देवी के नाम पर शेल्टर होम और चलता था सेक्स रैकेट त्रिपाठी परिवार: एक अंतर्कथा

सुशील मानव 

“ यहाँ   कई दीदी हैं। उन्हें बड़ी मैडम रात को कहीं भेजती थी। कभी लाल गाड़ी तो कभी काली गाड़ी आती थी उनको ले जाती थी। जब दीदी सुबह में आती तो सिर्फ रोती थीं। कुछ भी पूछने पर बताती नहीं थी। हम लोगों से झाड़ू पोछा करवाया जाता था। न करने पर मारा-पीटा जाता।”- ये 10 साल की उस लड़की के अल्फाज़ हैं जो माँ विंध्यवासिनी संरक्षण गृह से भागकर कल यानि रविवार को पुलिस थाने पहुँच गई। बच्ची के बयान लेते ही पुलिस ने संवेदनशीलता का बढ़िया उदाहरण देते हुए एसपी रोहन पी कनय की अगुवाई में अविलंब शेल्टर होम में छापेमारी की कार्रवाई करते हुए मामले का खुलासा करते हुए संरक्षण गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, पति मोहन, उसके अध्यापक बेटे को गिरफ्तार कर लिया है जबकि संस्थान की अधिक्षक बेटी कंचनलता त्रिपाठी की तलाश की जा रही है।

मामले में पुलिस लड़कियों के बयान के आधार पर मानव तस्करी, देह व्यापार जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर ली है।पुलिस का कहना है कि संरक्षण गृह से 24 बच्चों वलड़कियों को मुक्त कराया गया है। जबकि रजिस्टर में 42 लड़कियों के नाम दर्ज हैं।18 गायब बच्चों व लड़कियों का पता लगाया जा रहा है। बता दें कि मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा संचालित बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु, विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण एवं स्वाधार गृह देवरिया की मान्यता को शासन काफी टाइम पहले ही स्थगित कर चुका है। इसके बावजूद भी संस्था में बालिकाएं, शिशु व महिलाओं को रखा गया था।

बता दें कि  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के देवरिया में संचालित होने वाले सामूहिक विवाह की संपूर्ण जिम्मेदारी इसी संस्था को दी जाती रही है। जबकि देवरिया के तत्कालीन डीएम ने मां विन्ध्यवासिनी संस्था को यहां की सबसे जिम्मेदार संस्थान बताया था।

वहीं बिहार मुजफ्फरपुर बालिकागृह 34 लड़कियों के यौनउत्पीड़न मामले में नीतीश सरकार की फजीहत से सबक लेते हुए मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश योगी आदित्यनाथ ने घटना के खुलासे के चौबीस घंटे की भीतर ही कड़ी कारर्वाई करते हुए देवरिया के डीएम सुजीत कुमार को पद से हटा दिया है और डीपीओ को सस्पेंड कर दिया है।इसके अलावा जिला कार्यक्रम अधिकारी को भी सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं पूर्व के डीपीओ अभिषेक पांडेय इन्हें सस्पेंड किया गया है।जबकि अंतरिम चार्ज में रहे दो अधिकारी नीरज कुमार और अनुज सिंह के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।साथ ही उन्होंने दो सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति बनाकर पूरे प्रकरण की जांच कर शाम तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश भी दिया है। मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिवमहिला कल्याण रेणुका कुमार और एडीजी अंजू को अलग-अलग जांच करने के लिए देवरिया भेजा है। ये दोनों आज दिन भर देवरिया में रहेंगीं और एक-एक बच्चे से बात करेंगीं और कल रिपोर्ट सीएम को सौंपेंगीं।  मुख्यमंत्री यूपी ने इसके अलावा प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को 12 घंटें का समय देते हुए कहा कि प्रदेश भर के सभी सरकारी और गैर सरकारी शेल्टर होम की जांच करके पेश की जाए।

शेल्टर होम के बच्चे

दरअसल बिहार में कांड के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 3 अगस्त को ही प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को अपने जिलों में बाल गृह तथा महिला संरक्षण गृह का व्यापक निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद भी देवरिया जिला प्रशासन नहीं चेता। बता दें मुख्यमंत्री ने अपने निर्देशों में कहा था कि ये भी चेक करें कि यहां पर रह रहे बच्चों एवं महिलाओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। साथ ही, उन्होंने इन गृहों के पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध किए जाने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल गृह तथा महिला संरक्षण गृह की देखभाल और साफ-सफाई में कोई कोताही न बरती जाए। साथ ही, यहां पर रह रहे बच्चों एवं महिलाओं की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाए। इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता या लापरवाही पाए जाने पर सम्बन्धित के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।इन निर्देशों के बावजूद देवरिया जिला प्रशासन लापरवाह बना रहा और बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की तरह ही देवरिया के नारी संरक्षण गृह में भी देह व्यापार कराए जाने के आरोप लग रहे हैं।

इस पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश की महिला और बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी का कहना है कि पिछले साल सीबीआई की जांच के बाद ये पाया गया था कि ये शेल्टर होम अवैध तरीके से चल रहा है। तब इसकी मान्यता रद्द कर दी गई थी और लड़कियों को दूसरी जगह शिफ्ट करने और इसे बंद करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ।दरअसल मामले में महिला एवं बाल कल्याण विभाग और जिला प्रशासन की लापरवाही सामने आई है। सवाल यह उठ रहे हैं कि 23 जून 2017 को मान्यता खत्म होने के बाद 30 जुलाई 2018 को एफआईआर क्यों कराई गई? इतना ही नहीं 30 जुलाई को लिखी गई एफआईआर पर पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की। फिलहाल रविवार रात दर्ज हुई एफआईआर में शारिरिक छेड़छाड़ और पॉक्सो की धारा बढ़ाई गई है। नारी संरक्षण गृह के बारे में लंबे समय से शिकायत मिल रही थी। बता दें अनियमितताओं के कारण इस शेल्टर होम की मान्यता जून-2017 में समाप्त कर दी गई थी। सीबीआई ने भी संरक्षण गृह को अनियमितताओं में चिह्नित कर रखा है।

रविवार को मां  विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा संचालित बालिका गृह से बिहार के बेतिया की रहने वाली एक बालिका किसी तरह यहां से भाग निकली। यहां से वह सीधे महिला थाने पहुंची और यहां उसने एसओ को संस्था के अंदर चल रही गतिविधियों की शिकायत की। एसओ ने बिना देर किए घटना की जानकारी एसपी रोहन पी कनय को दी। एसपी ने तत्काल संस्था के बारे में जानकारी एकत्र की। महिला हेल्पलाइन 181 की काउंसलर को बुलाया गया। लड़की ने अपने बयान में संस्थान से सेक्स रैकिट के संचालन का आरोप लगाया। पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय ने बताया कि मां विंध्यवासिनी महिला एवं बालिका संरक्षण गृह नाम के एनजीओ की सूची में 42 लोगों (बच्चों और महिलाओं) के नाम दर्ज हैं, लेकिन छापे में मौके पर केवल 24 लड़के-लड़कियां ही मिले। बाकी 18 बच्चे और लड़कियों का पता लगाया जा रहा है।
एसपी रोहन पी कनय ने बताया कि वहां के बच्चों से हमारी बातचीत हुई है। बच्चियों से हुई बातचीत से पता चला है कि संस्था में 15 से 18 वर्ष की लड़कियों से जिस्म का धंधा कराया जाता था। तात्कालिक कार्रवाई करते हुए संस्था के जिम्मेदार पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर संस्था को सील कर दिया गया है।

जबकि महिला थाने जाकर शिकायत करने वाली दस वर्षीय बहादुर लड़की बिहार के बेतिया जिले की रहने वाली है।और कई साल से इस शेल्टर होम में रह रही थी। उसके जन्म के साथ ही मां की मौत हो गई थी। इसके बाद पिता ने उसे ननिहाल छोड़ दिया। लेकिन ननिहाल वालों ने भी उसे अपनी बेटी की मौत का जिम्मेदार मानते हुए शेल्टर होम के सुपुर्द कर दिया। तब से वह यहीं रह रही थी। उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली और वह कभी-कभी उससे मिलने आता था। वह शेल्टर होम को पैसे भी देता था।

एडीजी एलओ आनंद कुमार ने कहा कि देवरिया शेल्टर होम मामले में विस्तृत जांच कराई जा रही है। जिला प्रशासन भी अपने स्तर से जांच कर रहा है। वह बाल विकास विभाग से भी संपर्क कर रहे हैं। वहां रह रहे सभी बच्चों और महिलाओं का मेडिकल कराया जाएगा। बच्चों के बयान पॉक्सो मैजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए जाएंगे।

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