ब्राह्मणवादियों द्वारा संविधान जलाने पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

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स्त्रीकाल डेस्क 

पिछले 9 अगस्त को दिल्ली के जंतर मंतर पर आरक्षण विरोधी अभियान चलाने वाले सवर्णों ने भारतीय संविधान की प्रतियां जला डालीं. और अपनी इस इस करतूत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी किया.

भागलपुर में विरोध प्रदर्शन

इसके बाद देश भर में इस करतूत के खिलाफ लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, दोषियों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्जा करने और उनकी नागरिकता छीनने की मांग कर रहे हैं. इसके बावजूद बात-बात पर सामाजिक कार्यकर्ताओं पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने वाली सरकार ने चुप्पी बना रखी है. और तो और संविधान जलाने की घटना दिल्ली पुलिस की मौजूदगी में अंजाम दी गयी.

इन तस्वीरों और वीडियो में दिख रहे लोगों पर होनी चाहिए कार्रवाई

पहले संविधान जलाने वालों ने बाबा साहेब डा. भीम राव अंबेडकर के खिलाफ नारेबाजी की और फिर संविधान की प्रतियों को जला दिया.

वर्धा में विरोध प्रदर्शन

भारत का कानून यह व्यवस्था देती है कि संविधान का अनादर करने पर ऐसा करने वाले की नागरिकता छीनी जा सकती है. लेकिन. सवर्ण ब्राह्मणवादियों ने न सिर्फ संविधान जलाया बल्कि अपने इस कुकृत्य को सोशल मीडिया पर प्रसारित भी कर रहे हैं.

इलाहबाद विश्वविद्यालय  में प्रदर्शन

सवाल है कि यह ताकत उन्हें कहाँ से मिलती है. लोग पूछ रहे हैं कि क्या यह ताकत सरकार से आती है, सरकार की नीतियों से आती है? भदोही के रहने वाले श्रीनिवास पाण्डेय ने धृष्टता के साथ इस घटना के वीडियो और फोटो जारी किये. इसके खिलाफ सामजिक संगठनों ने पार्लियामेंट थाने में शिकायत भी दर्ज की है, लेकिन अभी तक उस शिकायत पर कार्रवाई की कोई सूचना नहीं है.

संविधान जलाने की इस घटना का देशव्यापी विरोध हो रहा है. संविधान ने पिछले 70 सालों में वंचित समुदायों, महिलाओं को व्यापक हक दिलवाये हैं, उनमें अपने अधिकार के प्रति चेतना जगायी है और उनके अधिकारों को संरक्षित भी किया है. ब्राह्मणवादी व्यवस्था इससे चिंतित है. आजादी के बाद से ही ये ताकतें भारत में मनुस्मृति का क़ानून लागू कराने की वकालत करती आयी हैं. 

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