दो लाख ले लो और मेरा पति लौटा दो: महाराष्ट्र सरकार से किसान विधवायें

महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कीटनाशकों के छिडकाव से मारे गये किसानों की विधवायें भीख मांगकर सरकार को दो लाख रूपये देना चाहती हैं, और अपने मृत पति के वापसी चाहती हैं. ऐसा वे सरकार द्वारा उन्हें बतौर मुआवजा  दिये जा रहे दो लाख रूपये और मुम्बई में स्टेशन हादसे में मारे गये लोगों को 5 लाख रूपये दिये जाने के प्रति रोष व्यक्त करने के उद्देश्य से कर रही हैं. इस बीच आम आदमी पार्टी के नेता जम्मू आनंद ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दाखिल कर मृतक के परिवारों को 20 लाख रूपये और प्रभावितों को 10 लाख रूपये के अतिरिक्त प्रतिबंधित दवाएं बेचने वाली कंपनियों और अधिकारियों पर ह्त्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है. राज्य की भाजपा सरकार शाख बचानाने के लिए आंशिक रूप से हरकत में दिख रही है. यवतमाल से नितिन राउत की रिपोर्ट: 

यवतमाल के अस्पताल में दाखिल प्रभावित किसान

महाराष्ट्र के यवतमाल की किसान विधवायें भीख मांगकर दो लाख रूपये सरकार को देना चाहती हैं और अपना पति वापस चाहती हैं. पिछले दिनों यवतमाल जिले में फसलों पर कीटकनाशक का छिडकाव करते समय कीटकनाशक के प्रभाव में आने से 21 किसानों की मौत हो गयी थी. महाराष्ट्र सरकार मुआवजे के तौर पर मृत किसान के परिवार को 2 लाख रुपये देने की घोषणा कर चुकी है. लेकिन इस मुआवजे पर एक किसान की पत्नी ने ऐतराज जताया. वह सवाल करती है कि ‘मुंबई स्टेशन पर दुर्घटना में मरने वालों को 5 लाख रुपये तो किसानों की मौत की कीमत 2 लाख क्यो? वह इस भेदभाव से दुखी है और सरकार को भीख मांगकर 2 लाख देकर उसका पति वापस चाहती है.’

बंडू सोनोले की मौत जहरीले कीटकनाशक के छीडकाव से हुई थी .लेकीन पति के गुजर जाने के महज चंद दिनो बाद उनकी पत्नी गीता को सरकार बडा जख्म दे रही है. गीता की तरह सारी किसान विधवायें सरकार के फैसले से दुखी हैं. इस बीच आम आदमी पार्टी के नेता जम्मू आनन्द ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में किसानों के लिए 20 लाख रूपये की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है.

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यवतमाल जिले में रोष व्याप्त है. इस रोष के कारण ही राज्य सरकार के एक मंत्री पर उसी जहरीले कीटनाशक के छिडकाव की कोशिश की गई, जिससे किसान मरे. किसान इस बात से भी नाराज हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री अबतक किसानों से मिलने यवतमाल नहीं पहुंचे. जाँच के लिए कई समितियों गठन किया गया. एक समिति की रिपोर्ट के बाद जिला कृषि विकास अधिकारी को निलम्बित कर मामले की लीपापोती की शुरुआत हो गयी है.



महाराष्ट्र का यवतमाल एक ऐसा जिला है जो किसान मौत के चलते सुर्खियो मे रहता है साल दर साल दिल दहला देने वाले आंकड़े यवतमाल से आते हैं. इसी जिले की किसान विधवा कलावती के घर राहुल गांधी के जाने के बाद पूरे देश को किसान विधवाओं का दर्द पता चला था. आज जहरीले छिडकाव के चलते यवतमाल मौत की बंदरगाह बन चुका है .यवतमाल के साथ  बुलडाणा, गोंदिया, भंडारा, अकोला जिले में अबतक 34 किसानों की मौत ऐसे ही कीटनाशकों के छिडकाव के दौरान हुई है. तकरीबन 700 से अधिक किसान विषबाधा से बाधित है . 25 किसानों के अंधा होने की नौबत आ पडी है .

कीटकनाशक से विषबाधा का प्रकरण नया नहीं है. पिछले साल भी 150 किसानों को कीटनाशक छिडकाव करते समय विषबाधा हुई थी, उनमें से 6 किसानों की मौत हो गयी थी. लेकिन सरकार ने ठोस कदम नही उठाये. समय रहते सरकार ठोस कदम उठाती तो इन मासूम किसानों की मौत नहीं होती .

भारत मे कई जहारीले कीटनाशकों पर पाबंदी होने के बावजूद धडल्लेसे कीटकनाशक बेचे जाते हैं. जिसमें  कोब्रोरील , ट्रायझोफोज , डायक्लोरोव्ह जैसे कीटनाशक शामिल हैं . कपास पर आनेवाली कीटकनाशकों के लिये मालेथियोन, एन्डोसल्फान , कार्बारील , कॉपरऑक्सिक्लोराईड , वेटेबर, सल्फर , थायरम आदि जहरीली औषधी का इस्तेमाल होता है.   इस जहरीले व्यापार से सरकार अच्ची तरह से वाकीफ है मगर व्यापारियों के दवाब में सरकारें कारवाई करने से बचती हैं. कृषि मंत्रालयने 18 जानलेवा कीटकनाशकों में से 12 पर 2018 से रोक लगाई है. पर 6 जानलेवा कीटकनाशक बाजार मे धडल्ले से बिकते नजर आ रहे. इन्हें 2020 तक बेचने की अनुमति सरकार द्वारा दी गयी है.

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फ़ाइल फोटो: स्त्रीकाल

कृषि विभाग द्वारा इन जहरीले कीटकनाशको की जांच होनी थी.  लेकीन कृषि विभाग के अधिकारी किसान के खेतों तक क्यों पहुंचेंगे भला! हालांकि इसके लिये कृषि अधिकारी , कृषि सेवक, गुणवत्ता नियंत्रक आदि की नियुक्ति की जाती है. किसानों को  इसकी जानकारी देना बेहद जरुरी थ, क्योंकि कीटकनशक पर लिखी गई जानकारी अग्रेजी में लिखी होती है , जो किसानों के समझ से परे है.

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच की सख्ती 
इस दर्दनाक हादसे के बाद जहां राज्य भर में किसानों के बीच आक्रोश है वहीं राज्य के और राष्ट्रीय मीडिया का रुख विचित्र है. कई बड़े मीडिया चैनलों और वेबसाईट पर इस मौत की वजह सिर्फ प्रशिक्षण का अभाव और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन बताया जा रहा है. इसी चोर दरवाजे से भाजपा की सरकारों (राज्य और केंद्र) के बच निकलने का रास्ता है, क्योंकि मुख्य कारण जहरीली और हानिकारक दवाइयों की बिक्री पर वास्तविक रोक न होना है.’ आम आदमी पार्टी के नेता जम्मू आनंद ने नागपुर हाई कोर्ट में उन कंपनियों के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए जनहित याचिका दायर की है, जो प्रतिबन्धित दवाएं बेच रही हैं. जम्मू कहते हैं , ‘ 3 दर्जन से अधिक किसान इस छिडकाव से मरे और 700 से ज्यादा प्रभावित हैं. इसीलिए न्यायिक जांच की मांग करते हुए मैंने याचिका डाली है. याचिका में न्यायिक जांच अथवा विशेष जांच समिति का गठन कर जाँच  के अलावा दोषी अधिकारी और कंपनियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग की गयी है, साथ ही मृत किसान परिवारों को 20 लाख तथा प्रभावित किसान परिवारों को 10 लाख रूपये की मुआवजे की मांग भी शामिल है.’ याचिकाकर्ता ने मांग के है कि कीटनाशक कंपनियों, दोषी अधिकारियों और फुटकर विक्रेताओं पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304(सदोष मानव हत्या) और कीटनाशक कानून की धरा 29 के तहत एफआईआर दर्ज की जाये तथा प्रतिबंधित और जहरीली दवाओं की बाजार में उपलब्धता पर रोक लगाई जाये, साथ ही मौजूद दवाओं को जब्त कर संबंधित दुकानों को सील किया जाये.
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यवतमाल में किसानों के बीच आप नेता जम्मू आनंद

मुनाफाखोरी में सरकार और कंपनियों की मिलीभगत 
आप नेता जम्मू आनंद ने स्त्रीकाल से बातचीत करते हुए कहा कि ‘कीटनाशक कानून 1968 व कीटनाशक नियम 1971 के प्रावधानों का राज्य में कडाई से पालन नहीं होता है. मुनाफाखोरी के लिए कम्पनियां किसानों की जान से खेल रही हैं और सरकार तथा नेताओं का उन्हें संरक्षण प्राप्त है.

क्या है ‘ कीटनाशक कानून 1968 व कीटनाशक नियम 1971
मई 1958 में केरल व चेन्नई में कीटनाशक का छिडकाव के वक्त प्रभावित सैकड़ों किसानों की मौत हो गयी थी. उसकी जांच के लिए बनी समिति ने कीटनाशकों के उपयोग, बिक्री और इस्तेमाल के लिए नियम बनाने की संस्तुति की थी, जिसके अनुसार 2 सितम्बर 1968 से कीटनाशक क़ानून देश में लागू है. क़ानून की धारा 36 के अनुसार कीटनाशक के उपयोग के लिए नियम 1971 में बने से लागू हुआ. इसके अनुसार किसानों को प्रशिक्षण देना, कीटनाशक से सरंक्षण के लिए उपकरण और कपड़े आदि देना अनिवार्य है.

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प्रभावित किसान परिवार


याचिका का असर

8 अक्टूबर को याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट का रुख महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ काफी कडा था. नोटिस करते हुए कोर्ट ने जिले के अधिकारियों ने व्यक्तिगत स्तर पर यह हलफनामा दाखिल करने को कहा कि उन्होंने जिले में प्रतिबंधित कीटनाशकों की बिक्री पर रोक, जहरीले कीटनाशकों के छिडकाव के लिए प्रशिक्षण देने और किसानों की मौत के बाद दोषियों पर कार्रवाई के लिए क्या-क्या कदम उठाये हैं. हरकत में आई सरकार के मुखिया देवेन्द्र फडनवीस ने विशेष जाँच समिति का गठन कर दिया है और घोषित किया है कि दोषियों के खिलाफ एफआईआर भे दर्ज करवाई जायेगी.

नितिन राउत अमरावती जोन से पत्रकारिता करते हैं, मराठी की सरोकारी पत्रकारिता में स्थापित होता नाम. सम्पर्क: 9767777917

तस्वीरें गूगल के माध्यम से सम्बंधित वेबसाईट से साभार




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