सुहानी कुमारी/ अजय कुमार मोदी
दक्षिण कोरिया की लेखिका हान कांग ने 2024 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीतकर विश्व साहित्य जगत में एक नया अध्याय लिखा है। उनके गहरे और काव्यपूर्ण गद्य ने न केवल कोरियाई साहित्य बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। हान कांग की अभिनव शैली काव्यपूर्ण और प्रयोगात्मक दोनों है, जिससे वे समकालीन गद्य में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गई हैं। वे 30 से अधिक वर्षों से प्रकाशित लेखिका रही हैं, जो उनके साहित्य में लंबे समय से योगदान को बताता है। उनके साहित्यिक कार्य विभिन्न विधाओं में फैले हुए हैं, जो विभिन्न प्रकार के विषयों और शैलियों को दर्शाते हैं।
10 अक्टूबर 2024 को नोबेल फाउंडेशन ने 5 प्रमुख क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष स्वीडिश रसायनज्ञ और उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल की 1890 की वसीयत के आधार पर दिया जाता है, जिसके तहत उन लोगों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने पिछले वर्ष मानवता के लिए सबसे महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ये पुरस्कार भौतिकी, रसायन, चिकित्सा और शारीरिक विज्ञान, साहित्य, शांति, और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिए जाते हैं (अर्थशास्त्र का पुरस्कार 1968 से शुरू हुआ)। इस बार साहित्य में दिया गया नोबेल पुरस्कार विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहली बार दक्षिण कोरिया की लेखिका हान कांग को यह प्रतिष्ठित सम्मान मिला है। इसके साथ ही वह एशिया की पहली महिला भी हैं जिन्होंने यह पुरस्कार जीता है।
हान कांग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान उनके 2007 के उपन्यास ‘द वेजिटेरियन’ से मिली। नॉबेल सम्मान के बाद इसने दुनिया भर के पाठकों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया है। यह उपन्यास तीन भागों में लिखा गया है और इसका अनुवाद 2015 में देबओरा स्मिथ ने अंग्रेजी में किया, जिसके बाद इसे 2016 में इंटरनेशनल बुकर प्राइज का सम्मान प्राप्त हुआ। यह उपन्यास एक महिला की कहानी है जो मांस खाना बंद कर देती है और उसके इस निर्णय से उसके परिवार और समाज में तनाव उत्पन्न हो जाता है। यह कृति मानवीय स्वतंत्रता, पहचान, और सामाजिक दबावों के विषयों को बखूबी उठाती है।
हान कांग के गद्य को तीव्र, गीतात्मक, क्रूर, कोमल और कभी-कभी थोड़ा असत्यवादी के रूप में वर्णित किया जाता है। अकादमी के उद्धरण में उनके लेखन में जीवित और मृत के प्रति उनकी अनूठी जागरूकता पर जोर दिया गया है। उनके कार्यों को पढ़ने में रोमांचक माना जाता है, जो व्यापक दर्शकों के लिए अपील करता है।
1970 में जन्मी हान कांग ने पहले ही साहित्यिक दुनिया पर गहरा प्रभाव डाला है। उनकी रचनाओं में मानवीय संघर्षों, जीवन की नाजुकता और समाज की जटिलताओं को बेहद खूबसूरती से चित्रित किया गया है। हान का बचपन चुनौतियों से भरा रहा। उन्होंने एक कठिन जीवन का सामना किया, लेकिन उनकी लेखन प्रतिभा ने उन्हें जीवन के उतार-चढ़ावों से उबरने में मदद की। उनकी रचनाओं में उनके जीवन के अनुभवों का प्रतिबिंब दिखाई देता है।
2016 में प्रकाशित उनके एक और उपन्यास ‘द व्हाइट बुक’ को एक दुख का दस्तावेज़ माना जाता है। यह पुस्तक उनके काव्यात्मक शैली को दर्शाती है और उनकी रचनाएँ अक्सर मानव शरीर, मनोदशा, पीड़ा, और मृत्यु के इर्द-गिर्द घूमती हैं। उन्होंने कई अन्य महत्वपूर्ण कृतियों का सृजन किया है, जिनमें शामिल हैं ‘कान्वलेसन्स’ (2013), ‘यूमन ऐक्ट’ (2014), और 2021 में आई ‘वी डू नॉट पार्ट’।’द व्हाइट बुक’ का अंग्रेजी अनुवाद भी किया गया है। पुस्तक की एक प्रसिद्ध पंक्ति, “सफेद रंग में सारे रंग समाहित होते हैं… सफेद रंग और शांति का कोई रिश्ता नहीं”, ने गहराई से प्रभावित किया है।
हान कांग ने साहित्य में 1993 में कदम रखा जब उनकी पहली रचना, पाँच कविताओं का एक संग्रह, दक्षिण कोरियाई पत्रिका ‘साहित्य और समाज’ में प्रकाशित हुई। इसके बाद, 1995 में उनकी पहली कहानी संग्रह ‘लव ऑफ एवसू’ प्रकाशित हुई। हान के साहित्यिक योगदान का सिलसिला निरंतर जारी रहा। उनकी पहली उपन्यास ‘योर कोल्ड हैंड्स’ 2002 में प्रकाशित हुई, जिसमें एक मूर्तिकार की कहानी है जो कला और वासना के बीच फंसा हुआ है। यह उपन्यास पश्चिमी साहित्य जगत में बहुचर्चित हुआ।
हन कांग की रचनाओं का मुख्य विषय मानवीय संघर्ष है। उन्होंने प्यार, नफरत, खोने का दर्द और जीने की इच्छा जैसे भावनाओं को शब्दों में पिरोकर एक अद्वितीय अनुभव प्रदान किया है। उनके पात्रों में पाठक खुद को ढूंढ लेते हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति ‘द वेजिटेरियन’ है। इस उपन्यास में एक महिला की कहानी है जो अचानक मांस खाना बंद कर देती है और इसके परिणामस्वरूप उसके परिवार और समाज में तनाव पैदा हो जाता है। यह उपन्यास मानवीय स्वतंत्रता, पहचान और समाज के दबाव जैसे विषयों को उठाता है। साहित्य का नोबेल पुरस्कार विश्व साहित्य का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। हान को यह पुरस्कार मिलना न केवल उनके लिए बल्कि पूरे दक्षिण कोरिया के लिए गर्व का विषय है। यह पुरस्कार उनके साहित्यिक योगदान को मान्यता देता है और उन्हें विश्व स्तर पर प्रसिद्धि दिलाता है।
दक्षिण कोरिया में नोबेल पुरस्कार जीतने के बाद देश में उनके लेखन के प्रति उत्साह और रुचि में जबरदस्त उछाल आया है। पुस्तक भंडारों में उनकी रचनाओं की मांग इतनी बढ़ गई है कि कई किताबें बिक गई हैं और ग्राहकों को ऑर्डर देना पड़ रहा है। नोंबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद से पुस्तक भंडारों में हन कांग की रचनाओं की बिक्री में कई गुना वृद्धि हुई है। एक दिन में ही लाखों प्रतियां बिक गईं। पुस्तक भंडारों ने हन कांग की रचनाओं को प्रदर्शित करने के लिए विशेष स्थान बनाए हैं और ग्राहकों को उनकी तस्वीरें खिंचवाने के लिए जगह भी दी जा रही है। ग्राहक हन कांग की उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर रहे हैं और उनकी रचनाओं से खुद को जोड़ रहे हैं। कई लोगों ने कहा कि उनके जीवन के अनुभव हन कांग की रचनाओं में चित्रित अनुभवों से जुड़े हुए हैं। कई पुस्तक भंडारों में हन कांग की रचनाएं खत्म हो गई हैं, जिससे ग्राहकों को ऑनलाइन ऑर्डर देना पड़ रहा है। हालांकि, यह अभी अनिश्चित है कि किताबें कब फिर से उपलब्ध होंगी। हन कांग के साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीतने से उनके लेखन के प्रति देश में एक नई लहर पैदा हो गई है।