वह आत्मीय और दृष्टिसंपन्न संपादक हमें अलविदा कह गयी
अनिता भारती
जानी मानी लेखिका, दलित आदिवासी और स्त्री लेखन की सशक्त पैरोकार रमणिका गुप्ता जी छब्बीस मार्च...
राजनीति को महिलाओं ने बदला है फिर भी मतदाता उनके प्रति उदासीन
यशस्विनी पाण्डेय
धर्म को न मानने वाली एक बिन-ब्याही मां ‘जेसिंडा ऑर्डन’न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री खुद में एक ऐतिहासिक...
तुम्हारी माँ भी छेड़छाड़ की शिकार हुई, बेटों तुम्हें जानना चाहिए औरत की देह...
स्त्रीकाल डेस्क
विश्व मुक्केवाजी चैम्पियनशिप में छठा स्वर्ण पदक जीतने वाली मैरी कॉम ने अपने साथ हुई यौन हिंसा और नस्लीय उत्पीड़न के बारे में...
अफसोस कि औरतें उठ तो रही हैं पर मर्दवादी संस्थाएं उन्हे कुचल देना...
पर अफसोस कि ये मार्च भी देश भर की लोकतांत्रिक संस्थाओं में भर दी गयी महिला विरोध की भावना की भेंट चढ़ गया. मुख्यधारा मीडिया में इस मार्च कि चर्चा आज न के बराबर दिख रही है. खासकर प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जो आम लोगों के बीच अभी सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं वे लगातार सत्ता के खिलाफ जारी राजनीतिक सामाजिक बदलाव को खारिज करने या आम लोगों के बीच न पहुंचने देने में एक षड़यंत्रकारी भूमिका निभा रहे हैं.
हिन्दी नवजागरण और स्त्री
अंजली पटेल
,गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय में शोधरत
है. Email : anjalipatelbindki@gmail.com
नवजागरणएक कालवाची शब्द है, जहाँ इसकी पृष्ठभूमि विभिन्न आन्दोलनों से जुड़ती है तो वहीं स्त्री उत्थान की...
स्मृति जी कंडोम के विज्ञापन वल्गर तो डीयो के संस्कारी कैसे?
श्वेता यादव
अष्टभुजा शुक्ल की लाइनें हैं एक हाथ में पेप्सी कोला दूजे में कंडोम, तीजे में रमपुरिया चाकू चौथे में हरिओम, कितना ललित ललाम...
ब्रा पहनने के नहीं पुरुषों के आचरण की संहिता बने
स्वरांगी साने
साहित्यकार, पत्रकार और अनुवादक स्वरांगी की रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित. संपर्क : swaraangisane@gmail.com
महिलाओं के मामले में दुनिया एक सी है. 10 मई को...
न मार्क्सवाद, न अंबेडकरवाद, न स्त्रीवाद , बस एक्सपोजर चाहिए और मंच
सुशील मानव
देश और समाज में नफ़रत, वैमनस्य, असहिष्णुता, हताशा और मातम का माहौल है और साहित्य में लगातार एक के बाद उत्सव मनाए जा...
धारा 377 की मौत और पितृसत्तात्मक विमर्श पद्धति
जया निगम
जेंडर से जुड़े बहुत सारे कानूनी मसलों पर भारत में चल रही कानूनी लड़ाईयों पर पितृसत्तात्मक बुद्धिजीवियों का विश्लेषणात्मक रवैया कुछ ऐसा है...
समता की सड़क जोतीबा फुले से होकर गुजरती है.
विकाश सिंह मौर्य
जोतीबा फुले के परिनिर्वाण दिवस पर विशेष
आज 28 नवंबर है। 28 नवंबर 1890 को जोतीराव गोविंदराव फुले का परिनिर्वाण हुआ था। आज...