#MeToo (मीटू) ने औरतों को विरोध की भाषा दी: मेरा रंग के दूसरे वार्षिक समारोह में पैनल-चर्चा और काव्य पाठ

प्रेस नोट 

स्त्रियों के मुद्दों पर काम कर रही संस्था मेरा रंग के वार्षिक समारोह का पूरा दिन स्त्री विमर्श और स्त्री अभिव्यक्ति के नाम रहा। शनिवार को गांधी शांति प्रतिष्ठान के सभागार में पहली बार हिन्दी के फोरम में #MeToo पर विस्तार से चर्चाहुई। दूसरा सत्र कविताओं के जरिए महिला अभिव्यक्ति को समर्पित था।

#मीटू पर आयोजित पैनल डिस्कशन का संचालन वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति माहेश्वरी ने किया। उन्होंने मूवमेंट की पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए वक्ताओं के सामने सवाल रखे। कथाकार व पत्रकार गीताश्री ने कहा कि #मीटू की वजह से औरतें खुद को अभिव्यक्त कर पा रही हैं। पत्रकार अंकिता आनंद ने कहा कि यह कहना गलत है किसी ने उत्पीड़न के वक्त आवाज नहीं उठाई, इतने सालों बाद क्यों? #मीटू से पहले हमारे पास वो भाषा नहीं थी जिसके जरिए खुद को अभिव्यक्त कर सकें। स्त्रीकाल के संपादक संजीव चंदन ने कहा कि स्त्री को अन्य मानकर विमर्श न करें। उन्होंने कहा कि #MeToo अभियान हर वर्ग की स्त्री के लिए अवसर है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद जैन ने कहा कि बहस को जब तक हम गांवों, कसबों तक नहीं ले जाएंगे तब तक कोई बदलाव नहीं आएगा। उन्होंने मौजूदा कानून खामियों का भी जिक्र किया।

कार्यक्रम के आरंभ में मेरा रंग की संचालक शालिनी श्रीनेत ने बताया कि दो साल पहले उन्होंने मेरा रंग यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज की मदद से शुरू किया। जिसमें वे किसी भी क्षेत्र में कुछ बेहतर कर रही महिलाओं के वीडियो इंटरव्यू करती थीं। उन्होंने संस्था के माध्यम से जमीनी स्तर पर भी काम शुरू किया और ‘मेरी रात मेरी सड़क’ कैम्पेन को एनसीआर में सात हफ्ते तक सफलतापूर्वक चलाया। गोरखपुर में इसकी एक बड़ी टीम बन चुकी है। मेरा रंग लगातार एसिड अटैक विक्टिम्स, स्लम एरिया की महिलाओं के लिए भी काम करता रहा है।
दूसरे सत्र में काव्य पाठ का आयोजन था। विषय था- आज की स्त्री और कविता, जिसमें पूर्व इनकम टैक्स कमिश्नर और कवयित्री संगीता गुप्ता मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहीं। उपस्थित कवियों ने अपनी रचनाओं के ज़रिए महिलाओं के अधिकारों की आवाज़ उठाई। चर्चित कवि जितेन्द्र श्रीवास्तव ने अपनी कविता ‘नमक’ के ज़रिए महिलाओं के आंसुओं की सुंदर व्याख्या की तो वहीं हेमलता यादव ने एक मजदूर औरत की व्यथा बताई। इसके साथ ही संगीता गुन्देचा निवेदिता झा, वाज़दा ख़ान, रीवा सिंह, आफ़रीन, सीमा रवंदले ने महिला मन को कविताओं में अभिव्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन युवा कवयित्री तृप्ति शुक्ला द्वारा किया गया और आर्टिस्ट व कवि सीरज सक्सेना ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। अंत में आयोजक शालिनी श्रीनेत ने अतिथियों को धन्यवाद दिया और रंजना, अनु शर्मा, उद्भव, अऩिकेत, कुन्थू ने सभी अतिथियों को पौधा भेंट कर धन्यवाद ज्ञापन किया।

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