जहानाबाद (बिहार) में बलात्कारियों को बचाने में लगी पुलिस:सामाजिक कार्यकर्ताओं पर दर्ज किया मुकदमा

निवेदिता 

बिहार के जहनाबाद जिले में नाबालिगों से लगातार हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में पुलिस आरोपियों को बचा रही है और न्याय की मांग कर रहे पद्मश्री सुधा वर्गीज सहित महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं पर उसने उल्टा मुकदमा भी दर्ज कर डाला. निवेदिता की रिपोर्ट: 

बिहार के जहानाबाद में नाबालिग लड़की के साथ हुए बलात्कार के मामले में सत्ता और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. सामूहिक बलात्कार को छेड़खानी में बदल दिया गया है .पुलिस ने अपने  एफआईआर (342/18) में छेड़खानी का मामला दर्ज किया है. जबकि महिला संगठनों की तरफ से गये  जाँच दल के सामने नाबालिग लड़की ने कहा कि उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ.

छात्राओं के साथ सुधा वर्गीज़

गौरतलब है कि पिछले दिनों जहनाबाद के रामदानी गाँव (भरथुआ) में एक नाबालिग लड़की के साथ छेड़-छाड़, उसके कपडे उतारने की कोशिश करते हुए 13लड़कों के एक समूह ने वीडियो बनाया था, जो पिछले 29 अप्रैल को वायरल हो गया था. इसके बाद पुलिस हरकत में आयी और कुछ गिरफ्तारियाँ हुईं थीं, हालांकि 4 मई तक सारे आरोपी गिरफ्तार हो गये थे. अप्रैल  के आख़िरी सप्ताह में यह  मामला प्रकाश में आया. इसके दो सप्ताह बाद जहनाबाद में ही एक और नाबालिग के साथ गैंग रेप का वीडियो बनाया गया और वायरल किया गया.

ताजा घटनाक्रम में नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के मामले में न्याय की मांग करने गयी महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं पर प्रशासन ने प्राथमिकी दर्ज कर दी है. सामाजिक कार्यकर्ता सुधा वर्गीज , कंचन बाला और मीरा यादव पर सरकारी कामकाज में बाधा और नाजायज मजमा लगाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गयी है . उनपर धारा 147,149, 353, 504 के तहत जहानाबाद नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इस मामले को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल  बिहार विधान सभा के अध्यक्ष से भी मिला और जांच दल पर पर किये गए झूठे मुकदमे वापस लेने की मांग भी की.

जहानाबाद में प्रदर्शन

सुधा वर्गीज ने कहा कि ‘जिस देश में महिलाओं के लिए न्याय की मांग करने के लिए आवाज उठाने वाली महिलाओं पर सत्ता का प्रहार हो तो समझ लीजिये की अब कोई सुरक्षित नहीं है . हम सभी महिला संगठनों की और से जहानाबाद में बलात्कार की शिकार नाबालिग लड़की के साथ हुई घटना की जाँच फिर से कराये जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. जहानाबाद के मामले में पुलिस की भूमिका संदेहास्पद है. जो प्राथमिकी दर्ज की गयी है उसमें बलात्कार का उल्लेख नहीं किया गया है. इतनी जघन्य और हिंसक मामले को पुलिस प्रसासन ने कमजोर कर दिया है.’

वायरल वीडियो से



वर्गीज ने बताया कि ‘ हमलोग 6 मई को पीडिता से मिले उसने बताया कि उसे  चार घंटे तक बंधक रखा गया था. और उसका सामूहिक बलात्कार किया गया. नाबालिग पीडिता की हालत ख़राब है. उसे उसके ही घर में नजर बंद कर दिया गया है . 24 घंटे वह पुलिस की निगरानी में रहती है . एक छोटे से अंधरे कमरे में एक चौकी पर पूरी रात और दिन उसे महिला पुलिस के साथ रहना पड़ता है . उसे किसी से बात करने या बाहर जाने की इजाज़त नहीं है.’  जांच दल के सदस्य पूछती हैं, ‘क्या यह आप कल्पना कर सकते हैं की जिस बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ हो वह किस मानसिक स्थिति में होगी ? उसे उस जगह से निकलना तो दूर उसे कड़े निगरानी में रखा जा रहा रहा है जैसे वो कोई अपराधी हो. शर्मनाक है ये . हम एक ऐसे राज में हैं जहाँ की पुलिस और सत्ता बलात्कारियों को संगरक्षण देती है.’  हालांकि पटना रेंज के आई जी नैय्यर हसनैन खान ने पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार से इनकार किया. जांच दल के एक सदस्य ने सवाल किया  कि क्या बलात्कार के नये क़ानून के अनुसार सिर्फ इंटरकोर्स को ही बालात्कार माना जाता है?’

15 मई को कई  महिला संगठन जहानाबाद में प्रदर्शन कर रहे थे और महिलाओं का एक प्रतिनिधि मंडल डीएम से मिलना चाह रहा था कि उलटा उनपर ही मुकदमा दर्ज कर दिया गया. प्रदर्शन ख़त्म होने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की जबरदस्ती तस्वीरें निकालीं. मुंह पर कला कपडा बांधे कुछ पुलिसकर्मी प्रदर्शन ख़त्म होने के बाद जबरदस्ती महिला साथियों की तस्वीर लेने लगे तो उसका विरोध हुआ.

निवेदिता वरिष्ठ पत्रकार हैं और स्त्रीकाल के सम्पादन मंडल की सदस्य हैं. सम्पर्क: 9835029152

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