एक ‘अच्छी औरत’, स्मृति ईरानी के पक्ष में ( खुला ख़त , सेवा में जिनसे संबंधित हो)

संजीव चंदन


दोस्तो,
आज यह पत्र दो बजे रात को लिख रहा हूँ , एक दुश्मन के पक्ष में. दुश्मन एक अच्छी औरत है – स्मृति ईरानी.

गजब की बेचैनी है, इन दिनों कोशिश कर रहा था कि जल्दी सो जाऊं और जल्दी उठूं. हाई बी पी पिछले साल इन्हीं तारीखों में परवान चढ़ा था और पहली बार डिटेक्ट हुआ था –  , इसीलिए देर रात तक जागने की आदत बदलना चाह रहा हूँ , लेकिन आज नींद गायब है.

हैदराबाद में पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों ने हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दो दर्जन से अधिक विद्यार्थियों को और दो शिक्षकों को उठा लिया है, प्रताड़ित किया है . हॉस्टल में मेस बंद कर दिया गया है. इंटरनेट की सुविधाएं बंद , ए टी एम सेवा बंद . विद्यार्थियों को बुरी तरह पीटा गया है. ऐसा करने के पहले जरूर एक दृढ निश्चय किया गया होगा. अकेला कुलपति अप्पाराव के वश की बात नहीं है यह . ऐसा करने के पहले उसी ‘अच्छी औरत’ ने तय किया होगा कि ‘ तुच्छ विद्यार्थियों’ के आगे न झुका जाये. कुलपति को वापस विश्वविद्यालय में भेजकर अपने दृढ निश्चय का परिचय दिया जाय. इस निर्णय पर आने के पहले भी बहुत कुछ किया गया होगा. प्राधानमंत्री ने तय किया होगा कि विज्ञान –भवन में दो या तीन बार जोर –जोर से जय भीम बोला जाये ताकि हैदराबाद के आम्बेडकरवादी और समता-बंधुत्व में विश्वास रखने वाले विद्यार्थियों पर बर्बर हमलों से बनी चीखें लोगों के कानों तक न पहुंचें . सत्ताधारी पार्टी ने तय किया होगा कि पूरे देश को ‘ भारत माता की जय’ के उन्माद से भर दिया जाय . राष्ट्रवाद की ऐसी हवा झोकी जाय की हैदराबाद की तपिश देश के दूसरे हिस्सों में न पहुंचे और हैदराबाद को और झुलसाया जा सके .

फिर भी मेरे दोस्त, मैं यह पत्र उसी ‘अच्छी औरत’ के पक्ष में लिख रहा हूँ. हाँ स्मृति इरानी के पक्ष में. अच्छी औरत हां, वैसी ही ‘अच्छी औरत’, जैसी वे थीं, जिन्हें कल ही एक यू ट्यूब वीडियो में दो महिलाओं ( कथित तौर पर दलित ) को  पीटते हुए देखा था. पूरी गंभीरता से एक बात कह रहा हूँ कि यह उसी स्मृति इरानी के पक्ष में है , जो संसद में अतिभावुक थीं, जो राष्ट्र के हित में बहन मायावती जी के चरणों में शीश काट कर चढ़ा देने की भावुकता से भरी थीं.

हाँ, मेरे दोस्तों कुछ तो हो गया है आबो –हवा में, जो हम उनकी ही तरह हुए जाने के खतरों से भर गये हैं, जिनसे लड़ रहे हैं. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि मैं ‘इस अच्छी औरत’ के खिलाफ कई मित्रों को आक्रोश में भरकर उसे ‘डायन’ कहते हुए देख रहा हूँ. नहीं दोस्तों,  हम इन अच्छे, राष्ट्रवादी लोगों की तरह तो कतई न सोचें कि कुछ औरतें ‘ डायन’ होती हैं . क्योंकि डायन के नाम पर ये ‘अच्छी औरतें’ और ‘अच्छे लोग’ दूसरी औरतों को मार देते हैं. कम से कम हम सब तो औरतों को ‘ डायन’ ‘ चुड़ैल’ मानने वाली मानसिकता या जाने –अनजाने ऐसी शब्दावली से बचें.

कई पोस्ट में देखता हूँ , कई खबरों में देखता हूँ कि स्मृति इरानी पर तथाकाथित तौर पर अपनी सहेली के पति से ही विवाह करने के लिए हमले किये जाते हैं . यह ‘बकवास’ जिस कारण से भी फेसबुक सहित सोशल मीडिया में तैरता रहता है, लेकिन इससे इतना तय है कि ईरानी के कारनामों से व्यथित लोगों में भी कुछ लोग ऐसे हैं , जिन्हें स्त्री के सम्मान के लिए स्त्रीवादी ट्रेनिंग की जरूरत है. यदि इस कथित प्रेम और विवाह की पृष्ठभूमि यह हो भी,  तब भी यह कुछ लोगों के बीच का निजी मामला तब तक है , जबतक इसके खिलाफ कोई पक्ष स्टेट से मदद न मांगता हो.

सच में यह पत्र उस ‘अच्छी औरत’ के पक्ष में ही है, जिसने रोहित वेमुला की आत्महत्या पर अफ़सोस जताने, ठोस कार्रवाई करने से ज्यादा इस बात में रुचि ली है कि रोहित की जाति पर बहस चले अथवा इस बात में रुचि ली है कि कैसे दोषी कुलपति की धाक उस विश्वविद्यालय में पुनः स्थापित की जाये या इस बात में रुचि ली है कि वह जे एन यू के विद्यार्थियों को देशद्रोही सिद्ध करे. यह सच है कि अपनी डिग्री के बारे में उसने गलत जानकारियाँ और हलफनामे दिये हैं, लेकिन उसका विरोध करते हुए हम अपने ही तर्क के विरोध में न खड़े हो जाएँ और उसे अनपढ़ या वांछित डिग्री- रहित बताकर मानव संसाधन विकासमंत्रालय में उसे मंत्री बनाये जाने पर उसका मजाक उड़ायें. क्योंकि हम तो शायद यह मानते रहे हैं कि संविधान ने यदि हमें ‘ वयस्क मताधिकार’ दिये हैं, तो हर नागरिक को – सुपढ़ या अनपढ़ को मत देने और चुनाव लड़ने का हक़ है . यदि वह चुनाव लडेगा,  तो मंत्री भी बनेगा. और यह व्यवस्था तबतक होनी चाहिए जबतक शिक्षा का लक्ष्य शत प्रतिशत प्राप्त न कर लिया जाये.

मैं समझता हूँ कि इस पत्र के मजमून के साथ आपसब जरूर सहमत होंगे , हाँ आप सब, जिनपर देशद्रोह का मुकदमा लादकर स्मृति इरानी या उनकी सरकार उनको ठीक करना चाहती हैं, या जिनपर पिछले कुछ महीनों में पुलिस , वकील के वेश में तथाकथित राष्ट्रवादी गुंडों और दक्षिणपंथी छात्र संगठनों के सदस्यों ने लाठियां चलाई हैं , या जिन्हें हैदरबाद में पुलिस ने अवैध तरीके से गिरफ्तार किया है और मारा –पीटा है , या जिनका राशन –पानी सरकार के नुमाइंदों ने बंद कर दिया है .

हमें उन सभी ‘अच्छी औरतों’ का भी सम्मान करना चाहिए जो एक ‘पवित्र राष्ट्रवादी’ अभियान पर लगी हैं, या लगी रही हैं – हमें दुर्गा, लक्ष्मी , सरस्वती जैसी ‘ अच्छी देवियों’ की तरह उनका सम्मान करना चाहिए और उन्हें आश्वस्त करना चाहिए कि हम किसी भी स्त्री के अपमान के खिलाफ हैं – हाँ किसी भी स्त्री के, जो एक परम्परा से अपने भी खिलाफ रचे जा रहे कुचक्रों में शामिल रही हैं , या उन्हें सहमति देती रही हैं- दे रही हैं . ये अच्छी औरतें ही आधुनिक देवियाँ हैं-दुर्गा, काली,  सरस्वती हैं !  देवियाँ भी तो ऐसी ही रही होंगी न, मिथकीय इतिहास में इतनी ही हाइपर एक्टिव , जितनी स्मृति इरानी जैसी ‘अच्छी औरतें’ हैं .

लेखक स्त्रीकाल पत्रिका के सम्पादक हैं 

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