महिला आरक्षण के समर्थन में राहुल गांधी: पीएम को छोड़ सभी जिम्मेवार नेताओं ने अबतक किया समर्थन

स्त्रीकाल डेस्क 

राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के जरिये पीएम मोदी से कहा है कि वह संसद में महिला आरक्षण बिल लाएं, कांग्रेस उनका पूरा समर्थन करेगी. कांग्रेस इस संबंध में प्रेस कांफ्रेंस कर चिट्ठी जारी करने वाली है.

भाजपा ने स्वयं महिला आरक्षण बिल को अपने घोषणापत्र का हिस्सा बनाया था, लेकिन बहुमत के बावजूद इसे पास कराने का कोई कदम अबतक नहीं उठाया है, कारण है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस पर चुप्पी. हालांकि इस बिल के समर्थन में अबतक पूर्व राष्ट्रपति, प्रणव मुखर्जी, सोनिया गांधी, वेंकैया नायडू और अब राहुल गांधी ने आवाज उठायी है. 20 सितंबर 2017 को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को पास करने का निवेदन किया था. पिछले साल कांग्रेस ने शीतकालीन सत्र के दौरान देश के अलग-अलग राज्यों से संसद और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के समर्थन में 33 लाख हस्ताक्षर जमा किए थे. बड़ी- बड़ी कागज की पेटियां लेकर देश के अलग-अलग प्रदेशों से महिला कांग्रेस की कार्यकर्ताओं और नेता दिल्ली पहुंचीं थीं. महिला कांग्रेस के पदाधिकारियों और सदस्यों ने 33 लाख हस्ताक्षर जमा करने का दावा किया था.

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राहुल ने कहा है कि संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए।  बता दें कि महिला आरक्षण विधेयक पिछले काफी समय से लटका है। 1996 में तत्कालीन पीएम एच. डी. देवगौड़ा के कार्यकाल में इस बिल को संसद में पेश किया गया था। 2010 में राज्यसभा में पास होने के बाद यह बिल लोकसभा में पास नहीं हो सका। वर्ष 1993 में संविधान में 73वें और 74वें संशोधन के जरिए पंचायत और नगर निकाय में एक तिहाई सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया था। स्त्रीकाल में पढी जा सकती है इस बिल पर अब तक हुई पूरी बहस. हमने प्रिंट में इस पर एक अंक भी प्रकाशित किया है. लेकिन सवाल राहुल गांधी से भी है कि वे आरक्षण के भीतर आरक्षण यानी दलित-आदिवासी और पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए आरक्षण के साथ इस बिल पर मानस क्यों नहीं बनाते?

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