बिहार:महिला कांस्टेबल की हत्या: संदेहास्पद पुलिस, बेखबर सरकार, बेशर्म मीडिया

बिहार में हर महिला के साथ अपराधिक घटना एक रहस्यमय आवरण ले ले रहा है और ऐसा लगता है कि पूरा तन्त्र ऐसी घटनाओं में अपनी मिलीभगत की निशानदेही दे रहा हो. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में अनाथ बच्चियों से बलात्कार और हत्या में पूरे तन्त्र की मिलीभगत पर सुप्रीम कोर्ट तक की टिप्पणियाँ आयी हैं. ताजा मामला बिहार के सीवान में महिला कांस्टेबल की कथित (आत्म) हत्या का  सामने आया है. जितने संदेह इस वारदात के इर्द-गिर्द हैं उतनी ही बेशर्मी मीडिया में देखने को मिल रही है. महिला कांस्टेबल्स के लिए थानों और ड्यूटी में व्यवस्था का अभाव पूरे देश में है, जेंडर सेंसिटिविटी तो खैर इस विभाग के लिए दूर की कौड़ी है. लेकिन बिहार में हालात और भी खराब हैं. नवम्बर 2018 में एक महिला कांस्टेबल की मौत के बाद पटना में पुलिस ने विद्रोह कर दिया था, उन्होंने जमकर तोड़-फोड़ की थी, अफसरों को पीटा था, जिसके बाद सराकर ने 700 कांस्टेबल्स को बर्खास्त कर दिया था, जिसमें अधिकाँश महिलाएं थीं.

फिलहाल सीवान की घटना और उसके इर्द-गिर्द के षड्यंत्र को समझते हैं:

पटना लाइव से साभार

बेशर्म रिपोर्टिंग

चौथी दुनिया ने खबर का शीर्षक दिया है, ‘क्या खूबसूरती ने ली बिहार पुलिस की कांस्टेबल स्नेहा की जान, क्या है उनकी मौत की वजह?’

आजतक की खबर का शीर्षक है, ‘क्या कांस्टेबल स्नेहा की खूबसूरती ही बनी उनकी मौत की वजह?’

न्यूज24 के बिहार से पत्रकार अमिताभ ओझा इस खबर की तह तक जाने में लगे हैं. लेकिन उनका चैनल शीर्षक दे रहा है,’ बला की खूबसूरत महिला कांस्टेबल की मौत’ या वो बला की खूबसूरत थी लेकिन पुलिस कांस्टेबल थी.

अबतक मीडिया की खोजी रिपोर्ट की कुल उपलब्धि यही है कि उसे यही तथ्य हाथ लगा है कि मृतक कांस्टेबल स्नेहा की ख़ूबसूरती ही उसकी मौत का कारण है, यानी (आत्म) हत्या की सारी जिम्मेवारी खुद मृतक की हो, जबकि संदिग्ध मौत के इर्द-गिर्द की सारी घटनाएं और पुलिस की गतिविधियाँ किसी बड़ी साजिश का संकेत दे रही हैं. स्थानीय लोगों में इसे लेकर आत्महत्या और हत्या की तरह-तरह की कहानियाँ घूम रही हैं.

क्या है पूरा मामला:

सीवान में कार्यरत मुंगेर जिले की निवासी पुलिस कांस्टेबल स्नेहा कुमारी की लाश 1 जून को उसके सरकारी क्वार्टर में मिली. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि उसकी मौत 48 घंटे पहले 30 मई को ही हो गयी थी. लाश की हालत ऐसी थी कि डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम करने से इनकार कर दिया था तो पुलिस के लोगों ने अस्पताल में हंगामा किया. 2013 में पुलिस में भर्ती हुई और सीवान  के मुफ़स्सिल थाने में कार्यरत स्नेहा की संदिग्ध मौत को पहले तो आत्महत्या माना गया लेकिन जल्द ही ह्त्या की आशंकाएं भी गहराने लगीं हैं.

इन दिनों स्नेहा की तैनाती जिला समाहरणालय में परिवार न्यायालय के कोर्ट में थी, जहाँ से उसने दो दिनों की छुट्टी ली थी 30 और 31 मई के लिए. सीवान के पुलिस लाइन स्थित महिला क्वार्टर में तीसरे मंजिल पर उसका का फ्लैट था जिसमें वो अकेले ही रहती थी. 1 जून को जब वह ड्यूटी पर नही आई तो उसके साथ काम करने वाली महिला कांस्टेबल चांदनी कुमारी ने उसे मोबाइल पर फोन किया .लेकिन स्नेहा ने कॉल रिसीव नही किया. पड़ोसी कांस्टेबल से बात करने पर उसने देखा तो बताया कि कमरे का दरवाजा बंद है और दरवाजे पर खून है. जिसके बाद पुलिस को खबर दी गई.

स्थानीय अखबारों के अनुसार पुलिस अपनी इंट्री के साथ ही संदिग्ध भूमिका में दिख रही है. दैनिक हिन्दुस्तान ने 5 जून को लिखा, ‘सीवान पुलिस स्नेहा के शव के साथ लगातार साजिश रच रही है। सोमवार की देर रात को सीवान पुलिस ने स्नेहा के शव को नौवागढ़ी स्थित उसके घर पहुंचाया। इसके बाद सीवान पुलिस के द्वारा रात में ही शव को जलाने का दबाव बनाया जा रहा था। लेकिन परिजनों ने कहा कि अधिक रात होने के कारण शव मंगलवार को जलाया जाएगा। इसके बाद मंगलवार की सुबह ताबूत को खोला गया, तो शव देखने के बाद परिजन और ग्रामीण स्तब्ध रह गए। उन्होंने कहा कि यह स्नेहा का शव नहीं है। वह शव किसी बूढ़ी औरत की थी.  इससे आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने पटना-भागलपुर मुख्य मार्ग एनएच-80 को नौवागढ़ी के समीप जाम कर दिया। जाम की जानकारी मिलने ही स्थानीय पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। लेकिन ग्रामीण समझने को तैयार नहीं थे। इसके बाद वहां मुंगेर के एसपी गौरव मंगला पहुंचे। एसपी के पहुंचने के बाद आक्रोशित ग्रामीणों और परिजनों को बलपूर्वक जाम स्थल से हटाया गया।’

मृतिका के पिता विवेकानंद मंडल भी कहते हैं कि साजिश के तहत उसकी हत्या कर दिया गयी। मंडल का कहना है कि शनिवार की दोपहर को उन्हें नया रामनगर थाना से जानकारी मिली की बेटी की तबीयत खराब है, सीवान बुलाया गया है। घर में किसी को जानकारी दिए बिना वे सीवान के लिए रवाना हो गए। इसके बाद वहां स्थानीय पुलिस के द्वारा स्पष्ट तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गयी और ना ही बेटी से मुलाकात कराई गई। 

स्नेहा ने 29 मई तक डियूटी की थी रात में दस बजे तक घरवालो से बात हुई थी. उसकी बहन के अनुसार 30 मई की सुबह तक उसकी बहन स्नेहा ने वाट्सप देखा था.हालांकि उसके बाद उसने काल रिसीव नही किया. स्नेहा के साथ काम करने वाली चांदनी ने भी बताया कि स्नेहा ने दो दिनों का अवकाश लिया था.लेकिन कही से भी वह घबराई हुई या तनाव में नहीं थी. 

हत्या का संदेह

स्नेहा के पिता और उसकी बहन के अनुसार ‘जब उसकी लाश घर पर मुंगेर भेजी गयी तो वह लाश उसकी नहीं थी. लाश किसी बुढ़िया की दिख रही थी. किसी की लाश 48 घंटे में कैसे सड़-गल सकती है. हमने जब लाश लेने से मना किया तो मुंगेर के एसपी ने दवाब बनाया कि हम लाश लें और उसे जल्द जला दें. मना करने पर हमसब को बहुत मारा-पीटा गया.’ एक्सपर्ट्स भी कहते हैं कि 48 घंटे में एक तो कोई लाश उतनी सड़-गल नहीं सकती है. और यदि सडती है तो उसकी दुर्गन्ध आस-पास के लोग बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे. जबकि दो दिन तक एकदम पास के कमरों में रहने वाली महिला कांस्टेबल को इसकी भनक तक नहीं लगी.

पुलिस और सीवान एसपी की हाइपर एक्टिविटी और संदेह

अपनी कांस्टेबल की मौत की सूचना पाकर सीवान के एसपी नवीन झा हाइपर एक्टिव बताये जाते हैं. इस मौत को सबसे पहले उन्होंने आत्महत्या कहा और पूरी बिल्डिंग खाली करवा ली. पूरी बिल्डिंग खाली करवाने का कोई औचित्य नहीं दिखता. पुलिस महकमे में इतनी बड़ी घटना घट गयी है लेकिन जल्द ही वे छुट्टी पर चले गये, जिसके बाद स्थानीय लोगों में उनपर अविश्वास और गहरा हो चुका है. डीएसपी इस प्रसंग में कुछ भी पूछे जाने पर कुछ भी कहने से मना कर रहे हैं.

एक स्थानीय व्यक्ति ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है, ‘ एसपी मौके पर सबसे पहले पहुंचते है और पूरे बिल्डिंग को खाली करवा दिया जाता है. एसपी –बताते है कि स्नेहा ने पंखे से लटककर सुसाइड कर लिया. लेकिन उनके पास  इस बात का जवाब नही होता है कि सुसाइड केस कमरे में खून कैसे आया?’  1 को लाश की दुर्गंध नही मिली थी?  क्या 24 से 30 घंटे में लाश इतना डिकम्पोज हो जाएगा?जून को जब कमरे में लाश मिली वह सड़ चुकी थी.

पटना: अक्टूबर 2018 में ट्रेनी कांस्टेबल्स ने की थी छेडछाड की शिकायत

स्नेहा को जानने वाले जो लोग भी सीवान  में है सभी ने चुप्पी साध ली है.सीवान  की पुलिस इस मामले को जितना सुलझाने की कोशिश कर रही है इस मामले में खुद ही उलझते जा रही है. सीवान  के एसपी लंबी छुट्टी पर चले गए है.मुख्यालय में मौजूद डीएसपी सहित कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नही है.

स्नेहा के पिता के अनुसार उसके साथ दुष्कर्म करने के बाद हत्या कर दी गयी और शव को कहीं गायब कर दिया गया . इस मामले में स्नेहा के परिजनों ने सरकार से उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है पिता का कहना है कॉन्स्टेबल स्नेहा काफी हंसमुख लड़की थी. वो सभी से मिलती थी. जब भी उसकी छुट्टी होती वो मुंगेर के नौवगढ़ी अपने घर परिवार के पास रहती थी. लेकिन इस बार जब सीवान  पुलिस ने उन्हें बताया कि स्नेहा की तबियत खराब ही तो हमलोग उससे मिलने सीवान  पहुंचे . सीवान  पहुंचने पर वहां के एसपी ने बताया कि स्नेहा की तबियत खराब है वो बार बार बेहोश हो रही थी . इस कारण इलाज के लिए उसे पटना भेजा गया है . विवेकानंद ने कहा कि जब स्नेहा से मिलने की बात की तो मुझे दो चौकीदार के साथ पटना भेजा गया . लेकिन पटना पहुंचने से पहले ही मुझे जानकारी दी गयी कि स्नेहा को मुंगेर घर भेज दिया गया . इस दौरान भी पुलिस ने यह जानकारी नही दी कि स्नेहा की मौत हो गयी है . लेकिन जब मुंगेर पहुंचे तो tv पर ख़बर देख कर जानकारी मिली कि स्नेहा ने आत्महत्या कर ली . इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका काफी शक पैदा कर रही है . शव के पहुंचने पर भी वो 50-60 साल की बूढ़ी की थी . जिसके दांत टूटे और सिर के बाल सफेद थे पिता के अनुसार स्नेहा की मौत होने के बाद भी उसके शव की न तो विभागीय फोटो ग्राफी की गई न ही सीवान  की मीडिया को ही कवर करने दिया गया .

सवाल उठता है कि आखिर दस दिनों के बाद स्नेहा के परिजनों को सुसाइड नोट क्यो नही दिखाया गया और कोई उन्हें घटना की तस्वीर या वीडियो क्यो नही दिखाया गया? आखिर सीवान की पुलिस परिजनों से बार बार झूठ क्यो बोल रही है?’  यदि जांच और कार्रवाई नहीं होती है तो संदेह और गहराता जाएगा. खासकर तब जब सूबे के मुख्यमंत्री खुद गृहमंत्री भी हों.