बिहार के भागलपुर में अपने पैतृक संपत्ति के हक़ के लिए संघर्षरत महिला जब शिकायत करने पुलिस के पास गई तो पुलिस ने उल्टा उसे ही प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. उसकी प्रताड़ना के गवाह बने भागलपुर विधि संग के अधिवक्ता. सवाल है कि राज्य सरकार क्या पीडिता के पक्ष में अपने न्याय सिस्टम को दुरुस्त करेगी या दबंगों का ही साथ देगी? सवाल यह है कि पढी –लिखी महिला के साथ जब पुलिस का यह वर्ताव है तो गरीब अनपढ़ महिलाओं के साथ राज्य की पुलिस का क्या व्यवहार होता होगा. पीडिता ने राष्ट्रीय महिला आयोग को पत्र लिखा है:
सेवा में,
अध्यक्षा महोदया
राष्ट्रीय महिला आयोग, नई दिल्ली
महाशया,
मैं, सपना सुमन (उम्र 32 वर्ष), पिता– स्व. कनक लाल राम, माता- स्व. मीरा मधुर बिहार प्रांत के भागलपुर शहर के नया बाजार की स्थायी निवासी हूँ. मेरे माँ-बाप दोनों की मौत एक दशक पूर्व हो चुकी है. मैं 17 अक्तूबर, 2016 (दिन रविवार) को भागलपुर शहर स्थित ततारपुर थाना के थाना अध्यक्ष अजय कुमार के पास अपने घर में हुई चोरी की प्राथमिकी दर्ज कराने गई. कई बार थाना जाकर मैंने प्राथमिकी दर्ज करने की थानाध्यक्ष से गुहार लगाई किन्तु उन्होंने प्राथमिकी दर्ज नहीं की.
इससे परेशान होकर मैं इसकी शिकायत लेकर 20 अक्तूबर को लगभग 3:30 बजे अपराहन एस एस पी कार्यालय पहुंची. लेकिन मुझे एसएसपी कार्यालय भागलपुर के बाहर तैनात आदेशपाल गणेश कुमार ने उनसे मिलने नहीं दिया और कहा कि ‘अभी रुकिये आरक्षी अधीक्षक जब आपको बुलायेगा तब आपको मिलवा दिया जाएगा.’ मैंने उन्हें अपने नाम का पुर्जा लिखकर भी दे दिया किन्तु तीन घंटे बीत जाने के बाद भी एसएसपी मुझसे नहीं मिले.
मैं कार्यालय के बाहर उनके चेम्बर के पास बैठी रही. अचानक साढ़े छह बजे के लगभग महिला थाना अध्यक्षा ज्ञान भारती एवं एक अन्य महिला पुलिसकर्मी सादे लिबास में एवं चार-पाँच की संख्या में पुरुष पुलिसकर्मी, वे भी सादे लिबास में थे, आये और मुझे चारो तरफ से घेर लिया. ज्ञान भारती और उनके साथ आई एक महिला पुलिसकर्मी मुझे जबरन घसीटते हुए वहाँ से बाहर सड़क पर ले जाने लगीं. मैंने उनसे पूछा कि आप मुझे ऐसे कैसे और कहाँ ले जा रही हैं? इससे घबराकर मैं ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी और कहा कि – एसएसपी सर बचाओ! देखो ये लोग मुझे घसीटकर कहाँ ले जा रहे हैं! इस पर एसएसपी साहब बाहर निकले और अनदेखा कर वापस अंदर चले गए. तब महिलाथाना अध्यक्ष ज्ञान भारती ने कहा कि- ‘रंडी! बहुत हल्ला कर रही हो! चलो तुम्हारा अच्छे से इलाज करती हूँ!’ और उनके साथ सादे लिबास में आये पुलिस कर्मी मुझे और मेरे चार वर्षीय बेटी, जो मेरे साथ ही थी, को घसीटते हुए एस एस पी आफिस से बाहर सड़क पर ले जाने लगे.
महिला थाना अध्यक्षा ज्ञान भारती ने मेरा मोबाईल और पर्स छिन लिया. इस बीच हम माँ-बेटी के रोने-चिल्लाने की आवाज सुनकर जिला विधिज्ञ संघ भागलपुर के महासचिव श्री संजय कुमार मोदी एवं कई अधिवक्ता वहाँ आ गए. श्री मोदी ने अपना परिचय देते हुए महिला थानेदार ज्ञान भारती से जब पूछा कि ‘आपलोग इस महिला के साथ इस प्रकार का दुर्व्यवहार एवं मारपीट क्यों कर रहे हैं और इसे कहाँ ले जा रहे हैं?’ मैंने उन्हें बताया कि मैं एसएसपी साहब के पास फरियाद लेकर आई थी किन्तु देखिये ये लोग मेरे साथ ही मारपीट व दुर्व्यवहार कर रहे हैं और कहाँ ले जा रहे हैं! महासचिव सहित अन्य अधिवक्ताओं द्वारा पुलिसकर्मियों से कहा कि आप इस तरह से इस महिला के साथ मारपीट एवं दुर्व्यवहार इस तरह से नहीं कर सकते हैं, लेकिन उपरोक्त सभी पुलिस वालों ने इन अधिवक्ताओं की एक नहीं सुनी. उलटे ज्ञान भारती ने मेरी तरफ देखते हुए कहा कि ‘ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, कम्पलेन केस करोगी!’ और यह कहते हुए मुझे और मेरी बेटी को उनलोगों ने सफ़ेद रंग की जीप में फेंक दिया. इस क्रम में हम दोनों माँ-बेटी को काफी चोटें आईं.
इसके उपरांत ज्ञान भारती खुद और एक महिला पुलिसकर्मी व अन्य पुरुष पुलिसकर्मी भी जीप पर सवार हो गये. उन लोगों ने जिप्सी के अंदर की बत्ती भी बुझा दी थी. मैं और मेरी बेटी बुरी तरह डरे हुए थे. मेरे रोने-चिल्लाने पर दो पुरुष पुलिसकर्मियों ने पहले तो मुझे भद्दी-भद्दी गालियां दी फिर थप्पड़ मारने लगे. उसके बाद मुझे उन लोगों के द्वारा चुपचाप रहने की नसीहत दी गई. रास्ते में जिप्सी पर मौजूद एक पुरुष पुलिसकर्मी ने अंधेरे में मेरी छाती पर गलत मंशा से हाथ भी रखा. इस पर मैं जब चिल्लाने लगी तो ज्ञान भारती एवं दूसरी महिला पुलिस मेरा सिर झुकाकर मेरे पीठ पर कोहनी से मारने लगी. इसको देख जब मेरी बेटी रोने लगी तो इन निर्दयी पुलिस वालों ने उसकी भी चोटी पकड़ कर दो-तीन चाटा जड़ दिया. मुझे शहर के कोतवाली थाना लाया गया. कोतवाली थाना पहुंचते ही ज्ञान भारती ने मेरा बाल पकड़ कर खींचते हुए जीप से उतारा. उसके बाद मुझे वहाँ लगभग आधे घंटे तक 7:30 बजे संध्या तक थाना पर बैठाये रखा गया. मैं बार-बार उनसे घर जाने देने की गुहार लगाती रही,किन्तु उन्होंने मुझे घर जाने नहीं दिया.
फिर कोतवाली स्थित महिला थाना से ज्ञान भारती समेत अन्य पुलिसकर्मी मुझे जबरन उठाकर शहर के ही ततारपुर थाना ले गए. वहाँ मुझे 8:30 बजे तक बैठाकर रखा. मेरी चार साल की बेटी को भूख और प्यास लग रही थी और वो लगातार पानी मांग रही थी. लेकिन किसी पुलिसवाले को हमारे ऊपर रहम नहीं आई और उन्होंने हम दोनों को पानी तक नहीं दिया.
ततारपुर थाना अध्यक्ष अजय कुमार कहने लगे कि, ‘अरे मैडम को ले आये! जरा इसके चेहरे का बढ़िया से फोटो खींचो! बहुत एसएसपी और आईजी के पास हमलोगों की शिकायत करती है!’ उनके कहने पर थाना में मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों ने अपनी मोबाईल से मेरी फोटो भी खींची. इसके बाद अजय कुमार ने मुझसे कहा कि, ‘केस-मुकदमे के चक्कर में मत पड़ो, चुपचाप घर पर बैठ जाओ नहीं तो किसी झूठे मामले में फंसाकर जेल भेज देंगे. जीना मुश्किल कर देंगे. समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी.’ इस दौरान थाना में मौजूद सभी पुलिसकर्मी ठहाके लगाकर हंसते हुए मेरे बारे में गंदी-गंदी बातें बोल रहे थे. पुनः अजय कुमार ने मुझे गाली देते हुए कहा कि- ‘चलो इस रंडी को इसीके घर पर ले जाकर इसकी इंक्वायरी करते हैं.’
ज्ञान भारती और अजय कुमार सहित कई पुलिसकर्मी दो जीप में मुझे और मेरी बेटी को साथ लेकर मेरे घर ले आये और मेरे चाचा और मेरी तथाकथित सौतेली माँ से कहने लगे कि- ‘इसका ईलाज कर दिये हैं.’ और दोबारा गाड़ी में बैठाकर मुझे और मेरी बेटी को पुनः जीप पर जबरन बैठाकर ततारपुर थाना ले जाने लगे. रास्ते में जब हम बहुत रोने-चीखने लगे तो हमें रात्रि के 9:15 के आसपास रास्ते में उतार दिया गया और मेरा मोबाईल व पर्स फेंककर मुझे वापस कर दिया गया. उतारते वक्त दोनों थाना अध्यक्षों ने मुझे धमकी देते हुए कहा कि-‘भविष्य में दोबारा अगर सौतेली माँ व चाचा पर कोई कांप्लेन करने की कोशिश की तो इससे भी बुरा हाल करेंगे.’
पुलिस वालों द्वारा मुझे और मेरी बेटी के साथ मारपीट करने से हम दोनों को गंभीर चोटें आईं जिसका ईलाज भागलपुर शहर स्थित सदर अस्पताल में चल रहा है. उक्त घटना से मैं और मेरी बेटी काफी भयभीत हैं. मुझे डर है कि पुलिस वाले मेरी कभी भी हत्या कर अथवा करा सकते हैं. मेरे ऊपर झूठे मुकदमे कर अथवा करवाये जा सकते हैं. मैंने इस पूरी घटना से आरक्षी महानिरीक्षक और एसएसपी को लिखित आवेदन व दूरभाष द्वारा देकर कार्यवाही की मांग भी की है. बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. आज भी आते-जाते हमारे ऊपर नजर रखी जा रही है और हमारा पीछा भी किया जा रहा है. हम दहशत के साये में जी रहे हैं.
इतना ही नहीं दिनांक 03/11/2016 की सुबह करीब 06:30 बजे तातारपुर थानाध्यक्ष, अजय कुमार एवं छः सात की संख्या में अन्य पुलिसकर्मी मेरे घर पर आए और मेरे घर का दरवाजा पीटते हुए घर के अंदर प्रवेश कर गए और मैं जिस कमरे में सोती हूँ उस कमरे का दरवाजा भी जोर – जोर से पीटते हुए भद्दी – भद्दी गाली देने लगे और कहा कि तुम थाना चलो, तुम मेरे और एस एस पी पर केस की हो. आज तुम्हारा उस दिन से भी बूरा हाल करेगें और मेरे कमरे के दरवाजा के सामने थानाध्यक्ष कुर्सी मंगाकर बैठ गए तथा उनके साथ आए अन्य पुलिसकर्मी भी उनके इर्द गिर्द खड़े थे जिस कारण न मैं अपनी नित्य क्रिया भी नहीं कर पा रही थी, ये लोग लगातार 09:00 बजे सुबह तक वहाँ बैठे रहे और मुझे प्रताड़ित करते रहे. इस घटना की जानकारी मैने अपने मोबाईल द्वारा श्रीमान् आई जी, भागलपुर और श्रीमान डी आई जी, भागलपुर को दी.उपरोक्त तथ्यों के आलोक में निवेदन है कि मनोज कुमार वरीय आरक्षी अधीक्षक, भागलपुर, ज्ञान भारती महिलाथाना अध्यक्ष, कोतवाली, भागलपुर, अजय कुमार, थाना अध्यक्ष, ततारपुर, भागलपुर, सहित चार-पांच की संख्या में सादे लिवास में पुलिसकर्मी जिसे देखने पर मैं पहचान सकती हूँ, के ऊपर ठोस कार्रवाई करते हुए अविलंब मुअत्तल करने की कृपा की जाय तथा साथ ही मेरे एवं मेरी बेटी के जान-माल की सुरक्षा व न्याय प्रदान की जाय.
विश्वासभाजन
(सपनासुमन)