पत्थलगड़ी के खिलाफ बलात्कार की सरकारी-संघी रणनीति (!)

अश्विनी कुमार पंकज 


क्या बिरसा मुंडा की धरती खूंटी से शुरू हुए पत्थलगडी आंदोलन को वहां  21 जून को 5 नुक्कड़ नाट्यकर्मियों  से हुए सामूहिक बलात्कार से जोड़कर आदिवासियों के आन्दोलन और आवाज को दबाने की साजिश कर रही है सरकार? अभी एक कार्यक्रम में 20 जून को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जतायी थी इस आन्दोलन पर चिंता. आदिवासी अधिकार के प्रखर प्रवक्ता साहित्यकार अश्विनी कुमार पंकज इस प्रयास को  सरकार और संघ की रणनीति बता रहे हैं. 


किसी भी सत्ता का चाल, चरित्र और चेहरा उसकी वैचारिक भावभूमि से बनती है जिसका प्राण तत्व उसका धार्मिक आचार संहिता होती है। यह सत्ता राजनीतिक तौर पर जितनी संगठित होती है उससे कहीं ज्यादा सामाजिक और व्यक्तिगत स्तर पर जीवन के सभी संस्थानों में पैवस्त होती है। झारखंड के खूंटी जिले के कोचांग इलाके में हुई पांच लड़कियों के साथ हुए बलात्कार की खबरें सत्ता संस्थानों के हवाले से जिस तरह से मीडिया में प्रायोजित रूप में आती हुई दिख रही हैं, वह इसी नस्लीय विद्वेष और सांप्रदायिक वैमनष्य को दर्शाता है। बलात्कारी जो भी है, वह निःसंदेह जघनतम अपराध का दोषी है। लेकिन इसको जिस सुनियोजित ढंग से आदिवासी हक-हकूक के लिए चल रहे ‘पत्थलगड़ी’ आंदोलन के साथ जोड़ा जा रहा है और यह साबित करने की राजकीय कोशिश हो रही है कि ‘अपने गांव में अपना राज’ का असली उद्देश्य यही है, यह बताता है कि सत्ता के सारे सरकारी और निजी संस्थान किस कदर आदिवासी एवं जनांदोलनों के विरोधी हैं।

देश के स्त्री, आदिवासी, दलित, पिछड़े और वंचित तबकों के साथ होनेवाला यह ‘सरकारी’ और ‘मीडिया ट्रायल’ कोई नई बात नहीं है। तकनीकी और शैक्षणिक तमाम छोट-बड़े बदलावों के बावजूद मनु युग से लेकर आज के परमाणु और नैनो युग तक सत्ता का यह धार्मिक अनुष्ठान बदस्तूर जारी है। पर चूंकि इस समय में, जब पत्थलगड़ी आंदोलन ने संविधान की जन-व्याख्या को देशव्यापी बहस में बदल दिया है और आदिवासी लोग संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को गांव-गांव में लागू कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों और उनकी दलाल सरकारों को वास्तविक ‘गणराज्य’ से चुनौती दे रहे हैं, इस तरह के सत्ता षड्यंत्रों की पड़ताल और उनका विवेकी प्रतिरोध जरूरी है।

खबरों में कहा गया है कि खूंटी के कोचांग में मानव तस्करी के खिलाफ जागरूकता फैलाने और शिक्षा से बच्चों को जोड़ने के लिए नुक्कड़ नाटक करने पहुंची मंडली की पांच लड़कियों के साथ गांव के अपराधियों ने गैंगरेप किया। पुलिस के मुताबिक, घटना को अंजाम देने वाले ‘अपराधी’ पत्थलगड़ी से जुड़े लोग हैं। अपराधियों ने बलात्कार का वीडियो बनाकर पीड़ितों को चुप रहने की धमकी दी थी कि यदि उन्होंने मुंह खोला तो वीडियो को वायरल कर दिया जाएगा। अपराधियों ने पीड़ितों से यह भी कहा था कि वे प्रशासन-सरकार के इशारे पर काम करती हैं, इसीलिए उन्हें यह ‘सजा’ दी जा रही है।

खूंटी के अड़की थाना के कोचांग स्थित एक मिशनरी स्कूल ने जागरूकता कार्यक्रम के लिए नुक्कड़ नाटक मंडली को आमंत्रित किया था। नाटक का विषय मानव तस्करी के खिलाफ जागृति फैलाना था। मंगलवार 19 जून की दोपहर लगभग ढाई बजे जब स्कूल में नाटक हो रहा था तब छह अपराधी दो मोटरसाइकिल पर आए और बंदूक दिखाकर, मंडली की ही गाड़ी पर लड़कियों को बिठाकर किसी अज्ञात जगह पर ले जाकर उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।

पुलिस को इसकी जानकारी दूसरे दिन करीब 30 घंटे बाद बुधवार की रात को मिली। जब एक पीड़िता ने इस दुष्कर्म की जानकारी अपने कुछ जानने वालों को दी। पहले तो पुलिस मामले को दबाने में लगी रही लेकिन गुरुवार को ‘मीडिया’ में आने बाद एफआईआर दर्ज हुई। खबरों के ही अनुसार पीड़ितों और उन्हें बुलाने वाली संस्था के लोगों को पुलिस ने रात में थाने में बिठाए रखा। खूंटी एसपी ने पीड़िताओं से तो यहां तक कहा कि वे गांव में गई ही क्यों थीं। वहीं मुख्यमंत्री रघुवर दास का बयान है कि ‘पहले नक्सली ऐसी घटनाओं को अंजाम देते थे, अब पत्थलगड़ी के नाम पर समाज विरोधी काम करने वाले ऐसी हरकत कर रहे हैं।’

जिस दिन झारखंड के कोचांग में नाटक हो रहा था, जिसके बाद यह घटना घटी थी, ठीक उसी दिन यानी 19 जून को ही, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में संघ प्रमुख मोहन भागवत आदिवासी क्षेत्रों में पत्थलगड़ी के संकट से घिरी भाजपा सरकार को निकालने के लिए आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर में भाग ले रहे थे। ‘भारत की जनजातियों की अस्मिता एवं अस्तित्व’ विषय पर इस चिंतन शिविर का आयोजन अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम ने किया था। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जब शिविर में पूछा कि आदिवासी हितों के लिए केंद्र व राज्य सरकार की ढेरों योजनाएं है तो फिर पत्थलगड़ी जैसी घटनाएं क्यों हो रही हैं। तब उन्हें बताया गया कि ईसाई मिशनरी सरकार के खिलाफ काम कर रही हैं और आदिवासियों को भड़काने में जुटी हैं। चुनावी लाभ के लिए विरोधी दल पत्थलगड़ी करवा रहे हैं। इस सवाल-जवाब के आलोक में यह तय हुआ कि इस भ्रम को तोड़ने के लिए संघ के लोग बुधवार को ठोस रणनीति बनाएंगे।

और बुधवार 20 जून की रात 8 बजे पत्थलगड़ी आंदोलन के सबसे सघन आदिवासी केंद्र में ‘कुछ लोगों की सूचना’ पर पहले मीडिया में खबर प्लांट  की गई, फिर के एक थाने में ‘मामले को दबाने’ की कोशिश की गई। लेकिन अंततः तीन आरोपियों की पहचान पत्थलगड़ी समर्थक के रूप में करते हुए प्राथमिकी दर्ज की गई और कोचांग इलाके में भयानक छापेमारी श्रुरू हुई। जाहिर है कि अब आंदोलनकारियों के दमन का, जो सरकार और मीडिया के मुताबिक ‘बलात्कारी’ हैं, संविधान विरोधी हैं, विदेशी विचारों से संचालित ईसाई मिशनरी हैं, रास्ता गढ़ लिया गया है।
यह भी पढ़ें: आदिवासियों का पत्थलगड़ी आंदोलन: संघ हुआ बेचैन, डैमेज कंट्रोल को आगे आये भागवत

जहाँ नुक्कड़ नाटक के लिए गयी थी लडकियां

बहुत सोची-समझी रणनीति के तहत संघ और सरकार ने इस बार ‘बलात्कार’ की आड़ ली है। चूंकि यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है समाज के लिए इसलिए उनको पूरा विश्वास है कि इससे उनके ‘दमन’ को व्यापक सामाजिक समर्थन मिलने में आसानी होगी। क्योंकि अब तक दिखावटी मेल-मिलाप, सरकार गवर्नर-जनता संवाद, कंबल-राशन वितरण का लोभ-लालच, फर्जी देशद्रोह के मुकदमे लगाकर गिरफ्तारी आदि अनेक तरीके अपनाकर उन्होंने देख लिया था। पत्थलगड़ी रुक ही नहीं रही थी। लिहाजा अब ‘बलात्कार’ के संवेदनशील मुद्दे को दमन का नया हथियार बनाया है।

आदिवासी परम्परा और इतिहास के जानकार साहित्यकार अश्विनी कुमार पंकज आदिवासी अधिकार के प्रखर प्रवक्ता के रूप में जाने जाते हैं. संपर्क: akpankaj@gmail.com

तस्वीरें गूगल से साभार 

स्त्रीकाल का प्रिंट और ऑनलाइन प्रकाशन एक नॉन प्रॉफिट प्रक्रम है. यह ‘द मार्जिनलाइज्ड’ नामक सामाजिक संस्था (सोशायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत रजिस्टर्ड) द्वारा संचालित है. ‘द मार्जिनलाइज्ड’ मूलतः समाज के हाशिये के लिए समर्पित शोध और ट्रेनिंग का कार्य करती है.
आपका आर्थिक सहयोग स्त्रीकाल (प्रिंट, ऑनलाइन और यू ट्यूब) के सुचारू रूप से संचालन में मददगार होगा.
लिंक  पर  जाकर सहयोग करें :  डोनेशन/ सदस्यता 

‘द मार्जिनलाइज्ड’ के प्रकशन विभाग  द्वारा  प्रकाशित  किताबें  ऑनलाइन  खरीदें :  फ्लिपकार्ट पर भी सारी किताबें उपलब्ध हैं. ई बुक : दलित स्त्रीवाद 
संपर्क: राजीव सुमन: 9650164016,themarginalisedpublication@gmail.com

Related Articles

ISSN 2394-093X
418FansLike
783FollowersFollow
73,600SubscribersSubscribe

Latest Articles