नौकरी का प्रलोभन देकर महिला साहित्यकार से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति की अश्लील बातचीत: चैट हुआ वायरल

सुशील मानव 


इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रतन लाल हंगलू और एक महिला साहित्यकार के बीच वाट्सएप चैट का स्क्रीनशॉट इन दिनों वायरल हो रहा है। चैट अश्लील भी है और नौकरी का प्रलोभन देते हुए एक किस्म की बारगेनिंग को भी सामने लाता है. कुलपति पर उनकी पूर्व नौकरियों में भी लगे हैं यौन-शोषण के आरोप. एक छात्रा की माँ ने नौकरी देने के प्रलोभन से छात्राओं के यौन-शोषण का आरोप लगाते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय को सावधान भी किया था. छात्र-नेता ऋचा सिंह कहती हैं कि इस विश्वविद्यालय की लड़कियों की गरिमा खतरे में है और राष्ट्रपति से कुलपति की बर्खास्तगी की मांग भी उन्होंने की है. पढ़ें सुशील मानव की रिपोर्ट: 





ये चैट बेहजद निजी हैं और अश्लील भी– जिसे पढ़ने के बाद उस पैटर्न का खुलासा होता कि किस तरह किसी संस्था के उच्च पद पर बैठा कोई पुरुष अपने सत्ता पॉवर और पहुँच के बल पर तमाम तरह के लोभ लालच देकर महिलाओं और लड़कियों का यौनशोषण करता है। सबसे ज्यादा दुःख और गुस्सा तब आता है जब ये पुरुष किसी यूनिवर्सिटी के उच्च पद पर आसीन उच्च शिक्षित व्यक्ति हो।  कैसे वो प्यार, पैसे रुतबे और संस्थान के किसी वांछित पद पर नौकरी दिलवाने के वादे करते हुए किसी महिला का यौन-शोषण करता है। इस मामले में अभियुक्त कुलपति पहले से ही शादी-शुदा है, और ये बात उस महिला को भी भलीभाँति पता हो जिसका शिकार वो कर रहा हो। वाट्सएप चैट वायरल होने के बाद से वीसी इलाहाबाद प्रो रतन लाल हंगलू का मोबाइल नंबर स्विच ऑफ है। उनके एक दूसरे नंबर पर भी संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उस नंबर पर पर भी उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है।

बता दें कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की लड़कियाँ पहले भी कुलपति रतन लाल हंगलू और रजिस्ट्रार एन के शुक्ला के खिलाफ आंदोलनरत रही हैं। इससे पहले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में आदित्यनाथ योगी को कैंपस में आने से रोकने का मामला हुआ था, 19 नवंबर 2016 की रात जब तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह तमाम लड़कियों के साथ रात 12 बजे धरने पर यूनिवर्सिटी गेट पर बैठी हुई थी, उस वक़्त एबीवीपीके गुंडों के साथ एन के शुक्ला नशे की हालत में धुत वहाँ पहुचते हैं, और गुंडों के साथ मिलकर धरने पर बैठी लड़कियों को न सिर्फ अभद्र अश्लील गालियां दी बल्कि मार पीट भी की थी, जिसकी रिपोर्ट यूनिवर्सिटी से संबंधित कर्नलगंज थाने में दर्ज है।विश्वविद्यालय के महिला सलाहकार बोर्ड की चेयरपर्सन द्वारा विश्वविद्यालय को चिट्ठी लिखी गई थी जिसमें में यह स्वीकार किया गया कि लड़कियों की साथ देर रात अभद्रता हुई पर, विश्वविद्यालय उस चिट्ठी को दबा देता है, और उस पर कोई जांच नही होती।

गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी में 12000 लड़कियाँ पढ़ती हैं। इसके पहले कुलपति रतन जिस कल्याणी विश्वविद्यालय में कार्यरत थे वहां पढने वाली एक लड़की की माँ सुभाषिनी डे ने इलाहाबद यूनिवर्सिटी के महिला सलाहकार बोर्ड के चेयरपर्सन को पत्र लिखकर उन्हें अपनी चिंता से अवगत करवाया था।महिला ने लिखा है कि ‘मैं कल्याणी विश्वविद्यालय में पढ़नेवाली एक छात्रा की माँ हूँ। मैं बहुत चिंतित होकर आपको पत्र लिख रही हूँ। आपके वीसी प्रो. रतन लाल हंगलू ने जॉब और दूसरे फायदे पहुँचाने का लालच देकर कल्याणी यूनिवर्सिटी के कई लड़कियों के साथ यौनसंबंध बनाया है। वो समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। कृपया अपनी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की लड़कियों की सुरक्षा कीजिए। आप उनके चरित्र के बाबत हैदराबाद यूनिवर्सिटी में भी जांच पड़ताल कर सकती हैं। प्रो रतन लाल हंगलू अपने ऑफिस में केवल उन्हीं पुरुषों को नौकरी देता है जो उसके पास सेक्स के लिए लड़कियों की सप्लाई करता है। कृपया एहतियात के तौर पर उनपर आप कड़ी नज़र उनके पास किसी भी लड़की को अकेली मत जाने दीजिए। वो लड़कियों को फँसाने के लिए झूठी-मीठी बातें और तोहफों का इस्तेमाल करता है।रतन लाल हंगलू के बारे में ये सभी बातें कल्याणी यूनिवर्सिटी के हर एक व्यक्ति को भली भाँति पता है।’

कुलपति रतनलाल हंगलू

वहीं इलाहाबद यूनिवर्सिटी की पूर्व और प्रथम महिला छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचासिंह ने आरोपित कुलपति रतन लाल हंगलू पर लगे यौनाचार के आरोप के संबंध में पत्र लिखकर उन्हें ये बताते हुए कि आपके कारनामे शहर के लगभग सभी सभी अखबारों में छप चुके हैं और उस कथित महिला ने भी इसकी पुष्टि की है, उनसे नैतिक आधार पर वीसी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पद से इस्तीफा देने की माँग की है। ऋचा सिंह ने पत्र में उन्हें ये भी याद दिलाया है कि ‘जब भी किसी छात्र-कर्मचारी-शिक्षक-विभागाध्यक्ष पर कोई आरोप लगा है आपने उन्हें जांचपूर्व ही पद से हटा दिया है उस समय आपकी दलील ये रही है कि वो व्यक्ति अपने पद के चलते जांच को प्रभावित न कर सके इसलिए ऐसा किया गया है। तो महोदय आज जब आप पर पर अपने पद का लाभ उठाते हुए एक कथित महिला को लाभ देने का आश्वासन संबंधी खबरें लगातार शहर के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही है और उक्त महिला ने भी जिसकी पुष्टि कर दी है। ऐसे में विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर बने रहने का आपको नैतिक अधिकार नहीं रह जाता। जैसी की आपकी कार्यप्रणाली रही है उसी के अनुरूप आपसे अपेक्षा है कि आप उक्त आरोपों की जांच होने तक नैतिक आधार पर इस्तीफा देते हुए कैंपस के अंदर प्रवेश न करें। ताकि कुलपति पद की गरिमा बनी रहे। साथ ही विश्वविद्यालय में अध्ययन करनेवाली छात्रायें जो कुलपति के संरक्षण में यह आशा करती हैं कि परिसर छात्राओं को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराएगा। परंतु इस तरह के खबरों के बाद छात्राओं समेत उनके अभिभावक जो गांव-दूर दराज क्षेत्रों से अपनी बेटियों को विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते हैं वह सभी विश्वविद्यालय कैंपस को संदेह के घेरे में महसूस कर रही हैं और किसी भी घटना की शिकायत के लिए किस संस्था के पास जाएं जब कुलपति, रजिस्ट्रार सभी महिला उत्पीड़न के आरोप से घिरे हुए हैं।’

इसके अलावा ऋचा सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर मांग की है कि ‘प्रधानमंत्री जी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा तो देते हो पर सड़क से लेकर विश्वविद्यालयों में चल रही परिस्थितियों के चलते छात्राओं की सुरक्षा खतरे में पड़ गयी है। समाचार पत्रों को पढ़ने के बाद अभिभावक अपनी बेटियों को विश्वविद्यलय में उनसे डरने लगे हैं। उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों के प्रकाश में आपसे प्रार्थना है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रतन लाल हंगलू के खिलाफ लगे यौनाचार के आरोपों का उच्च स्तरीय समिति से अविलंब जांच कराने की कृपा करें। तथा निष्पक्ष जाँच के दौरान प्रो रतन लाल हंगलू का कैंपस में प्रवेश प्रतिबिंधित करने की कृपा करें।’ उल्लेखनीय है कि प्रो रतन लाल हंगलू के विरुद्ध पूर्व में भी उच्च स्तरीय जाँच समितियों ने अपनी रिपोर्ट मानव संसाधन मंत्रालय को सौंप रखी है।

ऋचा सिंह ने राष्ट्रपति को भी पत्र लिखकर विश्वविद्यालय की 12000 लड़कियों की सुरक्षा की चिंता जताते हुए उन्हें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के बिगड़े हुए हालात से अवगत कराया है। साथ ही प्रो रतन लाल हंगलू और रजिस्ट्रार एन के शुक्ला पर यौनाचार के आरोपों के मद्देनजर उन्हें तत्काल प्रभाव से कैंपस में जाने से प्रतिबंधित करने की माँग की है।

अजीब विडंबना है कि देश में बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा दिया जाता है और उन्ही बेटियों का तन मन नोचने वाले उन्हें झूठे मीठे वायदे और लालच देकर उनका यौनउत्पीड़न करनेवालों पर आँच तक नहीं आती। सवाल तो उठता है कि कल्याणी यूनिवर्सिटी में रतन लाल हंगलू के खिलाफ मामला आने के बाद उन्हें किस आधार पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का वीसी कुलपति बना दिया गया। उनके खिलाफ तमाम जाँच कमेटियों की रिपोर्ट को मानव संसाधन मंत्रालय क्यों दबाये बैठा रहा। जाहिर है केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से लड़कियों के लिए न देश के शेल्टर होम सुरक्षित हैं , न सड़के न विश्वविद्यालय न पुलिस थाना।

सुशील मानव फ्रीलांस जर्नलिस्ट हैं. संपर्क: 6393491351

9लिंक पर  जाकर सहयोग करें , सदस्यता लें :  डोनेशन/ सदस्यता
आपका आर्थिक सहयोग स्त्रीकाल (प्रिंट, ऑनलाइन और यू ट्यूब) के सुचारू रूप से संचालन में मददगार होगा.
स्त्रीकाल का प्रिंट और ऑनलाइन प्रकाशन एक नॉन प्रॉफिट प्रक्रम है. यह ‘द मार्जिनलाइज्ड’ नामक सामाजिक संस्था (सोशायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत रजिस्टर्ड) द्वारा संचालित है. ‘द मार्जिनलाइज्ड’ के प्रकशन विभाग  द्वारा  प्रकाशित  किताबें  अमेजन ,   फ्लिपकार्ट से ऑनलाइन  खरीदें 
संपर्क: राजीव सुमन: 9650164016, themarginalisedpublication@gmail.com

Related Articles

ISSN 2394-093X
418FansLike
783FollowersFollow
73,600SubscribersSubscribe

Latest Articles