स्त्रीकाल डेस्क
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8मार्च) से सावित्री बाई फुले परिनिर्वाण दिवस (10 मार्च) तक नागपुर में द्वितीय अखिल भारतीय अम्बेडकरी महिला साहित्य सम्मेलन का आयोजन हो रहा है.
सम्बुद्ध महिला संगठन और अखिल भारतीय अम्बेडकरी साहित्य व संस्कृति महामंडल द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन सुलोचनाबाई डोंगरे परिसर, दीक्षाभूमि नागपुर में होगा. साहित्य और सरोकार के ऐसे आयोजन महाराष्ट्र के अम्बेडकरी साहित्य को जनता से जोड़ने का भी काम करते हैं.
आयोजकों ने अपनी संकल्पना को स्पष्ट करते हुए मूल्यांतरोत्तर ‘अम्बेडकरी स्त्री’ की परिकल्पना एक ‘पूर्ण स्त्री’ की परिकल्पना के रूप में रखी है. ‘अम्बेडकरी स्त्री मानसिक रूप से सम्पूर्ण बदलाव हासिल कर चुकी एक स्वतंत्र स्त्री है जिसकी भूमिका जाति, धर्म, वर्ग, लिंग, वर्ण से ऊपर उठकर एक मनुष्य के रूप में व्यापक होती है. अखिल भारतीय द्वीतीय अम्बेडकरी महिला साहित्य सम्मेलन का आयोजन इसी मूल्य के प्रति समर्पित आयोजन है. ‘
मूल्यांतरोत्तर समय से तात्पर्य संविधान निर्माण और धम्म प्रवर्तन (1956) के बाद के समय से है,
तीन दिवसीय सम्मलेन की अध्यक्ष उर्मिला पवार, और उद्घाटक नूर ज़हीर होंगीं. और स्वागताध्यक्ष कुसुमताई तामगाडगे हैं.
आयोजन की शरुआत अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर संविधान चौक से दीक्षाभूमि तक समता मार्च के साथ होगी. 9 सत्रों में विभाजित यह आयोजन सावित्रीबाई फुले परिनिर्वाण दिवस (10 मार्च) को समाप्त होगा.
तीन दिनों में उर्मिला पवार, नूर ज़हीर, विमल थोरात, कौशल पंवार, कल्याणी ठाकुर, वर्षा अय्यर, सुलभा पाटोल, नंदाताई तायवाडे, लता प्र.म, संजीव चन्दन, भास्कर पाटिल, सुशीला टाकभौरे, आशालता काम्बले, पूनम खलखो, प्रदीप मेश्राम, रजनी दिसोदिया, नीतिशा खलखो, सुभद्रा, सीमा मेश्राम, छाया कोरेगावकर, हेमलता माहिश्वर, यामिनी चौधरी, नूतन मालवी, इंदिरा आठवले सहित कई साहित्यकार अलग-अलग सत्रों में भाग लेंगे. परिचर्चा के अतिरिक्त नाट्य-मंचन और काव्य-पाठ इस आयोजन के अलग-अलग सत्रों में होंगे.