क्या गाँधी का नाम, लोकप्रियता और प्रतिष्ठा “गाँधी” फिल्म की मोहताज है ?

एम ज़ाहिद

46 किलो 5 फिट 5″ के महात्मा गाँधी को ब्रिटेन में आयोजित 1931 में गोलमेज सम्मेलन में शामिल होने का न्योता मिला।जब गाँधीजी गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने लन्दन पहुंचे तो ब्रिटेन के कुछ समाचार पत्रों में उनकी हंसी भी उड़ाई गयी थी। एक अंग्रेज पत्रकार ने लिखा कि”गाँधी धोती में ब्रिटेन के सम्राट जार्ज पंचम के सामने घुटने के बल बैठकर हाथ जोड़कर उनसे आजादी की भीख मांगेंगे।”लंदन के कई अख़बारों में आधी धोती पहने अर्धनग्न गांधी की तस्वीरें पहले पन्ने पर प्रमुखता से छपीं।

तब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल गाँधी जी के लगभग जान के दुश्मन थे , उनके गोलमेज सम्मेलन में शामिल होने के बारे में सुनते ही चर्चिल ने कहा कि “अरे गाँधी मरा नहीं ?”…मगर गाँधी कोई ज्ञानचंद तो थे‌ नहीं कि चर्चिल को बुलाकर साबरमती आश्रम में झूला झुलाते , पहुंच गए, एक धोती और चादर लपेटे।गाँधी जी ने गोलमेज सम्मेलन में ब्रिटिश सरकार की मेजबानी ठुकराते हुए मोरियल लैस्टर में रुकने का फैसला किया।

गाँधी जी को वहां ब्रिटेन के राजा जार्ज पंचम से मिलने का प्रोटोकॉल समझाया गया। थ्री पीस सूट , टाई , हैट और चमकदार जूते , कैसे बैठना है , कैसे बात करना है , ब्रश करके आना है , बाल संवार कर आना है , ज़ोर से बात नहीं करना है , पलट कर किसी बात का जवाब नहीं देना है‌ , इत्यादि इत्यादि।

उस वक्त ब्रिटेन के राजा जार्ज पंचम का तीन चौथाई अर्थात दुनिया के 75% भाग पर शासन था , एक धमक थी , उनसे मिलने का सोच कर लोगों को दस्त हो जाती थी।

गाँधी जी तो गाँधी जी , 46 किलो के शरीर में 156 इंच का सीना था , चर्चिल से बेपरवाह गाँधी जी पहुंच गए बर्मिघम पैलेस, उसी धोती में चादर लपेटे चप्पल पहने।वहां बर्मिघम पैलेस के गेट पर उन्हें इस हाल में देख कर पूरा राजशाही अमला परेशान। राजा का ओएसडी भागा भागा जार्ज पंचम के पास पहुंचा और बोला कि “गाँधी तो नंगा आया है” अंदर लाऊं? उस वक्त दुनिया के सबसे ताकतवर राजा की हिम्मत नहीं हुई कि गाँधी जी को मना कर दे।

जार्ज पंचम ने कहा कि बुलाओ , गाँधी जी गये और जार्ज पंचम के सामने बैठ गये , जार्ज पंचम ने कहा “मिस्टर गाँधी आपके कपड़े कहां हैं? गाँधी जी ने जवाब दिया,”मिस्टर जार्ज मेरे और सारे हिंदुस्तानियों के कपड़े तो आपने छीन लिए”जार्ज पंचम गाँधी जी का चेहरा देखते रह गए .

बाहर प्रतीक्षा करते पत्रकारों ने पूछा कि ‘क्या सम्राट ने आपके कपड़ों के बारे में कुछ नहीं कहा?’ अपनी खिली हुई हंसी के साथ गांधीजी ने कहा : ‘कपड़ों के बारे में वे क्या कहते? हम दोनों के कपड़े तो उन्होंने अकेले ही पहने हुए थे!’इसके बाद गाँधी जी ने लन्दन में जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा

“इंग्लैंड ज़रूरत से ज़्यादा कपड़े बनाता है फिर उसे खपाने के लिए दुनिया में बाज़ार ढूंढता है। इसे मैं लूट और डकैती कहता हूं। आज लुटेरा और डकैत इंग्लैंड पूरी दुनिया के लिए ख़तरा है। इसलिए अगर मैं इंग्लैंड की वेशभूषा का इस्तेमाल शुरू कर दूं, तो भारत में ज़रूरत से ज़्यादा कपडे तैयार करने होंगे और इतने बड़े भारत को अपना बाजार खोजने और अपना माल खपाने के लिए संसार ही नहीं दूसरे ग्रहों पर बाजार ढूंढना होगा।”

इंग्लैंड की जनता पर गाँधीजी ने अपनी गहरी छाप डाली। औद्योगिक अशांति, बेरोजगारी, गहरा सामाजिक अन्याय और अधिभौतिकतावाद के शिकंजे में जकड़ी इंग्लैंड की जनता को सूती चादर ओढ़े और आधी धोती पहने पूर्व के इस शांतिदूत में प्रेम का संदेश देते ईसा मसीह दिखे।अंततः गाँधीजी का मज़ाक उड़ाने वाले दुनिया भर के समाचार पत्रों के सम्पादक मोरियल लैस्टर के घर गांधीजी के इंटरव्यू लेने लाइन में लगे गए।

गाँधीजी ने किंग जॉर्ज पंचम पर हमला करते हुए कहा, ‘कुछ लोगों को मेरा ये पहनावा अच्छा नहीं लगता, मेरी वेशभूषा का मजाक उड़ाया जा रहा है। मुझसे पूछा जा रहा है कि मैं इसे क्‍यों पहनता हूं। मैंने इस वेषभूषा को सोच समझकर पहना है। मेरे जीवन में जो परिवर्तन लगातार होते गये हैं, उनके साथ पोशाक में भी परिवर्तन हो गए।”

गाँधी जी पूरी दुनिया में मशहूर हो गए, 1929 में जन्मे अमेरिका के गांधी कहे गए मार्टिन लूथर किंग हों, 1918 में जन्मे दक्षिण अफ्रीका के गांधी कहे गए नैल्सन मंडेला जीवन भर गांधी जी को अपना आदर्श मानते रहे।गांधी जी की हत्या के बाद उनके सम्मान में पूरी दुनिया में उनकी प्रतिमाएं चौराहे चौराहे पर लगने लगीं।

क्या यह सब 1982 में रिलीज फिल्म “गांधी” के बाद हुआ?

एम ज़ाहिद के फेसबुक पोस्ट साभार

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