कौन काट रहा उनकी चोटियाँ: एक तथ्यपरक पड़ताल

रजनीतिलक 


आजकल एक खबर ने पूरे देश में दहशत फैला दी है वह है रात के समय सोती हुई महिलाओं की उनके ही घर में चोटी का कट जाना. पिछले कई दिनों से अखबारों से लेकर टीवी चैनल में इस पर लम्बी बहसें चल रही है और महिलायें सहमी हुई सी इन खबरों को लगातार देख रही है, हम भी इस खबर की तह तक पहुंचना चाहते थे अतः पांच सदस्यों  का एक दल- संजीव चंदन भिखुनी  समांदीक्की, मनीषा कुमारी एवं रजनी तिलक- रविवार 6 अगस्त को दिल्ली देहात के रणहोला, तिलंगपुर कोटला (नजफगढ़) पहुंचा,यह जानने के लिए कि इन गावों में
जिन महिलाओं की चोटी काटी गयी है उनका सत्य क्या है?

हम लोगों  ने गाँव के बाहर एक चाय की दुकान पर बैठ कर चाय पी और वही से जानने की कोशिश की चोटी काटने की घटना कहाँ हुई है? हमारी बात को लापरवाही से उड़ाते हुए चाय वाले ने कहा हमें तो नहीं पता, बार बार पूछने पर उसने हाथ का इशारा गाँव की और किया और हम लोग कार में बैठ कर गावं की ओर गये फिर वहाँ किसी आदमी से पूछा कि चोटी वाली घटना कहाँ  हुई है उसने भी मुस्कुरा कर कहा हमें तो नहीं पता कहाँ हुई है .

गावं से निकलते हुए हमने एक औरत से पूछा तो उसने हमें सहजता से बताया कि गाँव में नया हनुमान मंदिर बन रहा है उसके पीछे एक औरत की चोटी कटी है. हम खोजते-खोजते हनुमान मंदिर पहुंचे, उस हनुमान मंदिर में पहले से ही छठ पूजा स्थल को तोड़ने के विरुद्ध कोई बैठक हो रही थी. 15-20  आदमी बैठ कर विचार कर रहे थे. संजीव चन्दन और मैं  हम दोनों पहले मंदिर में गए और उनसे चोटी काटने की घटना पर बात की तो उन्होंने कहा कि उससे भी बड़ा हमारा मुद्दा है पहले हमारी बात सुनें. उन्होंने बताया कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने हमारे छठ पूजा स्थल तोड़ दिया है और उसे स्कूल के लिए दे दिया है, जबकि यहाँ पहले से ही दो स्कूल है.

उन्होंने बताया कि यहाँ टोटल वोट 1800 हैं हम बिहारियों के 1350 वोट हैं और इस बार हमने अपने वोट भाजपा को दे दिए हैं इसलिए हमारा छट स्थल तोड़ दिया है, आप हमारी बात मिडिया तक पहुंचायें. हालांकि उनकी बात में आंशिक सत्यता थी. दरअसल आम आदमी पार्टी पूरी दिल्ली में व्यवस्थित छठ घाट बना रही है और जमीनें जो स्कूल या डिस्पेंसरी से लगकर हैं, उसे उन्हें दे दे रही है. लगा की यहाँ भाजपा बिहारी मतदाताओं की धार्मिक भावनाओं को सहला रही है. हमने उनसे फिर चोटी काटने वाली बात पूछी तो उन्होंने  किसी को फोन करके बुलाया. एक दुबला पतला लड़का मोटर साईकिल पर एक दुबली पतली लड़की को बैठा कर लाया. लड़की गर्भवती थी उसका चेहरा उतरा हुआ था. हमने जब उनसे पूछा कि आपकी चोटी कैसे कटी? तो उसने बताया मैं सो रही थी रात को साढ़े तीन बजे मेरे भाई को सपने में बिल्ली दिखी तो वह घबरा कर उठा तो उसने लाईट जलाई तो देखा मेरी चोटी के बालों की लट कटी पड़ी है उसने ही मुझे बताया.’ हमने पूछा घर बंद था तो उसने बताया कि दरवाजा थोडा सा खुला हुआ था. हमने पूछा कि क्या हम आपका घर चल सकते है ओ वे हमें अपने घर ले गये. इस घटना की विक्टिम का नाम सुनीता था (बदला हुआ नाम)जिसकी उम्र 27 वर्ष थी. अपनी जाति उन्होंने राजपूत बतायी और ये लोग यूपी के रहने वाले थे. घर में एक कोने में एक छोटा सा मंदिर भी था. इस  छोटे से कमरे में पति पत्नी और उनके दो बच्चे व पत्नी का भाई रहता था. सुनीता के चेहरे पर दोनों गालो पर आयरन की कमी के निशान काफी गहरे थे. संजीव चन्दन ने उनसे सवाल करने शुरू किये कि क्या आपको पता चला कि बाल कटे है? तो उसने कहा कि नहीं मैं तो सो रही थी. हमने पूछा ‘तो क्या आपने पुलिस में शिकायत की?’ पति पत्नी दोनों ने कहा, ‘नहीं क्या फायदा? अब जो हो गया सो हो गया पुलिस इसमें क्या करेगी? मनीषा ने पूछा ‘क्या आपको पहले से पता था कि महिलाओ की चोटी कटी जा रही है?’ सुनीता ने कहा, ‘हाँ कल ही तीन नम्बर गली में एक औरत की चोटी कटी थी मैं और मेरी पड़ोसन हम दोनों देखने गये थे.’ संजीव ने फिर पूछा ‘क्या आप लोग टीवी पर ये खबर देख रही हो ? दोनों औरतो ने कहा कि हम ये खबरें टीवी पर देख रहे है और डर भी लगता है.’ हमने पड़ोसन से भी कुछ बात करने की कोशिश की तो उसने जबाब देने से इनकार कर दिया. हमने सुनीता की कटी चोटी देखी तो हमें थोडा अजीब लगा कि एक लट तो उसकी थी पर दूसरी लट दोनों तरफ से मूछों जैसी पैनी थी, जैसे यह लट बाहर  से ला कर मिला दी गयी हो, क्योंकि बालो की ये लट उसके बालो से मिल नहीं रही थी और कटे बाल दोनो ओर से नुकीले नहीं हो सकते. यह बात सही है कि बहार का दरवाजा बंद था, परन्तु इस मकान में तीन चार किरायेदार रहते थे सबके दरवाजे सटते हुए थे. इस परिवार ने पुलिस में शिकायत तो दर्ज नहीं करायी लेकिन हैरानी की बात है कि मीडिया में खबर पहुँचाने की उत्सुकता उनमे देखी गयी.

सुनीता को पीर बाबा का झाडा लगवाया गया ताकि कोई बुरी शक्ति से उसका बचाव हो सके. सुनीता का भाई हमें घर पर नहीं मिला. सुनीता ने यह भी बताया कि किसी बूढ़े  आदमी की झलक उसे सपने में दिखी हम जब लौट रहे थे तो हमने सीढियों पर एक बूढ़े आदमी को खड़ा देखा था. सुनीता के घर से निकल कर हम दूसरे केस तीन नम्बर वाली गली के पास गये. घर कच्ची ईंटो  का बना था और लोहे का गेट लगा था. हमने गेट थपथपाया तो एक छोटे से लड़के ने गेट खोला और हमने कहा कि आपकी मम्मी से मिलना है. उसकी मम्मी कमरे से बाहर आई और हम आँगन में जा कर खड़े हुए तो वह एक कुत्ता था जिसके बारे में हमने कहा पहले इसे बाँध दो, उन्होंने कुत्ते को बाँध कर हमारे लिए खाट बिछा दी. यह परिवार पाल जाति से था इनके दो बच्चे थे एक लड़का जो सातवी में पढता था और लड़की नौवीं में थी. रेखा (बदला हुआ नाम) के पति राज मिस्त्री का काम करते हैं,  बल्कि ठेकेदारी भी करते हैं. इनके घर में बालाजी भगवान पूजे जाते हैं. हमारे पूछने पर कि चोटी कैसे कटी, रेखा ने बताया कि ‘रात एक बजे तक मियां बीबी जागे हुए थे और चाय बना कर पी. एक खाट पर बेटा और पति सो गये और एक पर हम माँ-बेटी सो गयीं. सुबह पांच बजे मैं पेशाब के लिए उठी तब तक भी सब ठीक था. सुबह उठी तो देखा मैंने सर पर हाथ फेरा तो एक लट हाथ में आ गयी, मैंने अपने बच्चों को ही बताया था. बच्चों  ने बच्चों को बताया तो लोगो को पता चला. हम उस दिन किसी काम से गये थे शाम को चार बजे आये तो लोगो ने समझा हम पुलिस में शिकायत करने गये है .हमने कहा कि पुलिस में क्यों नहीं शिकायत दर्ज करायी? रेखा ने कहा क्या फायदा पुलिस के चक्कर में? हमारा बचाव तो हमारे बालाजी बाबा ने कर दिया वो हम पर आंच नहीं आने देता. हमने बाल की लट देखनी चाही तो उसने बताया, ‘हमने आज कूड़े में फेक दिये.’ रेखा बड़ी दबंग टाईप औरत थी उसके थोड़े से ही बाल नुचे थे. कुत्ता भी उसकी खाट के नीचे ही बंधा हुआ था. उससे पूछा क्या आपक सर में दर्द है या आपको डर लग रहा है उसने कहा न मुझे डर लगता न सर में दर्द है.

इस केस के बाद हम श्यामवती (बदला हुआ नाम) का घर खोजते हुए उसके घर पहुंचे तो पता चला कि वो अपने भाई के घर राखी बंधने गयी है है. घटना का ब्यौरा इस प्रकार था कि इनके घर में जन्मदिन था. जन्मदिन के बाद श्यामवती बाथरूम में गयी फ्रेस होने तो वह  वहा बेहोश हो गयी और उसकी चोटी कटी हुई थी उसके सर में दर्द था और उसे उल्टियां हो रही थीं. इस मामले में केस दर्ज करवाया गया. हमने आसपास बात की तो लोगो ने कहा पता नहीं क्या बात है , विश्वास तो नहीं होता पर केस बढ़ तो रहे हैं. पुलिस जांच क्यों नहीं कर रही.  यहाँ से निकल कर हम पुलिस स्टेशन पहुंचे.

 वहां हमे ए.एस.आई संदीप से मिलना था. वे हमें वहाँ नहीं मिले.  हमने उनके ही चैंबर के बगल में दूसरे चैम्बर में बैठे एक अन्य पुलिस अधिकारी से इस मुद्दे पर बातचीत की तो उसने कहा, ‘ये कोई भ्रम है या कोई मानसिक दबाब द्वारा होने वाली घटनाए हैं. उन्होंने शिवनगरी में एक अन्य केस के बारे में बताया कि एक 18 वर्ष की लड़की की चोटी उसके घर में ही कटी, घर चारो तरफ से बंद था. जब हमने तलाशी ली तो बहुत सारी  छोटी-छोटी कैंची हमें मिली. हमने लड़की से बात की उससे बार-बार पूछा उसके सही जबाब न देने पर झूठ बोलने की मशीन पर ले जाने की बात की तो उसने हमारे साथ आने से मना कर दिया.’

जादू टोने की बात मैंने अपने बचपन से अपने आसपास की महिलाओं से खूब सुनी थी. मुझे याद है कि औरतें कभी कभी जिनको बच्चे नहीं होते थे उन्हें तांत्रिक यह सुझाव देते थे कि कि किसी की चोटी काट लाओ मैं पूजा कर दूंगा तुम्हारे बच्चे हो जाएंगे. कभी-कभी औरतें  किसी का बुरा करने के लिए भी ऐसे टोटको का सहारा लेती थी. बेबसी, अनपढ़ता, उपेक्षा, प्रताड़ना, इच्छा पूरी करने की जिद्द, अंधविश्वास, मिथ्या विश्वास, इर्ष्या, भावनात्मक ठेस, कुंठा के साथ-साथ अतृप्त इच्छाए भी मनोविकार बन जाती है. महिलाओं के शारीर हार्मोन परिवर्तित होने पर भी हिस्टीरिया के दौरे पड़ते हैं, कुछ मामलों में महिलायें अपने प्रति बरती जा रही उपेक्षा को दूर करने के लिए, सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए भी कुछ ऐसे कृत्य कर बैठती हैं कि न केवल परिवार का बल्कि आसपास के लोगों का ध्यान भी उसकी तरफ खीचा चला आता है.


चोटी काटने के पूरे देश में 100 से ज्यादा केस हुए, उनमें ज्यादातर 40 से उपर की महिलायें हैं, कुछ नवयुवतियां और किशोरियां. एसा अचानक क्या हुआ जो रातो रात सोते सोते स्त्रियों की चोटियों को काटे जाने की घटनाए बढ़ने  लगी? सबसे पहला केस जोधपुर में हुआ उसके बाद हरियाणा- मेवात, पलवल,फरीदाबाद ,नुहू. महेंदरगढ,रेवाड़ी, उतरप्रदेश- आगरा, नौएडा, बुलंदशहर, कुशी नगर,खुर्जा हापुड़ ,मोदी नगर, मध्यप्रदेश में छतरपुर. बुंदेलखंड,और दिल्ली के देहातों में ऐसी घटनाओं के कारण महिलाओ में भय और दहशत फैल रहा है वे घर से बाहर निकलना बंद कर रही है. आगरा में चोटी काटने के शक में एक वृद्ध महिला की ह्त्या भी कर दी गई. हैरानी की बात ये है कि ये सब घटनाए भाजपा शासित राज्यों में ही क्यों सर उठा रही है ? क्या ये सुनियोजित षड्यंत्र है या प्रायोजित ड्रामा ?

या हम ये मान ले ये कोई वायरस है जो सोती हुई औरतो की चोटियों को काट रही है और उनेह बेहोश करके उनके दिमागों को त्रस्त कर रही है ?

समय पर ऐसे डरावने और शोक संतप्त करने वाले कृत्य समाज में आते हैं और नागरिकों  को डराते हैं. उनके साथ लूट खसोट करते हैं.  परन्तु इस बार महिलाओं पर इस तरह का हमला उन्हें नियंत्रण में लेने की कोशिश की कोई सुनियोजित कार्यवाई है. हमारा समाज अंधविश्वास में जल्दी ही फँस जाता है क्योंकि हमारी धार्मिक शिक्षायें ही इसका स्रोत है.


पैटर्न:
इस फैक्ट फाइंडिंग प्रक्रम के दौरान कुछ ख़ास पैटर्न हमें दिखे, जिससे इस घटना के पीछे काम कर रही मानसिकता को समझा जा सकता है.


1. लगभग सारे मर्द इस घटना के प्रति उपेक्षा भाव रख रहे हैं, वे कायदे से इसके बारे में बात करने के प्रति भी          उदासीन दिखे. महिलाओं और बच्चों के बीच इसकी चर्चा है और बात फैलने के माध्यम भी वही हैं.
2. जिन महिलाओं की चोटियाँ कट रही हैं वे मीडिया को सबसे पहले खोजती हैं. पुलिस को इस मामले में नकारा      मानती हैं.
3. पीड़ित महिलायें प्रायः निम्न मध्यवर्ग की घरेलू कामकाजी महिलायें हैं.
4. प्रायः सभी टीवी, इन्टरनेट पर चोटी कटने की घटनाओं को लगातार देख रही हैं और ऐसा खुद के साथ होने        को  लेकर आशंकित  रही हैं.
5. प्रायः सभी पीड़िता आस्थावान और तांत्रिकों, बाबाओं या किसी ख़ास देवता को मानने वाली हैं.
6. पुलिस इसे मॉस साइको समस्या के रूप में देख रही है और यह मान कर चल रही है कि वे स्वयं ऐसा कर रही        हैं इसलिए पुलिस का जूरिसडिक्शन नहीं बनता. 

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