है।

14 बच्चियों का मेडिकल जांच कराने के लिए मधुबनी के शेल्टर होम से सदर अस्पताल लाया गया है। वहीं आस-पास के लोगों के अनुसार रात में कई संदेहास्पद हरकतें दिखाई पड़ती है।महिलाओं ने कहा कि यहां देर रात लड़कियों के चीखने, चिल्लाने और रोने की आवाज आती है। उसके बाद कोई गाड़ी आती है और लड़कियों को लेकर चली जाती है।

बिहार के तमाम शेल्टर होम के उनको चलाने वाले एनजीओ के साथ- साथ बिहार कल्याण विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध लगने लगी है अब तो। सवाल उठता है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह बलात्कार कांड के तीन महीने बाद शर्म महसूसने वाले नीतीश कुमार ने अब तक बिहार टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट के आधार पर उन 15 शेल्टर होमों के साथ साथ समाज कल्याण विभाग के उच्च अधिकारियों के खिलाफ जाँच क्यों नहीं बैठाया है? आखिर उनके निगरानी करते रहने के बावजूद एक साथ इतने सारे शेल्टर होम में अनियमितता बलात्कार जैसी बर्बरता क्यों अब तक छुपी रही थी। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ साइसेंज की टीम महज कुछ घंटों के लिए शेल्टर होमों में जाती है और उनका सारा कच्चा-चिट्ठा निकालकर चली आती है फिर कल्याण विभाग के अधिकारी कैसे इतने दिन कुछ नहीं जान पाये? आखिर समाज कल्याण के अधिकारी क्या करने जाते थे शेल्टर होमों में?

मुजफ्फरपुर केस में जनहित याचिका दायर करने वाले संतोष कुमार आरोप लगाते हैं कि ‘अभी बहुत सड़न है बिहार के तमाम शेल्टर होम में जोकि बिना समाज कल्याण विभाग और राजनेताओं के सहयोग या मिलीभगत के संभव नहीं है। संतोष कुमार तो यहाँ तक कहते हैं कि ‘राजनीति का बलात्कार’ तो कब का कर दिया अब ‘बलात्कार की राजनीति’ करने पर तुले हैं।’

जंतर-मंतर पर धरना 
इस बीच मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेपकांड मामले को लेकर शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया, जिसमें कई विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए। धरने में पूर्व जेडीयू नेता शरद यादव, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, मीसा भारती, सीपीआई के नेता डी राजा और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह आदि शामिल हुए। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी प्रदर्शन में शामिल हुए और नीतीश सरकार पर हमला बोला। सीएम केजरीवाल के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में 40 लड़कियों के साथ जो हुआ इसलिए हम यहां है। उन्होंने कहा कि देश में अजीब सा माहौल बन गया है। महिलाओं और लड़कियों पर बलात्कार और आक्रमण हो रहा है। जो भी आज हिन्दुस्तान में कमजोर है उस पर खुलेआम आक्रमण हो रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि हम देश की जनता और महिलाओं के साथ खड़े हैं और पीछे हटने वाले नहीं हैं।

मुजफ्फरपुर कांड को लेकर जंतर-मंतर पहुंचे तेजस्वी यादव कहा कि देश की बेटियों की सुरक्षा के लिए साथ आएं। तेजस्वी यादव ने कहा कि मुजफ्फरपुर कांड की जो लकड़ी गवाह थी वह कहां हैं? जो लड़की गवाह थी उसे मधुबनी में एक शेल्टर होम में स्थानांतरित कर दिया गया है। स्थानांतरित होने के बाद उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। हम नहीं जानते की वह लड़की मर चुकी है या जिंदा है।

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