एको एको जिंदगी, खुल के जिवांगें

एको एको जिंदगी, खुल के जिवांगें

पर लड़की का खुल कर जीना समाज के बंद दिमाग वालों को कब पसंद आया है? लड़की हो, लड़की की तरह रहो। लड़की का एक टाइप बना दिया गया है। तथाकथित समाज भले ही कह दे कि वह आधुनिक है, लेकिन हमारी मानसिकता आज भी पुरानी ही है। हमारी मानसिकता उस समय की है बनी हुई है जब लड़कियों को कोई अधिकार नहीं प्राप्त था। घर संभालना उनकी जिम्मेदारी बना दी गई थी। घर के बाहर का जीवन स्त्री के लिए मुश्किल था। समाज के लोग  बड़े सहज तरीके से कोई कह देते कि वह आधुनिक हैं। पितृसत्ता से ग्रसित नहीं हैं। उनके लिए स्त्री का अर्थ है एक गुडिया जो केवल इशारे पर चलने का काम करती है । इसके दिल दिमाग की हमें फिक्र नहीं ।

फिल्म ‘कली झोट्टा’ खुले दिमाग की लड़की ‘राबिया’ की कहानी है। राबिया एक ऐसी लड़की जो सबको प्यार करती है। उसके जीवन का उद्देश्य है सही को सही कहना और सबके साथ अच्छा व्यवहार करना।  कहानी की शुरुआत अनंत नाम की लड‌की से होती है जो वकील की प्रैक्टिस कर रही है। अनंत एक खुले विचारों वाली लड़की है, आधुनिक है। उसको अपने स्कूल का पियून अचानक दिखाई देता है तो वह अपनी सबसे अच्छी टीचर राबिया के बारे में उससे पूछती है। राबिया के बारे में कोई बात ही नहीं करना चाहता था। वह निराश होती है लेकिन बहुत खोज करने पर पता लगता है कि राबिया की मानसिक हालत खराब होने के कारण उसको हॉस्पिटल भेज दिया गया था। इतनी जिंदादिल लड़की हमेशा खुश रहने वाली उसको अचानक क्या हुआ? इसी संदर्भ में अनंत दीदार से मिलती है। दीदार और राबिया साथ कॉलेज में पढ़ते थे दोनों का आपस में नेह था लेकिन एक दूसरे से कभी कह न पाए। कॉलेज के बाद दीदार आगे की पढ़ाई के लिए शहर चला जाता है और राबिया की सरकारी स्कूल में नौकरी लग जाती है। वह कलाकार है, घर के कामों की जानकारी रखती है, नाचती गाती है, संगीत सुनना उसके व्यक्तित्व का हिस्सा हैं।   सरकारी स्कूल का माहौल राबिया को सहन नहीं कर पाता है। वहां प्रिंसिपल और दो पुरुष अध्यापकों की नज़रों में राबिया का मिलसार होना, उसका हँसना-खेलना, बच्चों को डाँटने और सज़ा देने की बज़ाए छोटे-छोटे तौहफे देना गलत था। उसका सरकारी नौकरी में होने के बाद भी अविवाहित होना उसके खराब चरित्र की निशानी थी। पुरुष समाज की यह आम धारणा है कि हँसने वाली लड़की गलत होती है। वह अवसर होती है। उसका हँसना-खेलना बोलना यानी उसका किसी भी मर्द के लिए उपलब्ध होना है। इस तरह की घटिया मानसिकता को राबिया कई बार अपने स्कूल के प्रिंसिपल, मैथ टीचर से झेलती है। तभी दीदार राबिया के स्कूल में आने से राबिया के जीवन में फिर से वही हँसी-खेल उमंग आ जाती है जो कॉलेज के समय पर थी। राबिया का दीदार से इस तरह हँसी-मजाक और उसके साथ रहना स्कूल के मर्दों को नहीं पसंद था। उसका चरित्र तय किया गया। तभी राबिया को पता चलता कि दीदार की शादी तय हो गई, उसकी पत्नी उसी स्कूल में तबादला करवा लेती है। राबिया दीदार की पत्नी को भी नहीं सुहाती। ठीक इसी समय राबिया के बीमार पिता की मृत्यु हो जाती है। स्कूल की एक छात्रा को एक छात्र परेशान करता है, जिसके लिए राबिया अकेली क्लास में उस लड़के को डाँटती है। इसपर दीदार की पत्नी और प्रिंसिपल यह मतलब निकालते हैं कि राबिया छात्र के साथ कुछ गलत कर रही थी। राबिया को बस स्टैंड पर खड़ा देख प्रिंसिपल उसको जबरन लिफ्ट देना चाहता है। पास खड़ी महिला के फटकार लगाने पर उसको शर्मिंदा होना पड़ता है।  प्रिंसिपल और उसके साथ के दो पुरुष आध्यापक लगातार राबिया को परेशान करने की कोशिश करते हैं। एक दिन सुबह ही स्कूल की छुट्टी करवा कर राबिया को प्रिंसिपल अपने कमरे पर बुलाता है, जहाँ वह अन्य अध्यापक मिलकर दारू पी रहे थे। वह राबिया को मानसिक प्रताड़ना देते हैं। उसको जलील करते हैं। प्रिंसिपल करता है कि अब इसकी अकड़ चली जाएगी। इस घटना ने राबिया को बुरी तरह प्रभावित किया इसके बाद वह किसी भी स्पर्श से घबराने लगी। कोई भी स्पर्श उसको मानसिक रूप से परेशान करता था। वह सहम जाती थी।  बस राह चलते उसकी यह घबराहट बढ़ते-बढ़ते एक दिन उसको दिमागी अस्पताल में पहुंचा देती है। अनंत राबिया का केस लड़ती है। जहाँ वह अदालत को यह समझाने में कामियाब होती है कि रेप, हत्या जैसा ही जुर्म किसी को मानसिक प्रताड़ना देना है।  सभी के प्रयास के बाद राबिया थोड़ा ठीक होने लगती है।

यह कहानी अपने आप में एक अलग कहानी है। एक दर्द जो आपको महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा से रू-ब-रू करवाता है। हम शरीर के नुक्सान की बात करते हैं लेकिन मन पर लगे घाव की कोई सजा नहीं होती। मनसिक शोषण किस तरह से एक महिला के लिए नासूर बन सकता है कहानी उस सच को बताती है। आज जब रिश्तों में अकेले हो गए हैं तो यह घाव और गहरे हो जाते हैं। राबिया को यह सजा इसलिए मिली क्योंकि वह एक खुशमिजाज लड़की थी, अरेंज मैरिज वाले समाज में उसे दीदार से प्रेम था। वह अच्छी दिखाई देती थी। ठीक कपड़े पहनती थी। लड़कियों के लिए हँसना मना है उसे हँसना पसंद था। इसलिए समाज के ठेकेदारों ने उसको सबक सीखाया। यह कहानी हर उस लड़की की कहानी है जो अपनी शर्तों पर जीती हैं। समाज की पितृसत्ता उसको जीने नहीं देती। लोगों को हँसती- बोलती लड़की चरित्र की खराब लगती है। सड़क पर ऐसी लड़की को उसके जानने वाले छेड़ना अपना धर्म समझते हैं। प्रिंसिपल व अन्य पुरुष  शिक्षकों का राबिया के प्रति व्यवहार उनकी इसी मानसिकता को बताता है। उन लोगों के अनुसार वह क्योंकि खुले दिमाग की है इसलिए उसपर सबका हक है और क्योंकि वह अपने उपर किसी का हक होने नहीं देती इसलिए वह सबक सिखाने लायक है।

मन के घाव इतने तीखे होते हैं कि वह ताउम्र नहीं भर पाते। महिलाओं के साथ और भी दर्दनाक हो जाता है क्योंकि उन्हें समझने वाला कोई होता ही नहीं। राबिया जिंदगी में जब इन हादसों से गुजरी तक वह अकेली थी बहुत अकेली। यदि जीवन में कोई अपना साथ हो तो व्यक्ति दुख साझा कर सकता है लेकिन राबिया के जीवन में ऐसा कोई नहीं था। ऐसी स्थिति में परिवार सहायक होते हैं लेकिन पितृसत्ता से ग्रसित राबिया के परिवार में उसको समझने  वाला भी कोई न था। यह कहानी भारतीय समाज के उन घरों का प्रतिनिधित्व करती है जहां स्त्री की हैसियत घर में पड़े समान से भी कम आंकी जाती है।

हमारा बुरा वक्त भी सही होने की ताकत रखता है जब हमारे साथ हमारे अपने हो राबिया को उसके सदमे से बाहर निकालने में उसकी विद्यार्थी और दोस्तों का बहुत योगदान था। अस्पताल में डॉक्टर कहता भी है कि ‘इन लोगों से मिलने उनको वापस जीवन में लाने की कोई कोशिश नहीं करता आप कर रहे रहे हैं यह मेहनत सफल होगी’। और अंत में सबकी मेहनत सफल भी होती है।

विषय, निर्देशन, अभिनय, मन और दिमाग को छूने वाले संगीत और गानों के कारण वास्तव में यह ‘कली झोट्टा’ एक बेहतरीन फिल्म है।

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ISSN 2394-093X
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