अस्सी प्रतिशत स्त्रियों की कथा
पीढ़ा घिसता है तो पीढ़ी बनती है
तनाव-क्षेत्र में महिलाओं को नज़रअंदाज करने से समाज का नुकसान
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता पर महिलाओं की आपत्तियां
पढ़ी -लिखी उम्मीदवार के लिए अजीबोगरीब शादियां
बच्चों को रोटी, कपड़ा, दवा और पढाई नहीं दे पाने वाला समाज सिर्फ सजा देने के लिए उतावला है
इंसाफ अधूरा है
यूं शुरू हुई हैप्पी टू ब्लीड मुहीम
एक सांस्कृतिक आंदोलन के चार साल
जुंको फुरुता: जिसे याद रखना ही होगा
मासिक धर्म : आखिर चुप्पी कब तक ?
राजनीति की स्त्रीविरोधी वर्णमाला
भारतीय पुलिस-तंत्र में महिलाओं की स्थिति: ‘गुनाह-बेगुनाह’ उपन्यास के विशेष सन्दर्भ में- केएम प्रतिभा