औरत , विज्ञापन और बाजार
अदिति शर्मा
केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, बैंगलोर पीठ में हिंदी अनुवादक संपर्क-ई-मेल : aditisharmamystery@gmail.com
अदिति शर्मा
स्त्री मुक्ति चेतना व स्त्रीवादी दृष्टिकोण पर बहुत कुछ लिखा जा...
भगत सिंह: हवा में रहेगी मेरे ख़यालों की बिजली
अंजलि कुमारी,
उसे यह फिक्र है हरदम नया तर्जे–जफा क्या है | हमें यह शौक है देखें...
हाय मैं हिन्दी पीएचडी, पकोड़े की दुकान भी नहीं खोल सकती
आप समझिये कि उत्तर भारतीय स्त्री, माने कि औसत रंग रूप, उस पर ये हिंदी। अरे जब स्त्री बन कर ही पैदा होना था तो ऑस्ट्रेलिया या यूरोप में ही पैदा हो गई होती। नहीं तो जापान या चीन में ही और इनमें से कहीं नहीं तो कश्मीर या पंजाब में ही पैदा हो लेती। अच्छा इन सब जगहों को छोड़ भी दें, अगर उत्तर भारत में ही पैदा होना था तो दिल्ली में ही हो जाती। कम से कम ज़रा स्मार्ट होती, खाने-पहनने का तो सलीक़ा होता और अंग्रेज़ी मीडियम में पढ़ भले ना पाती मगर थोड़ी-बाड़ी अंग्रेज़ी तो कहीं नहीं जानी थी। अब पूर्वांचल के गाँव में स्त्री के पैदा होने की भला क्या ही ज़रूरत थी।
बहुजन चौपाल में हुई चर्चा: भारत का भगवाकरण और सामाजिक न्याय की चुनौतियां
डिम्पल और अरूण कुमार नारायण
बहुजन चौपाल हाशिये के समाज का वह अम्ब्रेला है जो बहुजन की समस्याओं को उनके नजरिये से देखने व समझने का...
वह आत्मीय और दृष्टिसंपन्न संपादक हमें अलविदा कह गयी
अनिता भारती
जानी मानी लेखिका, दलित आदिवासी और स्त्री लेखन की सशक्त पैरोकार रमणिका गुप्ता जी छब्बीस मार्च...
मुख्यमंत्री जी शराबबंदी से महिला उत्पीडन बंद नहीं होता: महिला छात्र नेता का पत्र...
रिंकी कुमारी
रिंकी कुमारी भागलपुर विश्वविद्यालय में छात्र नेता हैं. संपर्क: 7250174419
माननीय मुख्यमंत्री, बिहार
पिछले 5 अप्रैल 2016 से आपकी सरकार ने राज्य में पूर्ण...
ब्रा पहनने के नहीं पुरुषों के आचरण की संहिता बने
स्वरांगी साने
साहित्यकार, पत्रकार और अनुवादक स्वरांगी की रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित. संपर्क : swaraangisane@gmail.com
महिलाओं के मामले में दुनिया एक सी है. 10 मई को...
मैं हिजड़ा… मैं लक्ष्मी
डिसेंट कुमार साहू
उत्पीड़ित समूहों द्वारा लिखी जाने वाली आत्मकथाओं ने हाल के समय में ब्राम्हणवादी-पितृसत्तात्मक समाज के वर्चस्वकारी मूल्यों को उद्घाटित करने में महत्वपूर्ण...
नंदलाला के लिए होली और गोपियों के लिए गाली : होली के बहाने स्त्रियों...
संजीव चंदन
सोचता हूँ स्त्रियों के यौन अंगों के बारे में पहली बार स्पष्ट रूप से कब सुना था या पढ़ा था . बचपन में...
देवी के नाम पर शेल्टर होम और चलता था सेक्स रैकेट त्रिपाठी परिवार: एक...
सुशील मानव
“ यहाँ कई दीदी हैं। उन्हें बड़ी मैडम रात को कहीं भेजती थी। कभी लाल गाड़ी तो कभी काली गाड़ी आती थी उनको...