राजनीति को महिलाओं ने बदला है फिर भी मतदाता उनके प्रति उदासीन
यशस्विनी पाण्डेय
धर्म को न मानने वाली एक बिन-ब्याही मां ‘जेसिंडा ऑर्डन’न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री खुद में एक ऐतिहासिक...
वह आत्मीय और दृष्टिसंपन्न संपादक हमें अलविदा कह गयी
अनिता भारती
जानी मानी लेखिका, दलित आदिवासी और स्त्री लेखन की सशक्त पैरोकार रमणिका गुप्ता जी छब्बीस मार्च...
सृजन की ताक़त रखने वाली महिलाओं से दुनिया की संस्कृतियाँ क्यों डरती हैं !
राजीव सुमन
रजस्वला होने की उम्र की महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में के प्रवेश-निषिद्ध के संदर्भ...
क्या आप छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद मिनीमाता को जानते हैं?
ज्योति प्रसाद
कुछ ही हफ़्ते बाक़ी हैं इस देश के लोकतंत्र के चुनावों में. मीडिया से लेकर देश...
महिला विधायक पुरुष विधायकों से विकास करने में 21 ही साबित होती हैं!
यूं तो विकास की बागड़ोर पूरी दुनिया में पुरुषों के हाथों में हैं, लेकिन शोध बताते हैं की विकास के मामले में...
भगत सिंह: हवा में रहेगी मेरे ख़यालों की बिजली
अंजलि कुमारी,
उसे यह फिक्र है हरदम नया तर्जे–जफा क्या है | हमें यह शौक है देखें...
औरत मार्च: बदलते पाकिस्तान की दास्तान
भारत में बढ़ती फिरकापरस्ती के बरक्स जरा पड़ोसी मुल्क को देखें. वहां से स्त्रियों के हक़ में लगातार अच्छी खबरें आ रही हैं. पाकिस्तान ...
हाय मैं हिन्दी पीएचडी, पकोड़े की दुकान भी नहीं खोल सकती
आप समझिये कि उत्तर भारतीय स्त्री, माने कि औसत रंग रूप, उस पर ये हिंदी। अरे जब स्त्री बन कर ही पैदा होना था तो ऑस्ट्रेलिया या यूरोप में ही पैदा हो गई होती। नहीं तो जापान या चीन में ही और इनमें से कहीं नहीं तो कश्मीर या पंजाब में ही पैदा हो लेती। अच्छा इन सब जगहों को छोड़ भी दें, अगर उत्तर भारत में ही पैदा होना था तो दिल्ली में ही हो जाती। कम से कम ज़रा स्मार्ट होती, खाने-पहनने का तो सलीक़ा होता और अंग्रेज़ी मीडियम में पढ़ भले ना पाती मगर थोड़ी-बाड़ी अंग्रेज़ी तो कहीं नहीं जानी थी। अब पूर्वांचल के गाँव में स्त्री के पैदा होने की भला क्या ही ज़रूरत थी।
धारा 377 की मौत और पितृसत्तात्मक विमर्श पद्धति
जया निगम
जेंडर से जुड़े बहुत सारे कानूनी मसलों पर भारत में चल रही कानूनी लड़ाईयों पर पितृसत्तात्मक बुद्धिजीवियों का विश्लेषणात्मक रवैया कुछ ऐसा है...
समता की सड़क जोतीबा फुले से होकर गुजरती है.
विकाश सिंह मौर्य
जोतीबा फुले के परिनिर्वाण दिवस पर विशेष
आज 28 नवंबर है। 28 नवंबर 1890 को जोतीराव गोविंदराव फुले का परिनिर्वाण हुआ था। आज...