30 जुलाई को देशव्यापी प्रतिरोध की पूरी रपट: मुजफ्फरपुर में बच्चियों से बलात्कार के खिलाफ विरोध

सुशील मानव 

सामाजिक कार्यकर्ताओं, संगठनों की आवाज रंग ला रही है. मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेपकांड की लीपापोती में लगी सरकार हाईकोर्ट के आदेश के पहले सीबीआई जाँच का आदेश दे चुकी है और अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया है. 30 जुलाई को  राइड फॉर जेंडर फ्रीडम, स्त्रीकाल, एनएफआईडवल्यू, ऐपवा, टेढ़ी उँगली, के संयुक्त आह्वान पर देश के कई शहरों, कस्बों, गाँव-गली, स्कूलों में लोग सड़क पर उतरे। उस दिन बच्चियों की आवाज पहली पर देशव्यापी हुई और आज वाम-दलों एवं विपक्ष का बिहार बंद सफल है. 30 जुलाई के प्रदर्शन की समग्र रिपोर्ट लिखी है सुशील मानव ने: 


30 जुलाई से लगातार चल रहे प्रदर्शनों का एक  साझा मकसद है अनाथ बच्चियों को न्याय दिलाना। सीबीआई जाँच के दायरे में बिहार के समस्त बालिका गृहों को लाना। जांच पर हाई कोर्ट की निगरानी, साथ-साथ एक भी अपराधी सजा पाने से बचने न पाए यह सुनिश्चित करने हेतु न्यायिक सक्रियता से लेकर पब्लिक विजिलेंट सिस्टम को इवॉल्व करना। साथ ही नीतीश सरकार की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना। संगठनों ने नीतीश कुमार का इस्तीफा भी माँगा है.

बिहार भवन, नई दिल्ली

मुजफ्फरपुर कांड के विरोध में दिल्ली स्थित बिहार भवन के बाहर धरना प्रदर्शन करते हुए बिकी हुई सरकार को जगाने का सम्मिलित प्रयास किया। जहाँ पर केंद्र सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस व अर्द्धसैन्य बल तैनात थे, बैरीकेडिंग की गयी थी. बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने वहां तीन घंटे तक नारेबाजी की, अपनी बातें रखीं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह महिलाओं के खिलाफ राज्य संरक्षित यौन हिंसा का एक उदाहरण है। राज्य में 14 अन्य शेलटर होम में इसी तरह के शोषण पहले ही टीआईएसएस के शोधकर्ताओं द्वारा खोजे जा चुके हैं। लेकिन पटना के उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद भी उनके खिलाफ कार्रवाई की गति बहुत धीमी थी। ऐसी खबरें हैं कि इन शेलटर होम का प्रबंधन और प्रशासन राजनीतिक प्रतिष्ठानों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग की।

बिहार भवन, नई दिल्ली पर प्रदर्शन में आरजेडी सांसद मनोज झा

प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए एनएफआईडब्ल्यू की महासचिव एनी राजा ने कहा कि “महिलाओं को 50% आरक्षण देना, लड़कियों के लिए छात्रवृति वितरित करना अलग बात है लेकिन  सरकार द्वारा ऐसे  क्रूर अपराधों को शेलटर होम्स में समर्थन देना खतरनाक है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ  जैसे नारों पर करोड़ों पैसे खर्च करना एक बात है और शेलटर होम  की लड़कियों पर ऐसे क्रूर यौन अपराधों को समर्थन  कुछ भी नहीं बल्कि सामंती, पितृसत्तात्मक और मनुवादी मानसिकता का परिणाम है। जब तक नीतीश कुमार सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, तब तक जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती है। उन्हें तुरत हटना चाहिए । ”

बिहार भवन, नई दिल्ली

राइड फॉर जेंडर फ्रीडम के राकेश सिंह ने कहा कि “  शेल्टर होम  का प्रबंधन और प्रशासन राजनीतिक रूप से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, यही कारण है कि उन्हें कोई डर नहीं है और वह  शेल्टर होम के कैदियों के साथ संगठित यौन बर्बरता का प्रबंधन कर सकता है। सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ राजनेताओं के नाम पहले ही जुड़ हो चुके हैं, इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तुरंत इस्तीफा देना होगा। अन्यथा आरोपी के खिलाफ कोई पूछताछ आईवाश होगी। ” ऐपवा की प्रतिनिधि सुचेता डी ने भी इस घटना पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘जब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस्तीफा नहीं देंगे तब तक सीबीआई जांच ढंग से नहीं होगी।’

रायपुर

आरजेडी संसद के प्रोफेसर मनोज झा और जयप्रकाश यादव भी प्रदर्शनकारियों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करने आए। प्रो। मनोज झा ने कहा कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में जो भी हुआ है वह जघन्य और बर्बर है। उनके पार्टी के व्यक्तियों के नाम मामले में आने के बाद मुख्यमंत्री कैसे अपने कार्यालय में रह सकते हैं। नीतीश कुमार तुरंत जाना चाहिए। “घटना पर बोलते हुए प्रो रतन लाल ने कहा कि मामले में मुख्य आरोपी ‘हेवीवेट’ है और उन्हें राज्य मशीनरी का पूर्ण समर्थन है। इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए अन्यथा मुजफ्फरपुर आश्रय घर के कैदियों के लिए न्याय नहीं होगा। घटना के विरोध में पूर्व राज्यसभा सदस्य अली अनवर भी बिहार भवन आए थे।

रायपुर

मुज़फ़्फ़रपुर बालिकागृह यौनशोषण मामले में छत्तीसगढ़, रायपुर के मरीन ड्राइव में विरोध प्रदर्शन हुआ। इसमें मूक-बघिर लोगो ने भी भागीदारी की। जिसमें राजेश और उनके साथियों ने साइन लैंग्वेज में अपनी बात रखते हुए त्वरित न्याय की माँग की। प्रदर्शन कर रहे लोगो ने माँग की कि ऐसी घटनाएं देश को बदनाम कर रही हैं अतः आरोपियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए।

चित्रकूट

वहीं चित्रकूट के जिला मुख्यालय में दख़ल सांस्कृतिक मंच के तत्वाधान में विरोध मार्च निकाला गया। और बाद में पटेल चौक में बैठक करके समाजसेवी प्रदर्शनकारियों ने अपनी बात रखी। बैठक में कहा गया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ धोखा है। सरकार की नाक के नीचे बालगृह में इतना बड़ा अपराध हो तो किस तरह से विश्वास किया जाए कि सरकारी तंत्र का हाथ नहीं है।

पटना

मुजफ्फरपुर यौनशोषण के विरोध में बिहार की राजधानी पटना में राष्ट्रीय प्रतिवाद के तहत ऐपवा सहित कई महिला संगठनों व छात्र संगठनों ने मिलकर पटना विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से कारगिल चौक तक आक्रोश मार्च निकाला गया। TISS की रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की माँग की। वहीं कार्यक्रम में शामिल महिला राजनेताओं ने नीतीश कुमार से अपनी जिम्मेदारी न निभा पाने का आरोप लगाकर इस्तीफे की माँग की। साथ ही  2 अगस्त के ‘बिहार बंद’ को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने का आह्वान किया।

जयपुर

जयपुर राजस्थान में शहीद स्मारक जयपुर पर NFIW, PUCL, AIPWA, AIDWA, AISF, JLS आदि संगठनों ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह में हुए बर्बरता का विरोध जताया और बिहार हाई कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा।

कुल्लू  में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौपते प्रदर्शनकारी

विरोध में विभिन्न संगठनों ने शीरोज हैंगआउट, लखनऊ में कार्यक्रम आयोजित किया। और बालिकागृहों की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करवाने के लिए गवर्नर से हस्तक्षेप की माँग की। साथ ही पूरे बिहार के बालिकागृहों की सीबीआई जाँच की भी मांग की। गीता प्रभा ने कहा कि यूपी सरकार भी प्रदेश के सभी बालिकागृहों की सोशल ऑडिट करवाए।

गोरखपुर में प्रदर्शन


मुसलाधार बारिश के बीच गोरखपुर में
पूर्वांचल सेना, पूर्वांचल नियुद्ध अकादमी, दिशा छात्र संगठन, लालदेव ताइक्वांडो अकादमी, मेरा रंग, स्त्री मुक्ति लीग, मूल निवासी मजदूर संघ आदि कई संगठनों ने अपने बैनर तले नगर निगम स्थित रानी लक्ष्मीबाई पार्क में धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया। शालिनी श्रीनेट और धीरेंद्र प्रताप की अगुवाई में बड़ी संख्या में आमजन, छात्रों, पत्रकारों और सोशल एक्टीविस्ट की मौजूदगी में विरोध मे नारे लगाए और उन बच्चियों को न्याय दिलाने की मांग करते हुए नीतीश सरकार पर बालिकागृह के बलात्कारियों को संरक्षण देकर मामले की लीपापोती करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके सत्ता में रहते निष्पक्ष जाँच संभव ही नहीं है अतः नीतीश सरकार इस्तीफा दे।

हरियाणा में प्रदर्शन

जबकि हरियाणा के रोहतक मानसरोवर पार्क में 1 अगस्त को विरोध प्रदर्शन किया गया। विरोध प्रदर्शन में जनवादी महिला समिति, HIMMAT, छात्र एकता मंच, सप्तरंग, भारत ज्ञान विज्ञान समिति हरियाणा, ज्ञान-विज्ञान समिति, दिशा छात्र संगठन, एसएफआई आदि संगठनों के सदस्यों के अलावा समाज के अन्य प्रबुद्धजन भी शामिल हुए।विरोध मार्च के बाद डी सी रोहतक के जरिए बिहार के राज्यपाल को एक मेमोरैंडम सौंपा गया। जिसे विरोध मार्च की समाप्ति पर अपने दफ्तर से करीब डेढ़ किलोमीटर चलकर खुद एसडीएम रिसीव करने आये।

कुल्लू

कुल्लू हिमाचल प्रदेशमें मुजफ्फरपुर गर्ल्स शेल्टर होम कांड का विरोध करते नारी अधिकार मंच के बैनर तले तमाम महिलाओं ने एकत्रहोकर विरोध प्रदर्शन करते हुए रैली निकाली और कुल्लू के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को मेमोरैंडम सौंपा।

वाराणसी

प्रधानमंत्री मोदी के ससंदीय क्षेत्र वाराणसी में मुजफ्फरपुर की बेटियों के लिए न्याय की मांग को लेकर बनारस के छात्रों और समाज के आमजनों द्वारा कचहरी और बीएचयू गेट (लंका) पर विरोध प्रदर्शन किया गया। साथ ही साझासंस्कृति मंच की तरफ से भी एक विरोध मार्च निकाला गया और जिलाधिकारी वाराणसी को ज्ञापन सौंपा गया। वाराणसी के हरपुर गाँव में भी लोगों ने मुजफ्फरपुर कांड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। बता दूँ कि हरपुर गाँव को प्रधानमंत्री मोदी ने गोद लिया हुआ है।

प्रधानमंत्री द्वारा गोद लिया गया गाँव हरपुर

हरियाणा के करनाल में ललिता राणा की अगुवाई में और हिसार में  सुमन जांगरा की अगुवाई में सैंकड़ों स्त्रियों लड़कियों ने हाथ में पोस्टर बैनर और मोमबत्तियाँ लेकर कैंडल मार्च निकाली। साथ ही बिहार और केंद्र सरकार की महिलाविरोधी रवैये की कड़ी निंदा भी की।

अल्मोड़ा

उत्तराखंड के भवाली नैनीताल में सुनीता जोशी की अगुवाई में ‘एनडीए सरकार होश में आओ, ‘नीतीश कुमार इस्तीफा दो’ के नारे लगाती हुई सड़कों पर उतर कर सरकार की के प्रति  गुस्सा इजहार किया गया। वहीं अलमोड़ा शहर में शोभना जोशी की अगुवाई में समाज के तमाम वर्गों व क्षेत्रों के लोगो ने एकजुट होकर मुजफ्फरपुर कांड के प्रति अपना आक्रोष व्यक्त किया। हाथों में पोस्टर लेकर न्याय के लिए नारे लगाते हुए रैलियाँ निकाली गईं। इसके अलावा उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी लोगो ने विरोध मार्च निकाला।

लखनऊ

बुलंदशहरमें कई सामाजिक संगठनों ने संयुक्त रूप से मुजफ्फरपुर बच्चियों से हुए दुराचार के खिलाफ़ देशव्यापी विरोध की कड़ी में बुलंदशहर के जिलाधिकारी कार्यालय के गेट पर विरोध प्रदर्शन करके मुजफ्फरपुर की पीड़िताओं के लिए न्याय की माँग की और बुलंदशहर के जिलाधिकारी महोदय को ज्ञापन दिया।

इलाहबाद

इलाहाबाद में सुभाष चौराहा सिविल लाइन में साहित्यकार, पत्रकार, समाजसेवी, राजनीतिक लोग व आम जनों ने नागरिक मंच के बैनर तले एकजुट होकर मुजफ्फरपुर की जघन्य घटना की कड़ी निंदा करते हुए धरना प्रदर्शन किया। और एकमत हो बिहार समेत देश के समस्त बालिका गृहों की सीबीआई जाँच और सोशल ऑडिट की माँग की।

भागलपुर

बिहार के भागलपुर में विभिन्न संगठनों द्वारा घंटाघर चौक पर साझा प्रतिवाद का प्रदर्शन व सभा का आयोजन किया गया। साथ ही जनकल्याण मंत्री मंजू वर्मा को कटघरे में खड़ा कर उनके पति चंद्रेश्वर वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की माँग की गई। सभा में लोगो ने कहा आज देश में गाय सुरक्षित है पर लड़कियाँ और औरते सुरक्षित नहीं हैं। वहीं भागलपुर के लालूचकनाथ नगर कस्बें में समवेत व बालसाथी के बैनर तले बच्चियों के प्रति बढ़ती बर्बरता के विरुद्ध प्रतिवाद सभा का आयोजन किया गया। जिसमें तमाम लोगो की भागीदारी की।

रांची

झारखंड की राजधानी राँची में सिविल सोसायटी की ओर से यौन शोषण मामले में विरोध प्रदर्शन करके न्याय की मांग की गई। और पुरलिया रोड राँची से फिरायालल तक मानव चैन बनाकर विरोध प्रदर्शन किया गया।

बक्सर में एआईएसएफ  के बैनर तले सैंकड़ों छात्र-छात्राओं और समाजके अन्य तबके के लोगो ने एकजु होकर बालिका गृहों में अनाथ बचिच्यों पर हो रहे बर्बरता के खिलाफ अपने आक्रोश का प्रदर्शन किया।

बिहार के खगड़िया शहर में छात्र-छात्राओं ने ऑल इंडिया स्टूडेंट फाउंडेशन के बैनर तले एकजुट होकर सरकार द्वारा बलात्कारियों को संरक्षण देने का प्रतिवाद करते हुए विरोध मार्च निकाला।

नोएडा

नोएडा में हाथों में तख्तियां लेकर नारे लगाते हुए छोटी-छोटी लड़कियां सड़कों पर उतरीं और बालिकागृह में हुए रेप के खिला फअपना विरोध जताया। बच्चियों के साथ तमाम सामाजिक महिलाओं ने मिलकर नोएडा के खोड़ा गाँव से लेकर बारह-बाइस तक विरोध रैली निकाली। रैली का संचालन डा अमृता और शैल माथुर ने किया।

जमुई

जमुई बिहार में कचहरी चौक पर मुजफ्फरपुर बालिकागृह में बच्चियों के साथ बर्बरता के विरोध में देशव्यापी प्रतिरोध कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहाँ सबने एक स्वर में इस जघन्य कांड की निंदा करते हुए समूचे बिहार के बालिकागृहों की स्थिति पर चिंता जताई। साथ ही लोगो ने बिहार और केंद्र की सरकारों को निशाने पर रखते हुए उनके बेटी बचाओ नारे पर प्रश्न उठाये।

हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा

वर्धा महाराष्ट्र में 30 जुलाई 2018 को, देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के क्रम में हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों का आक्रोश दिखा। पीड़ित अनाथ बालिकाओं के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग सभी ने एक स्वर में की ।डॉ. मुकेश कुमार ने घटना के राजनीतिक पक्ष पर बात करते हुए आरोपियों की राजनीतिक पहुँच को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय के जज की देखरेख में सीबीआई जांच कराए जाने की मांग की। स्त्री अध्ययन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अवंतिका शुक्ला ने देश के समस्त बालिका आश्रय गृहों की निष्पक्ष ऑडिट कराए जाने की मांग की।

वहीं बिहार के नवादा शहर में वीमेंस नेटवर्क और अंबेडकर संघर्ष मोर्चा के साझा बैनर तलेअंबेडकर भवन में तमाममहिलाओं और पुरुषों ने बढ़-चढ़कर विरोध प्रदर्शन में भागीदारी निभाई।महिला प्रदर्शनकारियों ने बलात्कारियों को फाँसी देने की माँग करते हुए सरकार की निर्ल्ज्जता और गैरजिम्मेदाराना रवैये को धिक्कारा। विरोध कार्यक्रम में नवादा के बुद्धिजीवियों और समाजसेवियों ने भी भाग लेकर अपने सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वाहन लिया।

आज़मगढ़

आजमगढ़ यूपी में झमाझम बारिश के बीच नारी शक्ति संस्थान आजमगढ़ के बैनर तले भारी तादात में महिलाओं ने गृहपूर्ति के समीप रोडवेज पर एकजुट होकर पीड़ित अनाथ बच्चियों को अविलंब न्याय दिये जाने की माँग करते हुए जोरदार विरोध प्रदर्शन दर्ज करवाया। महिलाओं ने जिलाधिकारी आजमगढ़ को सौंपने के लिए मेमोरेंडम भी तैयार किया था लेकिन प्राकृतिक व्यवधान के चलते वो पूरा न हो सका।

बुलंदशहर

देशव्यापी आंदोलन की कड़ी में कटिहार में 30 जुलाई को सदर अस्पताल कटिहार स्थित संघ भवन में बिहार बाल आज मंच, इप्टा, बाल साथी के संयुक्त तत्वाधान में बैठक सभा आयजित की गई। बैठक में मुजफ्फरपुर घटना की कड़ी भर्त्सना करते हुए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट का सार्वजनिक करने की माँग की गई।

 चिकमंगलूर, मंदसौर, मुदैरे, कालीकट, चेन्नई, औरैया, जौनपुर, गोधरा, ग़ाज़ियाबाद, समेत देश के कई अन्य स्थानों पर भी विरोध प्रदर्शन दर्ज करवाकर बच्चियों के प्रति न्याय की माँग और अपराधियों को फाँसी की माँग करके समाज ने अपनी मानवीय संवेदना को अभिव्यक्त किया।

प्रेस कवरेज 


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