‘स्त्री’ : एक सार्थक हॉरर फिल्म
यह फिल्म जहाँ हमें इस प्रकार के अंधविश्वासों से ऊपर उठकर तार्किक बनने की ओर प्रवृत्त करती है, वहीं यह एक स्त्री भूत को केंद्रीय पात्र बना प्रेम की आजादी चाहने वाली लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ आज के दौर में लगातार बढ़ते खाप पंचायतों सरीखे आतंक और सामूहिक बलात्कार जैसे पाश्विक अपराधों की ओर भी इशारा कर जाती है।
मिसोजिनी, नायकत्व और ‘कबीर सिंह’
‘कबीर सिंह’ की कई समीक्षाओं में कबीर को एक ‘रिबेलियस एल्कोहोलिक’ बताया गया है। पर यहाँ सवाल यह उठता है कि अगर फ़िल्म का नायक रिबेल, यानी विद्रोह करता है तो किस के प्रति? अपने परिवार के प्रति? अपने कॉलेज-प्रशासन के प्रति जो उससे अनुशासन की मांग करता है? या फिर एक पिता के प्रति जो अपनी बेटी के लिए उसे अनफ़िट पाता है?
एक युवा फिल्मकार की दस्तक: मंजिलें अभी शेष है!
बहरहाल, कहानी इस सौदेबाजी से आगे बढ़ती है एक युवा लेखक अरविंद अपनी नई कहानी 'तस्वीरें' लेकर प्रकाशक के दफ़्तर पहुंचता है । प्रकाशक उसकी कहानी को सुनने में कोई खास रुचि नहीं दिखाता लेकिन अपने अहम को तुष्ट करने के लिए वह बार बार कहानी में हस्तक्षेप करता है और बाज़ार के अनुरूप कहानी में बदलाव की मांग करता है । बाज़ारवाद ने लेखक के सामने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जहाँ या तो वह भूखा मरे या फिर तड़का मारकर बाज़ार के स्स्वादानुसार लिखे। परजीवी प्रकाशक को इसी बाज़ार का दंभ है ।
मेरा एक सपना है ! (मार्टिन लूथर किंग का उद्बोधन,1963)
मार्टिन लूथर किंग, जूनियर
प्रस्तुति और अनुवाद : यादवेन्द्र
‘मेरा एक सपना है’, 1963 में वाशिंगटन मार्टिन लूथर किंग, जूनियर द्वारा दिया गया प्रसिद्द भाषाण है, जो उन्होंने...
दिग्गज स्त्रीवादी समानांतर सिनेमा की एक बड़ी सख्सियत कल्पना लाजमी का निधन !
राजीव कु. सुमन
प्रसिद्ध फिल्मकार 64 वर्षीय कल्पना लाजमी (1954 - 2018) का मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में २३ सितम्बर २०१८ रविवार की सुबह...
रंगमंच में हाशिये की सशक्त आवाज़ है ईश्वर शून्य का रंगकर्म
राजेश चन्द्र
दिल्ली का रंगमंच संख्यात्मक दृष्टि से बहुत उल्लेखनीय रहता आया है, क्योंकि यहां महीने में औसतन तीस से पचास नाटक मंचित होते हैं...
पढ़ी-लिखी चुड़ैल: ‘स्त्री’!
साक्षी सिंह
अमर कौशिक द्वारा निर्देशित और श्रद्धा कपूर, राजकुमार राव स्टारर हिंदी फिल्म 'स्त्री' देख कर आई. जाने की कोई ख़ास इच्छा नहीं थी...
स्वराजशाला: राजनीति की रंगशाला
अश्विनी नांदेडकर और सायली पावसकर
“मैं बदलाव हूँ..मैं मेरे देश का बदलाव हूँ, मैं मेरे देश की मालिक हूँ, मैं युवा हूँ.. इसी संकल्पना से...
‘डेंजर चमार’ की गायिका गिन्नी माही का प्रतिरोधी स्वर : हमारी जान इतनी सस्ती...
कौशल कुमार
'द डेंजर चमार' अल्बम के माध्यम से गिन्नी माही के गीतों में प्रतिरोध की अभिव्यक्ति का अध्ययन:
प्रतिरोध के रूप में प्रदर्शन- असंतोष से...
‘आज के दौर में तटस्थता असांस्कृतिक और अभारतीय हैः अशोक वाजपेयी’
प्रेस विज्ञप्ति
‘‘अतताई को नींद न आये - इतना तो करना ही होगा। आज तटस्थता संभव नहीं है। तटस्थता असांस्कृतिक और अभारतीय है। हमें हिम्मत...