प्रोफ़ेसर रतनलाल की रिहाई!
यह आंबेडकरवाद और एकजुट लड़ाई की जीत है
एच. एल. दुसाध
सत्ता का रवैया
देखते हुए...
सत्ता में भारतीय महिलाओं की उपस्थिति: सामर्थ्य, सीमाएँ एवं संभावनाएँ
अन्तरराष्ट्रीय मंचो पर महिला प्रश्न पर चली आ रही बहस और आन्दोलन का अपना एक लम्बा इतिहास रहा है। पूरे विश्व में विधायिकाओं में सिर्फ 10.5 प्रतिशत महिलाएँ हैं और मंत्री पद पर सिर्फ 6 प्रतिशत महिलाएँ है। हमारे देश की स्थिति हमारे पड़ोसी देशों से भी बदतर है। हमारे देश में भी महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण का प्रश्न अचानक ही उत्पन्न नहीं हुआ। 1947 में महिलाओं की स्थिति के संबंध में तैयार हुई रिपोर्ट में एक पूरा अध्याय ही महिलाओं की राजनीतिक स्थिति के बारे में था और इसमें विशेष रूप से इस बात का उल्लेख किया गया था कि महिलाओं की खराब स्थिति के लिए उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति के साथ ही उनकी राजनीतिक स्थिति भी जिम्मेदार है और इससे उबरने के लिए विधायक निकायों में आरक्षण के बारे में कहा गया था.
आसिफा (कठुआ) के बलात्कारियों को आजीवन कारावास (मृत्यु पर्यंत): अभियोजन पक्ष फांसी के लिए...
जम्मू में आसिफा की वकील दीपिका सिंह राजावत को काफी परेशान किया गया था, उन्हें बलात्कार की धमकियां दी गयी थीं। पिछले साल पीड़िता के परिवार ने उनसे केस वापस लिया था। एडवोकेट मुबीन फ़ारूकी ने आगे इस मामले में पैरवी की। मामले के अभियोजन पक्ष में जेजे चोपड़ा, एसएस बसरा और हरमिंदर सिंह शामिल थे ।
बिहार:महिला कांस्टेबल की हत्या: संदेहास्पद पुलिस, बेखबर सरकार, बेशर्म मीडिया
स्थानीय अखबारों के अनुसार पुलिस अपनी इंट्री के साथ ही संदिग्ध भूमिका में दिख रही है. दैनिक हिन्दुस्तान ने 5 जून को लिखा, ‘सीवान पुलिस स्नेहा के शव के साथ लगातार साजिश रच रही है। सोमवार की देर रात को सीवान पुलिस ने स्नेहा के शव को नौवागढ़ी स्थित उसके घर पहुंचाया। इसके बाद सीवान पुलिस के द्वारा रात में ही शव को जलाने का दबाव बनाया जा रहा था। लेकिन परिजनों ने कहा कि अधिक रात होने के कारण शव मंगलवार को जलाया जाएगा।
दिल्ली से लेकर पटना तक बिहार सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
अली अनवर सहित अन्य लोगों ने वहां संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक साल पहले मॉब लिंचिंग पर कानून बनाने का गाइडलाइन जारी किया था। संसद का सत्र समाप्त होने वाला है लेकिन लिंचिंग पर कानून बनाने का कोई इरादा नहीं दिखता। उन्होंने कहा कि भीड़ द्वारा हिंसा एक संक्रामक सिलसिला बन गया है.