ज्योति शर्मा की कवितायें (चरित्रहीन तथा अन्य )
ज्योति शर्मा
1. स्त्रीपतन -1
प्रेम में डूबी स्त्री सदा पुरूष का
हृदय टटोलती है
प्रेम में भीगा पुरूष स्त्री की देह.
2. सोशल मीडिया और स्त्री
हमेशा प्रेम में...
दोस्त तथा अन्य कविताएं(पूजा यादव )
पूजा यादव
1- दोस्त
तुम जैसे हो वैसे ही रहना मेरे दोस्त
तुम मत बदलना किसी के लिए
मेरे लिए भी नही
क्योंकि
तुम जैसे हो उसी से मैंने प्रेम...
मेरे हमदम मेरे दोस्त ( दूसरी किस्त ) : रजनी दिसोदिया
रजनी दिसोदिया
कहानी कार मुकेश मानस की कहानियों को पढ़ने के बाद स्त्री के पक्ष में स्थितियाँ चाहे बहुत बेहतर न हों पर यह उनकी...
केरल के महान दलित नायक ‘अय्यन काली’
बाबू राज के नायर
दलितों के उद्धार की बात आते ही केरल के एक महान समाज सुधारक की याद ताजा हो आती हैं। अस्पृश्य मानकर...
अभिशप्त जीवन की व्यथा-कथा
उमा मीना
स्त्री-पुरुष दोनों ही जीवन का सृजन कर पीढ़ियों को आगे बढ़ाते हैं इसलिए सामाजिक संरचना में दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका हैं l लेकिन...
‘चलत मुसाफ़िर’ भारतीय संस्कृति से रूबरू कराता एक मंच
क्या है चलत मुसाफिर
एक प्लेटफोर्म है, उन सभी लोगों के लिए जिनके अंदर घूमक्कड़ी वाला बड़ा कीड़ा है। जो फेसबुक पर 'इफ ट्रैवेलिंग वॉज...
विदर्भ के किसानों के लिए बड़ा कदम :फसल-वितरण केंद्र खोलेगा हिन्दी विश्वविद्यालय
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय जहाँ सावित्री बाई फुले के नाम का एक छात्रावास बना हुआ है और वहाँ उनके संबंध में कुछ पढ़ाई...
माई साहब (सविता अम्बेडकर) पीठ की स्थापना
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय माई साहेब यानी सविता अम्बेडकर के नाम पर एक पीठ की स्थापना करने जा रहा है। ऐसा खुलासा पहली...
धारा 370 हटाये जाने की विरोधी भारतीय मूल की महिला अमेरिकी उपराष्ट्रपति पद की...
भारतीय मूल की कमला हैरिस जो डेमोक्रेट्स पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं, वह पहली अश्वेत महिला होने के साथ-साथ भारतीय...
हिमा दास: बहुजन समाज में लड़कियों के खेल-उत्साह और उत्सव की प्रतीक
हिमा चूँकि असम प्रदेश से आती है इसलिए उनके परिवेश की सामाजिक संरचना को जानना भी जरुरी है। पूर्वोत्तर भारत का समाज स्त्रियों के प्रति हिन्दुत्ववादी समाज की तरह कठोर नहीं रहा है। पूर्वोत्तर भारत खासतौर पर जनजातीय समाजों और उसके जैसी ही संरचना वाले बहुजन समाज में लड़की की खेल-कूद में भागीदारी को हीन नजरिये से नहीं देखा जाता बल्कि उसे एक उत्सव और जीवन जीने के नजरिये के रूप में देखा जाता है।