टूट रही हैं वर्जनाएं: अनेक रिश्तों में होना आखिरी टैबू

पॉलीअमरी (बहुप्रेम) को परिभाषित करने के अनेक तरीके हैं, क्योंकि ऐसे रिश्ते में अनेक लोग भागीदार होते हैं-अनेक पुरुष अनेक स्त्री, अलग-अलग जेंडर आइडेंटिटी से, हेट्रोसेक्सुअल हो, बायसेक्सुअल हो, होमोसेक्सुअल हो। मैंने सुना है कि पॉलीअमरी (बहुप्रेम) को लोग सिर्फ 'पॉली' कहते हैं। इसका मतलब सिर्फ 'बहुत' है। मैं पूछती हूं, ' इसमें प्यार कहां है?' मेरे लिए, पॉलीअमरी सभी शामिल लोगों की सहमति से, यौन अंतरंगता के साथ या उसके बिना प्यार के विभिन्न रिश्तों में जीना है ।

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एक ही समय में एक से अधिक लोगों के साथ रोमांटिक प्रेम में होना (पॉलिअमरी ) शायद आखिरी मौजूदा वर्जना है। यहां तक कि विचारों में बहुत खुले व्यक्ति भी तब हिचकते हुए पाए जाते हैं जब प्रेम की एकनिष्ठा को चुनौती दी जाती है।हमारी कहानियों, फिल्मों, गीतों और कविताओं में उस विक्षोह, मिलन, ‘सच्चे प्यार’ के खोने, पाने को सेलिब्रेट किया जाता है जिससे प्रेम में एकनिष्ठा को सामाजिक मुहर प्राप्त होता है,मान्यता मिलती है।

मैं 50 वर्ष की हूं। मैं किसी भी समय दो से चार भागीदारों के साथ सहमति से संबंधों में रही हूं। लेकिन मैंने देखा है कि पॉलिअमरी,अनेक संबंधों के इर्द-गिर्द होने वाली बातचीत अक्सर बेहद असहज होती है और बाज़ वक़्त एकदम घटियास्तर पर उतर जाती है। क्या यह इसलिए है, क्योंकि यह परिवार के उस विचार को खंडित कर देता है जिसके हम अभ्यस्त होते हैं? या इसलिए कि राज्य के लिए अपने नागरिकों को नियंत्रित करना यह असंभव बना देता है? जबकि कोई भी एक माँ के अपने सभी बच्चों को प्यार करने की क्षमता पर सवाल नहीं उठाता है, एक से अधिक लोगों को रोमांटिक और सेक्सुअल प्यार करने पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं।

 

इस प्यार का क्या नाम दूँ

मुझे जल्दी ही एहसास हो गया था कि मुझमें एक समय में एक से अधिक लोगों से प्यार करने की इच्छा और क्षमता है, जिनमें एक स्थायित्व की उम्मीद भी थी। लेकिन मैं आशंका भय से भर गयी थी। मेरा एक मित्र कौशिक था जिसके साथ मेरी इस बारे में पहली चर्चा तब हुई जब मैं अपने बीसवें साल में थी।

वह खुले तौर पर अनेक संबंधों,बहुप्रेम,में था। उसने मुझे ‘द एथिकल स्लट’पढ़ने की सलाह दी-एकल और जोड़ों के लिए कई, लेकिन नैतिक और भावनात्मक रूप से स्थायी संबंध, बनाने के लिए एक गाइड है यह किताब।वह अमेरिका में रह रहा था और गैर-पारंपरिक परिवारों को जानता था, जिसमें तीन या चार जोड़े शामिल थे, जो रोमांटिक, यौन और बच्चों के पालन-पोषण की जरूरतों को साझा करते थे।

लेकिन बहुत पढ़ने और आत्मीय लोगों के साथ बात करने के बाद मैं सहज हो सकी, अपने होने को स्वीकार किया, और अनेक संबंधों में होने के बारे में बात करने में सहज महसूस करने लगी।

पॉलीअमरी (बहुप्रेम) को परिभाषित करने के अनेक तरीके हैं, क्योंकि ऐसे रिश्ते में अनेक लोग भागीदार होते हैं-अनेक पुरुष अनेक स्त्री, अलग-अलग जेंडर आइडेंटिटी से, हेट्रोसेक्सुअल हो, बायसेक्सुअल हो, होमोसेक्सुअल हो। मैंने सुना है कि पॉलीअमरी (बहुप्रेम) को लोग सिर्फ ‘पॉली’ कहते हैं। इसका मतलब सिर्फ ‘बहुत’ है। मैं पूछती हूं, ‘ इसमें प्यार कहां है?’ मेरे लिए, पॉलीअमरी सभी शामिल लोगों की सहमति से, यौन अंतरंगता के साथ या उसके बिना प्यार के विभिन्न रिश्तों में जीना है ।

पॉलीअमरी (बहुप्रेम) अल्पकालिक या दीर्घकालिक हो सकते हैं, प्राथमिक भागीदार के साथ या उसके बिना, और कभी-कभी विभिन्न भागीदारों के साथ परिवार के वैकल्पिक सर्किल बना सकते हैं। पॉलीअमरी (बहुप्रेम) के लिए मैं सबसे करीबी बांग्ला शब्द ‘बहूमोनोरथ’ कह सकती हूं। इसका अर्थ है ‘कई इच्छाएं’। मुझे वास्तव में यह पसंद है।

 

अनेक भ्रांतियां

कौशिक ने एक बार मुझसे कहा था कि पॉलीअमरी (बहुप्रेम) के बारे में सबसे बड़ी ग़लतफ़हमियों में से एक यह थी कि यह ‘एक कथित सच्चे प्यार’ को पाने में असफलता की प्रतिक्रिया स्वरूप होता है। मुझे उन लोगों की याद आती है जो फुसफुसाते हैं ‘वह समलैंगिक है, क्योंकि उसे कोई पुरुष नहीं मिला है?’

मैं एक से अधिक लोगों से प्यार इसलिए नहीं करती कि ‘सभी ज़रूरतें एक व्यक्ति द्वारा पूरी नहीं की जाती’, या ‘एक व्यक्ति जल्दी ही उबाऊ हो जाता है’।

मैं ऐसा इसलिए करती हूं क्योंकि मेरा दिल सुंदरता, साहस ईमानदारी, दया और करुणा एक से अधिक लोगों में देखता है और उनसे जुड़ने की इच्छा होती है। – यही कुछ वजहें हैं कि कोई भी व्यक्ति एक व्यक्ति के प्यार में पड़ जाता है। मैं सिर्फ यह कहने से इनकार करती हूं कि ‘रुको, फिर से प्रेम में मत पड़ो । आपका ‘एक जीवन, एक प्यार’ का कोटा पूरा हो गया है।’

 

आर ने एक और गलतफहमी की ओर इशारा किया – ‘बहु-प्रेम वाले लोग किसी के भी साथ सोते हैं।‘ पुरुष अक्सर मेरे मेसेज में गंदे अनुरोधों और तस्वीरों के साथ आते हैं। लेकिन जो लोग एक से अधिक व्यक्तियों के साथ सेक्स करना पसंद करते हैं, उनके बारे मेंयह मान लेना कि उनका किसी के भी साथ यौन संबंध हो सकता है, ‘सहमति’ को अप्रासंगिक बना देता है।

इस समाज में अनेक रिश्तों में रहने वाले लोग और एक सेक्स वर्कर, दोनों ही भेदभाव झेलते हैं। प्यार के लिए भी यही सच है। एक बहुप्रेमी व्यक्ति को अक्सर दूसरों को समझाना पड़ता है कि वे उनके प्रति ‘प्यार’ क्यों नहीं महसूस करते हैं। यह परेशान करने वाला मसला हो सकता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है। मैं कभी-कभी बताती हूं कि एक व्यक्ति या कई लोगों से प्यार करना, दोनों समय के साथ व्यवहार में निर्मित एक कंस्ट्रक्ट है।

हमें यह विश्वास दिलाया जाता है कि एकल प्रेम स्वाभाविक है और बहुप्रेम विचलन। क्या एकल प्रेम अचूक होता है? मैं अपने आस-पास अलग-अलग तरह के एकलप्रेमी जोड़े को देखती हूं – खुश, संघर्षशील, इंसानी मुश्किलों से जूझते हुए ।कई लोगों के अपने एकल-रिश्ते (जोड़ी) के बाहर संबंध होते हैं, साथी पार्टनर की जानकारी में या बिना जानकारी के। जीवन जटिल है। बहुप्रेमी होने के नाते, मैं शरीर और आत्मा की ज़रूरतों को गहराई से समझती हूँ। मैं जिस चीज से असहमत हूं, वह ‘युगल-पवित्रता’ का अनुष्ठान है, इसे महिमामंडित करने के लिए बनाए गए मिथक हैं।और जो कुछ भी इसके बाहर है उसका तिरस्कार। बहुप्रेमी लोगों को अक्सर यह बोझ ढोना होता है गोयाइस पवित्र दुनिया में सिर्फ वे ही अपवित्र हैं।

सह-प्रेमी होना

बहुप्रेमी संबंधों में होने की राह सीधी नहीं है लेकिन असंभव भी नहीं है। हम कभी-कभी लंबी दूरी के रिश्तों में होते हैं। हम पल भर में अपने डेट्स तय नहीं कर सकते हैं, या बिना किसी योजना के एक से दूसरे ठिकानों पर जाते हुए सप्ताहांत व्यतीत नहीं कर सकते हैं। एक साथी की अन्य साथी के साथ प्रतिबद्धता हो सकती है। इसलिए हमें प्रत्येक साथी के खुलेपन, उसकी सीमा और उपलब्धता के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। लेकिन उज्जवल पक्ष भी हैं। एक से अधिक साथी होने का मतलब है कि हम एक के साथ सांस्कृतिक अवकाश पर जा सकते हैं, तो दूसरे के साथ एक साहसिक यात्रा पर, निर्भर करता है साझा रूचियों के होने पर।

 

क्या आपको कभी जलन नहीं होती? यह एक और सवाल है जो मेरे दोस्त पूछते हैं। कई दार्शनिकों और मनोविश्लेषकों द्वारा पता लगाया गया है कि अगर हमारे प्रेमी दूसरों के साथ अंतरंग होते हैं तो हमें जलन या गुस्सा क्यों महसूस होता है?

 

मुझे अपने लिए दो उत्तर मिले। सबसे पहले, कोई प्रेमी को अपनी संपत्ति के रूप में देखता है। ‘तुम मेरे हो’ ने कई सदाबहार गीतों के बोल तय किये हैं, जो किसी ‘अतिक्रमण’, ‘हद पार करने’ के विचार को नकारते हैं। संपत्ति पर कानूनी अधिकारों की तरह प्रेमी पर ‘वफादारी’ का अधिकार प्रबल होता है।
दूसरे, प्रेमी को अपने ही विस्तार के रूप में देखा जाता है। ‘तुम और मैं एक’ भी लोकप्रिय गीत हैं। इस मामले में, बिना सहमति केअंतरंगता, स्वयं पर, स्वत्व पर हमला बन जाती है।

इस तरह हम सोचने और महसूस करने के लिए अनुनुकूलित हैं। हालांकि, अगर हम चाहें तो इस तरह की सोच को बदलना असंभव नहीं है। लेकिन इसमें समय लगता है,और दिल को पीड़ा भी होती है।

सम्मिलन का विचार

मुझे भी कभी-कभी जलन महसूस होती थी। लेकिन ईर्ष्या के बरक्स मेरी खोज में मैं ‘सम्मिलन’ पर आकर ठहर गयी, जिसमें एक प्रेमी यह जानकर खुशी महसूस करती/ता है कि उसके प्रियजन को दूसरों से प्यार और खुशी मिलती है।

मैं समझती हूँ कि सम्मिलन बहुप्रेम की आधारशिला है। जिस व्यक्ति के साथ आपके प्रेमी का रिश्ता है, वह ‘सह-प्रेमी’ बन जाती/ता है, यह एक नया शब्द है, जो मैंने सीखा। मैंने सह-प्रेमियों के मामले में दो समस्याओं पर ध्यान दिया है।

इतिहास में ‘बहुपत्नी विवाह’ में एक पुरुष की सह-पत्नियों के पूर्व उदाहरण हैं। हालांकि महिलाओं के खित्ते में बहनापा और दोस्ताने पाए जाते रहे हैं,अक्सर बैडरूम में पहुँच, उपस्थिति और पहुँच की बारंबारता पितृसत्ता के एक टूल की तरह इस्तेमाल किए गए हैं -पुरुष और महिला दोनो द्वारा। बहुप्रेम में सीधे प्रतिस्पर्धा के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन कोई भी उस दिशा में बढ़ सकती/ता है अगर वह सावधान नहीं है।

पितृसत्ता हममें गहरे पैठी है। मैंने खुद अपने साथी के अन्य प्रेमियों की तुलना में खुद को हीन महसूस किया है और कई दिनों तक दुखी महसूस किया है।

 

 

हालाँकि, सह-प्रेमियों के रूप में पुरुषों के लिए स्थिति लगभग अभूतपूर्व है क्योंकि अधिकांश संस्कृतियों में पुरुषों के बीच बहुविवाह प्रचलित था। इसलिए पुरुषों को शून्य से शुरू करना होगा यह समझने के लिए कि सह-प्रेमियों के साथ कैसे रहना है। लेकिन यहां भी मैंने देखा है कि पुरुष इसका इस्तेमाल अपने साथी से स्नेह का फायदा उठाने और सोने के बहाने के रूप में करते हैं।
मुझे लगता है कि हमारे जीवन के पितृसत्तात्मक संदर्भ को देखते हुए, महिलाओं को बहुप्रेम में पुरुषों की तुलना में अधिक सावधान रहना होगा।

मुझे कई स्थितियों में जलन महसूस होती रहती है। लेकिन मैं अलग तरह से प्रतिक्रिया देने के लिए खुद को प्रशिक्षित करना जारी रखती हूं। मैं इसके बारे में अपने सहयोगियों से बात करती हूं जो ध्यान से सुनते हैं, इसके कारणों का पता लगाते हैं। मैं खुद को याद दिलाती हूं कि मैं बहुप्रेम का अभ्यास क्यों करती हूं।

और खुशियाँ इस तुच्छ बेचैनी से कहीं अधिक हैं। मुझे लगता है कि बहुप्रेम के अभ्यास के लोग ईर्ष्या के बारे में ज्यादा बात नहीं करते। उन्हें बात करनी चाहिए। इस तरह, हम सनकी के रूप में नहीं देखे जाएँगे, बल्कि हमें दूसरों की तरह ही देखा जायेगा, किसी भी अन्य की तरह, जो इन सब से संघर्ष कर रहे हैं।

विभिन्न सह-प्रेमियों के साथ वर्षों तक बात करने के बाद, मुझे लगता है कि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को वैसे ही प्रेम कर सकती/ताहै जैसे किसी कविता के अनुगूंज को या महासागर के किनारे को करती/ता है बिना उसपर अधिकार जताये। जब दूसरे उनका आनंद लेते हैं तो वह भी आनंदित हो सकती/ता है।

कुछ मायनों में,

बहुप्रेम में सह-प्रेम का अभ्यास पारंपरिक ‘अन्य’ को स्वीकार करना, गले लगाना और उसका जश्न मनाना सीखने की एक प्रक्रिया है।

मुश्किल है या आसान?

एकल प्रेम की जरूरतों से जूझ रहे मेरे दोस्तों को लगता है कि बहुप्रेम आसान है। दोनों के मेरे अनुभव से मैं कह सकती हूँ कि ऐसा नहीं है। दोनों के ही अपने अलग संघर्ष हैं। हमारी कंडीशनिंग के कारण, पारंपरिक प्रेम और रिश्तों को भूलना मुश्किल था।

ये जटिल बहुमुखीसंबंध हैं, जहां एक के बारे में निर्णय दूसरों को प्रभावित करते हैं। साथ ही,लोग बेशक हमारे बारे में कुछ भी सोचें, हमारी प्रतिबद्धताएं वास्तविक होती हैं और चूंकि वे अलग-अलग लोगों के साथ होती हैं, इसलिए हमें सचेत रहना चाहिए कि उनमें परस्पर संघर्ष नहीं हो।

 

मिमी,एक प्रिय मित्र जो एकल प्रेम की अभ्यासी है,अक्सर मेरे साथ चर्चा करती है कि अलग-अलग जीवन की अपनी पसंद के लिए हम अलग-अलग कीमत चुकाते हैं, वे कठिन तो होते हैं पर हमें अधिक समृद्ध करते हैं – उसे अधिक स्थिर और मुझे अधिक स्वतंत्र के रूप में देखा जाता है।

मैं कहूंगी कि यह कमजोर दिल वालों के लिए यात्रा नहीं है, या वह यात्रा नहीं है जिसे आप अपने साथी की सहमति के बिना वैवाहिक प्रतिज्ञाओं के पीछे छिपकर करते हैं। सहमति की तरह ईमानदारी कुंजी है। बेईमानी एक डीलब्रेकर है।
अगर मुझे लोग ‘दिलचस्प’ लगते हैं,तो मैं उन्हें यह बताने के लिए सही समय का इंतजार नहीं करती कि मैं बहुप्रेमी हूं। मैं इसे सीधे तौर पर कहती हूं और उनसे अपेक्षा करती हूं कि वे अपनी स्थिति के बारे में भी बतायें। इस सब के बावजूद मुझे भी केई ऐसी दुर्घटनाओं से गुज़रना पड़ा है -‘सुखद दुर्घटनाएँ’ नहीं हैं।

 

दीपिका का कहना है कि एक बहुप्रेमी व्यक्ति के रूप में वह अक्सर अकेले कई काम करती है। लोग हमारे बारे में जो सोचते हैं, यह उसके बिल्कुल विपरीत है। एकल प्रेम में युगल से एक साथ काम करने की अपेक्षा की जाती है – अक्सर इच्छा न रहते हुए भी और कभी-कभी दिखावे के लिए। हालांकि बहुप्रेम में जब हम चाहें तब हमारे साथी हमारे लिए हाज़िर नहीं हो सकते हैं। ऐसे में उनके प्यार पर सवाल उठाना आसान है।

लेकिन मैं एक अलग सवाल पूछती हूं – क्या इससे हमारे रिश्ते की प्रकृति बदल जाती है, या मुझे बस चोट लगती है? क्या आहत होने को रिश्ते की गुणवत्ता में बदलाव से अलग देखा जा सकता है’? मुझे समय-समय पर उम्मीदों के व्यापक नक्शे बनाना और भागीदारों के साथ साझा करना पसंद है, यह पता लगाना कि हमारे लिए सबसे अच्छा क्या है। उनसे समान प्रतिबद्धताओं की अपेक्षा ज़रूरी नहीं है, बशर्ते वे सहमति के साथ हैं। और अगर वे बदलते हैं,तो मुझे फिर से खुद को समायोजित करना होगा। रोज़ाना इस धैर्य और समझ का अभ्यास करते रहना थका देने वाला हो सकता है।

 

मेरे लिए अपने बहुप्रेम के जीवन में सबसे कठिन समय वह रहा है, जब कुछ साल पहले एक साथी को किसी एक से प्यार हो गया और उसने एकल प्रेम के रिश्ते में रहने का फैसला किया। यह दुखद था, क्योंकि यह सिर्फ मेरे लिए सिर्फ शोक का विषय नहीं था। उसने बहुप्रेम के बारे में एक ‘मूल्य निर्णय’ के साथ इसे छोड़ा, एक वैकल्पिक जीवन और दुनिया को एक साथ बनाने का वादा छोड़ दिया।

मैं अपने अन्य साथियों के साथ अपने दिल टूटने पर चर्चा नहीं करना पसंद करती हूं। वे क्यों व्यर्थ कष्ट सहें? लोग मुझसे पूछते हैं कि क्या मैंने ‘प्यार’ से ब्रेक ले लिया है। खैर, मुझे लगता है कि मैं भाग्यशाली रही हूं कि मुझे लगातार दोस्तों और दोस्तों के दोस्तों के बीच अद्भुत साथी मिले। मैं डेटिंग ऐप्स के लिए बहुत पुराना स्कूल की हूं, लेकिन इसके लिए जरूरी साहस से मैं चकित रहती हूं जो मेरे कुछ दोस्तों के पास है।

अनेक प्रेम के अभ्यासी के रूप में, मैं जितना आनन्दित हुई हूँ, उससे कहीं अधिक दुखी हुई हूँ, टूटी हूँ और विफल हुई हूँ। मैं पारंपरिक, ज्ञात, करने योग्य अभ्यस्तता की सुरक्षा की ओर भागी हूँ । हालांकि, ये भावनाएं बीत चुकी हैं। जो चीज मेरे लिए इसे संभव बनाती है और इसके प्रतिआकंक्षा से भरी रखती है, वह एक ऐसी दुनिया को चाहने का जुनून है जहां प्यार ‘कब्जे’ से मुक्त हो। मैंने कुछ लोगों को एकल प्रेम में वापस जाते देखा है। प्रभात की तरह, जिसने कहा कि यह बहुत कठिन था।

 

लेकिन क्या मैं ‘सेटल’ नहीं होना चाहती? मेरी माँ, हालांकि मेरी पसंद को स्वीकार करती है और मेरे पार्टनर्स को, या ‘दोस्तों'(जैसा कि वह उन्हें बुलाना पसंद करती है) को स्वीकृति देती है, फिर भी मेरे जीवन में अकेले और स्थायी साथी की कमी के बारे में चिंता करती है- यही अंतिम गंतव्य है, अधिकांश आपको यही बताएंगे। लेकिन मैं अपनी बहुप्रेम यात्रा में इतनी आनंदित हूं कि ‘अंतिम गंतव्य’ सारहीन है। सिर्फ ‘धूल ही तो जमती है’।

और इसलिए…

एक समय था जब मैंने ‘प्यार’ को संरक्षित सीमाओं के भीतर परिभाषित किया था, जहाँ आवारा जीवन पर सख्त प्रतिबन्ध होता था और स्वच्छंद जीने की जबरदस्त मनाही। आज, मेरे उम्र के इस मुक़ाम पर मैं प्यार को एक अलग नज़र से देखती हूं- नाजुक, धूसर, धुंधलाया,आप्लावित जो रोमांस, दोस्ती, प्रेम, परिवार के बीच की सीमाओं को मिटा देता है। परिभाषाएँ अब मायने नहीं रखतीं। मैं अपने दिल पर हाथ रखकर समझती हूँ कि जब निर्वासितों के लिए प्यार और जमीन उदार होते हैं,तब जीवन समृद्ध होता है।

डेक्कन हेराल्ड से साभार।

अंग्रेजी से अनुवाद: संजीव

(नोट: मेरे अनुभव ज्यादातर विषमलैंगिक संबंधों के भीतर रहे हैं, इसलिए मेरी अंतर्दृष्टि उस दृष्टिकोण से है। बहुप्रेम में अन्य लिंगों और कामुकता से अन्य कहानियां हो सकती हैं।)