अस्सी प्रतिशत स्त्रियों की कथा
पीढ़ा घिसता है तो पीढ़ी बनती है
तनाव-क्षेत्र में महिलाओं को नज़रअंदाज करने से समाज का नुकसान
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता पर महिलाओं की आपत्तियां
चाइल्ड केयर लीव बनाम मातृत्व की ठेकेदारी पर ठप्पा
पितृसत्ता पुरुषों का अमानवीयकरण करती है : कमला भसीन
औरत , विज्ञापन और बाजार
रक्तरंजित कहानी महिला प्रतिनिधित्व की
बहन के नाम राजनीतिक पत्र
प्यार पर न चढाओ हैवानियत की चादर
सामूहिक बलात्कारः स्त्री-चेतना और अस्मिता को हतोत्साहित करने का षड्यंत्रकारी आयोजन
मेरे ख़्वाबों के दूल्हे बनाम शहनाइयां जो बज न सकीं
भारतीय पुलिस-तंत्र में महिलाओं की स्थिति: ‘गुनाह-बेगुनाह’ उपन्यास के विशेष सन्दर्भ में- केएम प्रतिभा