नादिया अली का सेक्सुअल क्रूसेड
आशीष कुमार ‘‘अंशु’
आशीष कुमार ‘‘अंशु’ देश भर में खूब घूमते हैं और खूब रपटें लिखते हैं . आशीष फिलहाल विकास पत्रिका 'सोपान'...
कंगना, गैंगस्टर और गुलशन की भाषा बनाम फिल्म जगत का मर्दवाद
दिवस
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में शोधरत सिनेमा में गहरी रुचि. समकालीन जनमत में फ़िल्मों की समीक्षाएँ प्रकाशित. संपर्क : dkmr1989@gmail.com
कंगना को संबोधित '...
आधा चाँद : खंडित व्यक्तित्व की पीड़ा
रेणु अरोड़ा
रेणु अरोड़ा मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय में असिसटेंट प्रोफेसर हैं. नाटक और रंगमंच में अभिरूची . संपर्क : renur71@gmail.com
आधा चाँद— यह शीर्षक...
क्या बिहारी फिल्मों की खोई प्रतिष्ठा वापस लायेगी ‘मिथिला मखान’ ?
इति शरण
इन दिनों बिहारी फिल्मों का मतलब गंदे और भद्दे पोस्टर वाली भोजपुरी फिल्मों को ही समझ लिया गया है। जिनके पोस्टर और नाम...
रील और रीयल ज़िदगी: एक इनसाइड अकाउंट
असीमा भट्ट
रंगमंच की कलाकार,सिनेमा और धारवाहिकों में अभिनय, लेखिका संपर्क : asimabhatt@gmail.com
प्रत्युषा मर गयी. वह क्यों मरी? क्या हुआ उसके साथ यह अटकलें...
ऐ साधारण लड़की ! क्यों चुनी तुमने मौत !!
संजीव चंदन
सोचता हूँ , क्यों जरूरी हैं तुम्हारे इस मृत्यु के चुनाव पर लिखना, तब –जबकि भारत में 19 से 49 की उम्र तक...
प्रवेश सोनी के रेखाचित्र
प्रवेश सोनी
रंगों से बचपन से ही लगाव था ,पत्रिकाओं में आये चित्र कापी करके उनमे रंग भरना अच्छा लगता था |लेकिन निपुणता के लिए...
मैं जनता के संघर्षों के गायक हूँ : संभाजी भगत
'ओ हिटलर के साथी' जैसे मशहूर गीत के रचनाकार और गायक तथा 'शिवाजी अंडरग्राउंड इन भीम नगर मोहल्ला ' के नाटककार संभाजी भगत से...
क्या ऐसे ही होगी ‘थियेटर ओलम्पिक 2018’ की तैयारी ?
कविता
भारतीय रंग महोत्सव के शेष दो दिन बचे हैं . कथाकार और सांस्कृतिक पत्रकार कविता नाट्य प्रेमियों का ध्यान खीच रही हैं इस ओर
मंडी...
स्त्री के अकेलेपन का दर्द है दोपहरी
रेणु अरोड़ा
दोपहर का समय स्त्री के जीवन का ऐसा समय होता है जब अपनी दिनचर्या से थोड़ी फुर्सत पा वह अपनी सखी-सहेलियों और पड़ोसिनों...