आदिवासी युवती की हत्या को आत्महत्या करार देने की पुलिसिया साजिश (सामूहिक बलात्कार की भी आशंका)

किसके दवाब में वर्धा, महाराष्ट्र  की पुलिस, महिला एसपी सहित, आदिवासी युवती की हत्या को आत्महत्या करार देने में लगी है? लाश जिस हालत में मिली है उससे उसके साथ सामूहिक बलात्कार की भी आशंका जता रहे आदिवासी नेता और उसके परिवार के लोग.  शुभांगी संभरकर  एवं डॉ. मुकेश कुमार की रिपोर्ट: 

वर्धा, 24 अप्रैल, 2018. महाराष्ट्र के वर्धा जिले के दहेगाव में एक 19 वर्षीय आदिवासी युवती शुभांगी ऊईके की गैंगरेप के बाद बर्बरतापूर्ण हत्या का मामला सामने आया है। युवती की नग्न और क्षत-विक्षत लाश बरामद हुई, किन्तु पुलिस ने उसे आत्महत्या का मामला ठहराकर दबाने की कोशिश की। आदिवासी भूमिहीन किसान परिवार की यह बेटी अपने पूरे गाँव में पढ़ाई में काफी होशियार और हिम्मती लड़की मानी जाती थी। वर्ष 2016 में उसने दसवीं कक्षा में दहेगाव के यशवंत स्कूल में टॉप किया था। गाँव की अन्य लड़कियों के माता-पिता भी अपनी लड़कियों की सुरक्षा के प्रति शुभांगी पर भरोसा रखते थे और कहते थे कि चलो शुभांगी के साथ पढ़ने जा रही है तो चिंता की कोई बात नहीं। उसे पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और प्रकृति से काफी लगाव था।

ज्ञात हो कि शुभांगी का 19 मार्च 2018 की शाम को अपहरण कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। उसके बाद साक्ष्य मिटाने की मंशा से जालिमों ने पहले उसकी हत्या कर निर्वस्त्र अवस्था में ही उसकी लाश को रेल पटरी पर लिटा दिया। मुम्बई- नागपुर रेल मार्ग पर ट्रेन के गुजरने से उसका शव टुकड़ों में बंट गया। कमर से ऊपर और नीचे दो टुकड़ों में शव बरामद हुआ। उसका सिर इतनी बुरी तरह से कुचला हुआ था कि लाश को पहचानना भी मुश्किल था। प्रथम द्रष्टया ही यह पूरा मामला ठंढे दिमाग से रची गई गैंगरेप-ह्त्या की साजिश मालूम पड़ती है। इस पूरे घटनाक्रम को तफसील से समझने पर पूरा चित्र सामने आ जाता है। मृतक युवती के परिजन बताते हैं कि 13 मार्च 2018 को शुभांगी अपने पूरे परिवार के साथ जोगा गाँव (तालुका- सावनेर, जिला- नागपुर) अपने रिश्तेदार के यहाँ एक शादी में गई थी। शादी के बाद 15 मार्च 2018 को शुभांगी के परिजन घर लौट आए। चार दिन बाद यानी 19 अप्रैल 2018 को अपने चचेरे भाई के साथ मोटर साइकिल से तकरीबन 11:30 बजे दिन में वह दहेगाव अपने गाँव की ही एक सहेली की बड़ी बहन की सगाई में शामिल होने के लिए आई। दहेगाव पहुँचने के बाद वह दहेगाव चौक पर ही उतर गई और गाँव की अपनी अन्य दो सहेलियों से मिली। उसके कुछ देर बाद अपनी एक सहेली के साथ वह दोपहर में यशवंत कॉलेज माहाविद्यालय दहेगाव कॉलेज अपने काम से गई। उसके गाँव के एक व्यक्ति सुनिल नारायण खंडाते ने लगभग 1:30 बजे के दौरान उसे गाँव के दो युवक (विवेक लोटे और कुळसंगे) के साथ बातचीत करते हुए देखा भी था। इस दौरान उसके साथ उसकी एक सहेली भी पूरे समय तक मौजूद थी।

पुलिस द्वारा शुभांगी की सहेलियों और उक्त दोनों युवकों से ली गई गवाही के मुताबिक़ उनकी मुलाकात हुई और बातचीत खत्म होने के बाद शुभांगी ने उसमें से एक युवक को अपना मोबाइल चार्ज करने के लिए दे दिया। और फिर वहां से दोनों सहेलियां सगाई में पहुँची। शाम के लगभग 4:30 बजे तक शुभांगी अपनी सारी सहेलियों के साथ सगाई में रही। इसके बाद शुभांगी की सारी सहेलियां अपने-अपने घर चली गईं और शुभांगी अपने घर की तरफ रहने वाली एक सहेली के साथ अपने घर को निकल गई। दोनों दहेगाव के गुरुदेव चौक पहुँची, वहाँ से उसकी सहेली अपने घर चली गई। गुरुदेव चौक से शुभांगी का घर लगभग डेढ़ किमी की दूरी पर है। शुभांगी अकेली अपने घर की ओर चल पड़ी लेकिन वह घर नहीं पहुँच पाई।

शाम लगभग 6:30 बजे के आस-पास शुभांगी की बड़ी बहन ने उसकी एक सहेली को फोन किया और पूछा कि शुभांगी अभी तक घर क्यों नहीं आयी? इसपर उसकी सहेली ने बताया कि वह तो घर के लिए लगभग 4:45 बजे ही निकल गई थी। मृतक की बहन ने उसकी सहेली को सूचित किया कि शुभांगी अभी तक घर नहीं पहुँची है। इसके बाद शुभांगी की उस सहेली ने विवेक लोटे नामक युवक को कॉल करके बताया कि शुभांगी अभी तक घर नहीं पहुँची है। शुभांगी के लापता होने की खबर सुनकर उसकी सहेलियां भी उसे ढूंढने के लिए निकल पड़ी। लेकिन शुभांगी का कोई पता नहीं चल पाया।

रिजनों ने बताया कि इस घटना की जानकारी मिलने पर शुभांगी की सहेलियाँ उसके घर आई और शुभांगी के न मिलने पर सभी चिंतित हो उठे। और उसके पिता, भाई और चचेरा भाई 19 तारीख को ही लगभग 9:30 से 10:30 रात्रि के बीच दहेगाव पुलिस स्टेशन एफआईआर कराने पहुँचे। ‘शुभांगी का आवासीय प्रमाण-पत्र लेकर आओ तब 24 घंटे के बाद एफआईआर दाखिल करेंगे’- यह कहकर पुलिस द्वारा शुभांगी के परिजनों को वापस भेज दिया गया। निराश व बेबस होकर परिजनों को घर लौटना पड़ा।

20 अप्रैल 2018 को सुबह परिजनों को पता चला कि रेलवे ट्रैक पर रात में किसी 35 वर्ष के आस-पास के उम्र की महिला का कटा हुआ शव मिला है। इस सूचना पर परिजनों को लगा कि शुभांगी तो सिर्फ उन्नीस साल की है, इसी कारण लाश को देखने कोई नहीं गया। पुलिस ने लाश को तब तक पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। किन्तु 9 बजे सुबह के आसपास शुभांगी का भाई और उसकी एक सहेली के पिता जिस जगह से लाश बरामद हुई थी, वहां देखने पहुंचे तो उन्हें एक सफ़ेद स्टॉल, चप्पल और पैर का कटा हुआ पंजा दिखा। हालांकि इसके आधार पर वे लोग भी इसकी शिनाख्त नहीं कर पाए और वहां से लौट आये। कुछ देर बाद शुभांगी की मां भी घर आ गई, जो अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ गई हुई थी। मां को जब इसकी जानकारी मिली तो वह रेलवे पटरी पर यह देखने पहुँची कि कहीं वह शुभांगी के ही कपड़े आदि तो नहीं हैं। जब कटे हुए पंजे और दुपट्टे को उन्होंने देखा तो मानो उनके पैरों के निचे से जमीन खिसक गई। उन्होंने तुरत अपनी लड़की के पैर का पंजा, सफेद दुपट्टा और चप्पल पहचान ली। उन्हें लेकर वे पुलिस स्टेशन पहुँचे, लेकिन फिर भी पुलिस ने उनकी एफआईआर दर्ज नहीं किया और उलटा लड़की की माँ को यह कहते हुए डांट-फटकार लगानी शुरू की कि- ‘अपनी लड़की को तुमने किस तरह के संस्कार दिये हैं!’ इससे भी पुलिस की पितृसत्तात्मक स्त्रीविरोधी मानसिकता का पता चलता है। उसके बाद पुलिस ने उनके पास से शुभांगी के पैर का पंजा और अन्य बरामद सामान लेकर पैर के पंजे को भी वर्धा के सरकारी अस्पताल भेज दिया। पुलिस के द्वारा यह कहा गया कि पोस्टमार्टम के बाद पहले शव का अंतिम संस्कार कर लो उसके दो- तीन दिन बाद एफआईआर होगा।

शुभांगी की माँ के अनुसार बीस अप्रैल की शाम को उसकी कुछ सहेलियां भी एफआईआर दर्ज कराने पुलिस थाने गई थी किन्तु पुलिस ने उनकी भी एफआईआर दर्ज नहीं की। इन लड़कियों का कहना था कि गाँव का एक लड़का शुभांगी को पहले से ही छेड़ता रहता था।

मृतक शुभांगी जिस हालत में रेलवे पटरी पर पाई गयी थी वह अत्यंत  संदेह पैदा करती है। लाश पूरी तरह से नग्न थी और लाश के दो टुकड़े ऐसी जगह से हुए थे कि बलात्कार के मेडिकल रिपोर्ट की जांच ही न हो पाये। इतने सारे प्राथमिक सबूतों के बावजूद शुरू से ही पुलिस इस पूरे मामले को आत्महत्या करार देकर रफा-दफा करने की कोशिश में जुटी रही। युवती की लाश निर्वस्त्र स्थिति में पायी गई थी। इससे अहम् सवाल तो यह पैदा होता है कि कोई लड़की निर्वस्त्र होकर आत्महत्या क्यों करेगी? मृतक के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, सिर्फ उसकी समीज हाथ में टंगी थी जिस पर खून का एक कतरा तक नहीं था। शव कमर के नीचे से कटी हुई थी और सिर पूरी तरह से तहस-नहस था। सिर से भेजा व नसें पटरी पर बिखरी पड़ी थीं और सिर के बाल बिखरे पड़े थे। आंख सफेद होकर बाहर निकल आई थीं और मानो कुछ कह रही थी। उसके अंगों मे नुकिले पत्थर धंस गए थे। एक पैर के दो टुकड़े और दूसरे पैर का सिर्फ एक पंजा और कुछ छोटे-छोटे टुकड़े बिखरे पड़े थे।

इसके बावजूद पुलिस युवती के निर्वस्त्र शव की बरामदगी को छिपाने में लगी हुई है। पूरे मामले में स्थानीय पुलिस की खुलकर लापरवाही सामने आई है। एक तो पुलिस ने पहले एफ़आईआर दर्ज करने में ही आनाकानी की और जब सामाजिक दबाव बना तब पुलिस ने घटना के सात दिन बाद दर्ज की। दर्ज एफआईआर में पुलिस ने शातिराना ढंग से झूठी कहानी गढ़ते हुए इसे आत्महत्या करार देने की ही कोशिश की। इसके लिए पुलिस ने कई गवाह भी तैयार कर लिए। पुलिसिया एफ़आईआर के मुताबिक़ अनिल कुमार सचान (स्टेशन प्रबंधक) तुलजापुर तहसील सेलू इनके जरिए राष्ट्रपाल दादाजी माटे (उम्र 53 वर्ष) साल, काम नौकरी (काटेवाले) निवासी दहेगाव (ग्रामीण) ने पुलिस स्टेशन में जाकर लिखित पत्र दिया कि तुलजापुर से सेलू रोड स्टेशन के दरम्यान अप मार्ग पर एक महिला की लाश (लगभग उम्र 35 साल) पड़ी है। इसके अनुसार स्टेशन डायरी अमलदार पुलिस हवलदार संतोष कामडी (बैच नम्बर-713) ने 19 अप्रैल को लगभग 18:10 (शाम 6 बजकर 10 मिनट पर) दर्ज किया। ड्यूटी पर तैनात पुलिस हवलदार संघपाल इंगोले (बैच नम्बर-1065) और सिपाही रवि पुरोहित (बैच नम्बर-1245) दो पंचों के साथ घटना स्थल पर जाकर पंचनामा कर लाश को वर्धा स्थित सरकारी अस्पताल भेज दिया। दर्ज एफआईआर में पुलिस ने यह भी लिखा कि अँधेरे की वजह से मृतक के शरीर के सारे अंग बरामद नहीं हो पाए थे, जिसे अगले दिन यानी 20 मार्च को प्रातः कुछ पंचों के साथ घटना स्थल पर जाकर इकठ्ठा कर पुनः वर्धा अस्पताल पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया। जबकि सच्चाई यह थी कि मृतक युवती के परिजनों ने यह सब रेलवे ट्रैक के आसपास से बरामद कर स्थानीय पुलिस को सौंपा था।

अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी के विदर्भ अध्यक्ष चंद्रशेखर मडावी ने बताया कि जब 24 तारीख को वे मृतक के परिजनों से मिलने गये तो परिजनों ने उनके समक्ष पूरी घटना बयान की। इसके बाद वे दहेगाव पुलिस स्टेशन पुलिस से मामले की जानकारी लेने पहुंचे। पूछताछ के दरम्यान पुलिस कर्मियों ने कई निराधार बयान दिए, जो घटना से मेल नहीं खा रहे थे। तब तक पुलिस ने कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं किया था। चंद्रशेखर के कहने पर भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं किया। इसके बाद 26 मार्च को मृतिका के परिजन वर्धा जिले के जिला परिषद अध्यक्ष नितिन मडावी से मिलने उनके वर्धा स्थित कार्यालय पहुंचे। युवती के माता-पिता ने जिप. अध्यक्ष को पूरे मामले की विस्तृत जानकारी दी। सारी बात जान लेने के बाद जिला परिषद अध्यक्ष ने एसपी को फोन पर घटना के बारे में बताया। तदुपरांत एसपी ने उन्हें उक्त गाँव जाने का आश्वासन दिया। इस संदर्भ में वर्धा जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) निर्मला देवी 26 मार्च की शाम 4 बजे दहेगाव पहुँची। पुलिस स्टेशन पर पहले से ही अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी के चन्द्रशेखर मडावी मौजूद थे। उस वक्त सभी लोगों ने पुलिस थाने को घेर कर रखा था। एसपी ने पुलिस थाने के दरवाजे पर आकर सबके सामने लोगों से बातें की। चंद्रशेखर ने 24 मार्च को पुलिस विभाग द्वारा दिए गए निराधार बयानों को एसपी के सामने उजागर किया था कि किस तरह उनके पुलिस अधिकारी और कर्मचारी घटना के पहले दिन से ही इस हत्या को आत्महत्या का रूप देना चाह रही थी जिसमें स्थानीय पुलिस अब तक कामयाब रही। पुलिस ने शुरू से ही लापरवाह एवं पितृसत्तात्मक दुर्भावना से ग्रस्त होकर घटना की छानबीन ही नहीं की और झूठी कहानी गढ़कर जांच को उस दिशा में जाने ही नहीं दिया। जिसके कारण पूरा मामला ही डायल्यूट हो गया। थानेदार विलास काळे, केस के जांच अधिकारी रामकृष्ण गजानन भाकडे तथा पुलिस कांस्टेबल रवि पुरोहित ने घटना को कभी गंभीरता से लिया ही नहीं। इतना ही नहीं पुलिस ने उलटी दिशा में काम करते हुए मृतक की लाश निर्वस्त्र प्राप्त होने के बावजूद इस बात को दबाते हुए उसे कपड़े पहने हुए बताने का षड्यंत्र रचती रही।

चंद्रशेखर ने हमें बताया कि इस बारे में उन्होंने जब एसपी को जानकारी दी कि 19 से 24 मार्च तक मृतक की मृत देह पर कोई कपड़े न मिलने की बात सर्वविदित थी, किन्तु जैसे ही हमने इसपर सवाल उठाया उसके आधा घंटे बाद पुलिस मृतक के कपड़े प्राप्त होने और उसे परिजनों को सौंपने की बात कहने लगी। स्थानीय पुलिस ने पहले बताया कि कपड़े मृतक के मामा को दे दिया गया था। लेकिन जब परिजनों ने मृतक के मामा को पुलिस की मौजूदगी में ही फोन लगाकर इसके सम्बन्ध में पूछा तो इस बात से मामा ने साफ़ इन्कार किया। तब पुलिस बताने लगी कि मामा को नहीं बल्कि मृतक के पिता को कपड़े सौंपे गए। स्थानीय पुलिस के क्षण-क्षण बदलते इन बयानों को देखते हुए गोंडवाना पार्टी ने इस हत्या को आत्महत्या का रुप देने के जिम्मेदार पुलिस कान्सटेबल रवि पुरोहित को घटना के दिन मृतक की लाश को उठाने के बाद आये फोन कॉल की उच्चस्तरीय जांच किए जाने की मांग उठाई है।

पुलिस के समक्ष चंद्रशेखर ने दुष्कर्म के बाद हत्या कर लाश को रेलवे ट्रैक पर फेंके जाने की आशंका व्यक्त की। चन्द्रशेखर ने हमें बताया कि घटना स्थल पर जिस जगह शुभांगी के साथ दुष्कर्म हुआ उस स्थल से रेल-लाईन केवल आठ सौ मीटर की दूरी पर है। उनके बताए हुए बातों की सच्चाई जानने के लिए स्वयं एसपी अपनी टीम, चंद्रशेखर और अन्य चार लड़कों के साथ रात के समय मोबाईल टार्च की रौशनी में घटना स्थल पर पहुँची। उस जगह को देखने के बाद चंद्रशेखर ने थानेदार काळे के समक्ष यह पूछा कि उस स्थल पर मृतक शुभांगी खुद आयी थी या लायी गई थी? क्योंकि खोजी कुत्ते ने वो जगह पहले ही थानेदार को दिखाई थी। किन्तु थानेदार ने अपनी छान-बीन में उस जगह को अनदेखा कर दिया था। जबकि एसपी के सामने उन्होंने कबूल किया कि उन्हें खोजी कुत्ते ने यहाँ लाया था। वहाँ से जहाँ शुभांगी की लाश रेलगाड़ी से कटी थी वह दूरी मात्र 800 से 900 मीटर दाहिने तरफ थी, उसके ठीक बाईं ओर गाँव है। इस कारण गाँव की तरफ के ट्रैक पर न ले जाकर उसे दाहिने तरफ के रेल ट्रैक पर लाया गया। इससे साफ़ जाहिर होता है कि उसी स्थल पर उसे निर्वस्त्र कर सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई। अगर युवती को ट्रेन से कटकर आत्महत्या ही करनी थी तो फिर उसे न तो इतनी दूर आने की ही जरुरत थी और दूसरी बात तो यह भी कि निर्वस्त्र होकर किसी लड़की के आत्महत्या करने का कोई कारण नहीं हो सकता है! एसपी ने भी कबूल किया कि इतनी दूर आकर कोई आत्महत्या क्यों करेगा?

हमारी टीम के सदस्यों ने जब गाँव के कुछ लोगों से बात की तो पता चला कि शुभांगी काफी होनहार और निडर लड़की थी। वह किसी से भी डरती नहीं थी। लोगों ने तो इतना तक बताया कि किसी अकेले निहत्थे आदमी का उस पर काबू पाना संभव नहीं था। ग्रामीणों का स्पष्ट मानना था कि यह आत्महत्या न होकर सामूहिक बलात्कार कर की गई हत्या का मामला है। स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि शुभांगी का गाँव के ही एक युवक के साथ प्रेम संबंध था, किन्तु कोई अकेला आदमी ऐसा काम नहीं कर सकता।

30 मार्च 2018 को वर्धा की एसपी निर्मला देवी ने भी मीडिया को दिए अपने वक्तब्य में दहेगांव पुलिस की बात को सही ठहराते हुए इसे आत्महत्या करार दिया। एसपी की ओर से जारी वक्तब्य के अनुसार दिनांक 19 मार्च 2018 को 18:00 बजे यानी शाम 6 बजे पुलिस स्टेशन दहेगाव (गोसावी) के अंतर्गत तुलजापुर रेलवे स्टेशन के सामने थपकी क्षेत्र में रेलवे ट्रैक अप मार्ग पर एक अनजान स्त्री का मृत देह मिलने के आशय का मामला पुलिस स्टेशन दहेगाव (ग्रामीण) में दर्ज किया गया था। मृतक की शिनाख्त दिनांक 20 मार्च 2018 को शुभांगी पिलाजी उईके, उम्र 19 वर्ष रहिवासी दहेगाव (गो) तहसील सेलू, जिला वर्धा के रूप में हुई। एसपी ने आगे कहा कि इस घटना की छानबीन में यह पाया गया कि यह घटना केस नम्बर- 028/2018, भारतीय दंड विधान की धारा-306, 201, 501 के तहत दर्ज किया गया था।

मृतक के परिजनों व कुछ सामाजिक संगठनों ने यह आरोप लगाया था कि ‘मृतक की लाश घटना स्थल पर निर्वस्त्र स्थिति में प्राप्त हुई थी। इसलिए यह घटना सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर मृतक को रेलवे ट्रैक पर फेंक देने का है।’ उक्त पुलिसिया बयान में इसकी सफाई पेश करते हुए कहा गया है कि इस घटना की छानबीन पुलिस अधिक्षक निर्मलादेवी, उपविभागीय पुलिस अधिकारी माधव पड़ीले के मार्गदर्शन में पुलिस निरिक्षक विलास काले, प्रभारी पुलिस निरिक्षक दहेगाव, पुलिस उपनिरिक्षक भाकडे, पुलिस हवलदार जावेद धामीया, पवन देवगिरकर, सुनील चावरे आदि ने किया। इस जांच से यह साबित हुआ कि शुभांगी उईके का दहेगाव के एक 19 वर्षीय युवक के साथ 2 साल से प्रेम संबंध था और इन दोनों के आपसी झगड़े के कारण मृतक ने बिलासपुर से एर्नाकुलम की ओर जानेवाली ट्रेन नम्बर-22815 के सामने चलकर आत्महत्या की है। पुलिस ने साक्ष्य के बतौर प्रत्यक्षदर्शी गवाह के रूप में इस ट्रेन के लोको-पायलट एवं सहायक लोको-पायलट का बयान पेश करने का दावा किया है।

पुलिस ने आगे अपने वक्तब्य में कहा है कि मृतक और आरोपी युवक के मोबाइल सीडीआर का भी विश्लेषण किया गया है। मृतक ने कथित प्रेमी युवक को अपने मोबाइल से कुछ मैसेज भी भेजे थे, जिसे बतौर साक्ष्य सुरक्षित रखा गया है। युवक ने मृतक के व्हाट्सएप पर दोनों के एक साथ का फोटो डी.पी डाल रखा था। उस फोटो को हटाने के लिए शुभांगी ने उसे बार-बार आग्रह किया और कहा कि उस डीपी को कोई देख लेगा तो मेरी बदनामी होगी। इसके कारण मृतक दु:खी थी और इसी कारण से ही दोनों में मनमुटाव हुआ और पीड़िता ने आत्महत्या कर ली। पूरी पुलिसिया जांच फिलहाल इसी बात को सही ठहराते हुए अपनी लापरवाही को छिपा रहा है और युवती के कातिलों को बचा रहा है।

मृतक का जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्राप्त हुआ है उसमें भी मृत्यु का कारण अति रक्त स्राव एवं गंभीर चोट बताया गया है। जिला मुख्यालय के पुलिस अधिकारी जन-आक्रोश को ठंढा करने और लापरवाही के दोषी स्थानीय पुलिसकर्मियों को बचाने का दोहरा खेल खेल रहे हैं। जिला पुलिस एक तरफ तो स्थानीय पुलिस द्वारा युवती की मौत की गढ़ी गई झूठी कहानी को सच मान रही है वहीं दूसरी तरफ युवती की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने गए परिजनों की शिकायत को दर्ज न करने तथा प्राथमिक स्तर पर केस की छानबीन में लापरवाही बरतने वाले स्थानीय पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही का ढोंग भी कर रही है। जन दबाव के कारण इस घटना के आरोपी युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। 3 अप्रैल को 5 हजार से ज्यादा लोगों ने वर्धा शहर में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था, उसके दबाव में मामले की आगे की छानबीन का जिम्मा पुलिस उप अधीक्षक पराग पोटे को सौंपा गया है। किन्तु पुलिस महकमे के रवैये से जाहिर होता है कि इस पुलिसिया जांच से मृतक के परिवार को इन्साफ मिलेगा, इसकी संभावना कम ही है। 19 अप्रैल को अनुसूचित जनजाति आयोग, नई दिल्ली की सदस्य मायाताई इवनाथे द्वारा इस केस को सीबीआई को सौंपे जाने का एसपी को सूचित किया है।
अब तक इस मामले को लेकर 1 अप्रैल 2018 को आदिवासी और अन्य जनसमुदाय के द्वारा नागपुर के संविधान चौक पर कँन्डल जलाकर न्याय की आवाज बुलंद की। वर्धा शहर में 3 अप्रैल 2018 को इस सवाल पर विशाल प्रदर्शन हुआ, जिसमें तकरीबन पांच हजार लोग सड़कों पर उतरे और जुलूस निकालते हुए कारला चौक से बजाज चौक होते हुए जिलाधिकारी कार्यालय तक की लगभग 6 किमी की दूरी तय करते हुए पहुंचे। जिलाधिकारी कार्यालय में ज्ञापन सौंपा और कार्यालय के समक्ष एक सभा के माध्यम से जोरदार तरीके से इन्साफ की आवाज उठाई। सभा में नेताओं ने इस घटना की जांच सीबीआई से कराये जाने की भी मांग की है। सभा में आरोपियों को कड़ी सजा देने तथा दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही की मांग भी मांग की गई। मामले को तूल पकड़ता हुआ देख वर्धा के स्थानीय विधायक ने भी इस मामले पर मुख्यमंत्री से हत्यारों की गिरफ्तारी और दहेगाव पुलिस थाने के थानेदार काले, भाकडे, रवि पुरोहित आदि अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की है। जिला परिषद अध्यक्ष नितिन मडावी ने अपने  निवास स्थान पर आयोजित पत्रकार वार्ता में दहेगाव (गोसावी) पुलिस थाना अंतर्गत शुभांगी उईके की हत्या मामले की सीबीआई  से जांच कराने की मांग की है। 20 अप्रैल को आसिफा के न्याय के लिए वर्धा शहर में निकाले गए विशाल मार्च में भी शुभांगी के हत्यारों की गिरफ्तारी व सजा देने की मांग उठाई गई थी।

(यह रपट महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के स्नातकोत्तर की छात्रा शुभांगी संभरकर  एवं सहायक प्राध्यापक डॉ. मुकेश कुमार ने तैयार की है।)

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