प्रकृति और पुरुष
Women update men’s out of date
चित्र साभार गूगल
क्या आप जानते हैं कि पुरुषों के अस्तित्व पर खतरा आने वाला है ! मैं भी कहाँ जानती थी ये तो हमारे गूगल बाबा हैं तो बहुत-सी सूचनाएँ बिखेर दिया करते हैं, बस हम कुछ चुन लेते हैं। एक नए शोध अध्ययन के अनुसार USA की कैंसर स्टेट यूनिवर्सिटी की लेटेस्ट स्टडी में पाया गया कि Y क्रोमोसोम जो पुरुषों में पाया जाता है उसका जेनेटिक डाटा यानी जो DNA कोड उस क्रोमोसोम में निहित रहती हैं वे हर आने वाली पीढ़ी के साथ कम होते जा रही हैं जिसमें उसने 97 प्रतिशत डीएनए कोड खो दियें हैं। आपको बता दूँ कि कोई 30 करोड़ साल पहले जब मैमल्स का जन्म हुआ तो X और Y क्रोमोसोम का आकार बराबर था जबकि आज Y अपनी जोड़ीदार X से 3 गुना छोटा हो चुका है, उसने अपने 1438 में से 1393 जींस खो दिए हैं और अब मात्र 3-4% बचे हैं! तो क्या महिलाओं के X गुणसूत्र के जींस में भी ऐसा कोई घातक बदलाव आया है,जी नहीं, बल्कि उनका डीएनए पहले से अधिक मजबूत,दृढ़,स्वस्थ हो रहा है,यानी स्त्रियाँ भी अपने आप को पहले से और बेहतर तरीके से विकसित कर रही है । मैंने पहली और शायद आखिरी बार नौवीं-दसवीं में पढ़ा था कि X और Y गुणसूत्र स्त्री और पुरुष के निर्धारण कारक होते हैं, स्त्री में दो XX जबकि पुरुष में XY यानी एक अतिरिक्त गुणसूत्र Y उसे विशिष्ट बनाता है।आज के शोध बता रहे हैं कि यही Y गुणसूत्र जो पुरुषों के लिंग निर्धारण का कारण बनता है, धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है,और आने वाले कुछ हज़ार या लाखों वर्षों में इसके विलुप्त होने की संभावना है ! जी हाँ संभावना? प्रश्न उठता है कि जिस तरह से Y गुणसूत्र का धीरे-धीरे यह क्षरण हो रहा है तो क्या पुरुष प्रजाति भी विलुप्त हो जाएगी? क्योंकि इस स्टडी का दावा है कि आने वाले 11 मिलियन वर्षों में Y की समाप्ति के बाद सिर्फ लड़कियां पैदा होंगी ! लड़कियों को यह खबर ख़ुशी दे रही है तो लड़कों में हमेशा की तरह इसमें कोई चिंता नजर नहीं आई । ऐसा मुझे कुछ यूट्यूब वीडियोज की टिप्पणियों से समझ आया, हालाँकि मुझे यह चिंता का विषय इस रूप में लगा कि यदि इस खबर के बाद विज्ञान और तकनीक प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने लगेंगी क्योंकि इस क्षेत्र में आज भी पुरुषों का दबदबा है, क्योंकि डरा हुआ असुरक्षित पुरुष जब युद्ध करता है तो सबसे अधिक नुकसान स्त्रियों को ही होता है, इस सन्दर्भ में भी वह किसी भी हद तक जा सकता है, अत: इस शोध के परिणामस्वरूप वास्तविक खतरा पुरुषों के लिए नहीं बल्कि स्त्रियों के लिए है।
इस खबर पर एक जबरदस्त टिप्पणी मिली कि At least feminism won genetically “एट लिस्ट फेमिनिस्ट विन जेनेटिकली” और इसके विरोध में जो उत्तर आए हैं वे आप खुद खोज कर पढ़िए, हालाँकि अगर मैं नहीं लिख रही हूं, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि “स्त्री विरोधी” ये कमेंट किस हद तक निम्न स्तर तक गए होंगे जिसमें तमाम माँ बहन को विविध कु-विशेषणों से सुशोभित किया गया है। एक टिप्पणी कि ‘तो प्रकृति ने अपना खेल शुरू कर दिया है यानी न्याय ! सदियों से जो X गुणसूत्र को दबाया जा रहा था प्रकृति ने अब Y गुणसूत्र को डराना धमकाना शुरू कर दिया है’। किसी ने मजाक में लिखा है ‘जब तक पुरुष आयोग नहीं बनेगा तब तक Y क्रोमोसोम डर से सिकुड़ता रहेगा’ स्त्री सशक्तिकरण से परेशान एक लड़का लिख रहा है कि ‘चलो अच्छा है भाई लड़कियों की इस मतलबी दुनिया से हमें मुक्ति मिल जाएगी यह एक अच्छी खबर है, क्योंकि पुरुषों की दुर्दशा न सरकार को दिख रही है ना समाज को’। एक अन्य ने लिखा कि यह अच्छी खबर इसलिए भी है क्योंकि लड़कों में हमेशा सबको आज बुराई दिख रही है जब लड़के कम हो जाएंगे तब उन्हें उनका महत्व पता लगेगा’। एक लड़की लिखती है ‘मैं यह कल्पना करती रही हूँ कि इन पुरुषों को स्त्रियों के प्रति बर्बर कुकर्मों की ऐसी सजा मिले, कि इनका विनाश हो, न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी, पुरुष न होंगे तो स्त्रियाँ डर में नहीं जियेंगी, लेकिन उसे विश्वास नहीं हो रहा एक अन्य टिप्पणी कि ‘इस कमी को पूरा करने के लिए Y गुणसूत्र लैब में बनने लगेंगे धंधा खूब फलेगा-फूलेगा वे पशुओं तक के Y से मिलावट कर देंगे और जैविक मिलावट… अपराध… विमर्श भी जबर्दस्त होंगें’ इस सन्दर्भ में एक धार्मिक टिप्पणी भी आई कि यह क़यामत के दिन का संकेत है जैसा कि हदीस शरीफ की भविष्यवाणी में बताया है, विज्ञान यह अब बता रहा है लेकिन इस्लाम में 14000 साल ईश्वर के दूत नबी अकरम ने बता दिया था पहले ‘बुक-003-hadith-number-081’ में लिखा गया कि महिलाओं की संख्या में वृद्धि होगी और पुरुषों की संख्या में इतनी कमी आएगी कि एक पुरुष पचास महिलाओं की देखभाल करेगा।मैं गूगल बाबा की शरण में गई तो यह मिला- https://hadithcollection.com/sahihbukhari/sahih-bukhari-book-03-knowledge/sahih-bukhari-volume-001-book-003-hadith-number-081 गीता का उदाहरण देते हुए एक ने लिखा कि ‘यानी लाखो वर्ष बाद न ! तो उस समय कलयुग खत्म होने का समय आ ही जायेगा, तब ईश्वर नई सृष्टि रचेंगे’
हालाँकि मैं इसे इस रूप में समझ पाई कि ‘विशेष होने’ की जो कीमत Y क्रोमोसोम को चुकानी पड़ रही है वहाँ इसे आप उस प्रिविलेज/ विशेषाधिकार के रूप में देखिए जहाँ पुरुष अपने इन अधिकारों का दुरपयोग करता रहा है। मुझे यही समझ आया कि अपने अहंकार, प्रभुत्व की महत्वकांक्षा, लालसा और लालच में अपने डर को छिपाए-दबाए पितृसत्ता सिकुड़ तो रही है लेकिन स्वीकार नहीं कर रही। वास्तव में प्रकृति में जब-जब असंतुलन आता है तो वह विनाश लेकर आती है, लेकिन यह असंतुलन पैदा कौन करता है, हम मनुष्य ही न! पुरुष कहना ज्यादा ठीक होगा। तब प्रकृति खुद-ब-खुद संतुलन बनाने की प्रक्रिया करती है । प्रकृति में बदलावों को आप रोक नहीं सकते , आप बनाते रहिए स्त्री-पुरुष, हिंदू-मुसलमान, वर्णों की तालिका जिसमें ‘हर जाति अपने से छोटी जाति खोज ही लेती है’ । यहाँ हर किसी का अस्तित्व क्षणभंगुर है,जो जन्म लेता है वह मरता भी है उसी का अस्तित्व बचता है जो खुद को विकसित करता है । स्त्री बढ़ रही है, खुद को विकसित कर बेहतर बना रही है जबकि पुरुष स्त्री को बढ़ता और विकसित होता देख द्वेष में कमजोर ही हो रहा है, विज्ञान की यह खोज भी इसी ओर संकेत कर रही है।
अब प्रश्न उठता है कि यह क्षरण X स्त्री के गुणसूत्रों के साथ क्यों नहीं हो रहा,प्रकृति ये भेदभाव क्यों कर रही है? कारण X सिर्फ़ ‘सेक्स-सम्बन्धित’ गुणसूत्र नहीं है X एक सामान्य लेकिन विशेष गुणयुक्त क्रोमोसोम है । स्त्री चाहती भी तो यही है, उसे ‘मानव’ माना जाये सिर्फ सेक्स के आधार पर जेंडर भेद न हो। मेरे लिए यह जानना दिलचस्प था कि हर शिशु पहले X के रूप में ही जन्म लेता है जो Y क्रोमोसोम द्वारा टेस्टोस्टेरोन हार्मोन दिए जाने के बाद में XY पुरुष के रूप में विकसित होता है। इसे इस तरह देखा जा सकता है कि स्त्रियाँ आज घरों से निकलकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं अपना विकास कर रही हैं । X जब X के साथ जुड़ते हैं तो वह अपनी जेनेटिक डायवर्सिटी को बढ़ाते हैं इसलिए इवोल्यूशन के साथ अपने को बेहतर अपडेट करते जाते हैं, सम्भवत: इसलिए स्त्रियों में विविधता, बहुरूपता, कुशलता का विकास हो रहा है जबकि Y क्रोमोसोम में जब किसी भी तरह की कोई जेनिटिव खराबी आती है तो वह उसको ठीक न करके बल्कि उतना हिस्सा काट कर, अलग कर देता है। पितृसत्ता की शुद्धतावादी सोच इससे अलग नहीं,जाति बाहर प्रेम करने पर अपने ही बच्चों को मार-काट डालतें है, Y क्रोमोसोम भी उसे अपनी मेमोरी से डिलीट या इरेज़ कर देता है जिसका परिणाम है कि आज Y के पास मात्र 45 एक्टिव जींस रह गए हैं।यानी एक ओर X और स्त्री ने खुद को निरंतर अपडेट किया विकसित किया, Y पुरुष ने अपने को ‘विशेष’ मानकर खुद को अलग-थलग करके न तो खुद अपडेट किया बल्कि सदियों से बनी रूढ़िवादी धारणाओं पर आज तक अड़ा हुआ है,यानी पुरुष के रूप में दादा,पिता बीटा भाई ठीक वही जींस के साथ हमारे सामने आ रहें है बिना किसी नए विचार या नई भावभूमि के जिस पर कुछ नवीन सृजित किया जा सके।
एक जानकारी के अनुसार XY क्रोमोजोम का सिस्टम सभी मैमल्स पर लागू होता है तो क्या सभी मेम्लस प्रजातियों के मर्दों का अस्तित्व खतरे में है? प्रकृति जिसे हम मदर नेचर कह रहे हैं उसे मेल्स से क्या प्रॉब्लम है? क्यों मेमल्स का सॉफ्टवेयर करप्ट हो रहा है? नहीं, यह राहत की बात है कि जापान के स्पिनी रेट्स चूहे और ईस्टर्न यूरोप के माल वाल्स चूहों में एक विशिष्ट विकास देखने को मिला हैं जहाँ Y के विलुप्त होने पर भी उनकी प्रजाति कायम है, लेकिन ठीक वही प्रक्रिया क्या मनुष्य यानी पुरुष प्रजाति पर लागू होगी ? दूसरे शोध बताते हैं कि वास्तव में Y क्रोमोसोम किसी दूसरे गुणसूत्र में विलीन होकर, अपना नया रूप विकसित कर रहा है, अत: ये अनिश्चित काल तक रहने वाला है। पुरुष का Y गुणसूत्र नया पुरुष निर्धारण जीन विकसित कर लेगा तो उसका अस्तित्व बना रहेगा लेकिन जो नया गुणसूत्र विकसित होगा उसमें मर्दानगी जैसा कुछ नहीं बचेगा उसका रूप-स्वरूप बिलकुल भिन्न होगा । मनुष्य की प्रजाति में एक नया मानव यानी जो पुरुष तो होगा लेकिन वह शायद जिसे हम स्त्रैण कहते हैं वही होगा! तो स्त्रीवाद भी यही तो चाहता है ।
रक्षा गीता
सहायक आचार्य
दिल्ली विश्विद्यालय