प्रधानमंत्री को पत्र लिखना हुआ गुनाह: 6 बहुजन छात्र निष्कासित

ये सिलसिला आगे बढ़ता है जब महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के प्रशासन ने छह विद्यार्थियों को निष्काशित कर दिया जाता है, चन्दन सरोज, नीरज कुमार, राजेश सारथी, रजनीश अम्बेडकर, पंकज वेला और वैभव पिंपलकर इन लोगों ने इस अलोकतांत्रिक कार्रवाई का विरोध करते हुए 9 अक्टूबर को विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री को पत्र लिखने का सामूहिक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें छात्र-छात्राओं ने अपने पत्र में पीएम मोदी प्रधानमंत्री से देश के मौजूदा हालात को देखते हुए कुछ सवालों का जवाब मांगा है. छात्र-छात्राओं ने देश में दलित-अल्पसंख्यकों के मॉबलिंचिंग से लेकर कश्मीर को पिछले दो माह से कैद किए जाने; रेलवे-बीपीसीएल-एयरपोर्ट आदि के निजीकरण; दलित-आदिवासी नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं एवं बुद्विजीवी- लेखकों के बढ़ते दमन और उनपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने पर भी सवाल खड़े किए हैं. छात्र-छात्राओं ने महिलाओं पर बढ़ती यौन हिंसा व बलात्कार की घटनाओं के सवाल पर भी जवाब माँगा है. क्या ये सवाल जायज नहीं है? इन सवालों से देश की छवि खराब हो जाएगी?

अमेज़न क्यों जला?

आज दुनिया भर में आदिवासियों पर खतरा मंडरा रहा है पूंजीवादी सत्ता का. भारत में ब्राह्मणवादी व्यवस्था पहले से ही आदिवासीयों को हिन्दू बता कर उनकी संस्कृति उनकी पहचान को ख़त्म कर रही है और आरएसएस बीजेपी जैसे ब्राह्मणवादी फासीवादी हिन्दूवादी संगठन आक्रामक रूप से उनको शारीरिक और मानसिक रूप से ख़त्म करने की प्रक्रिया में है. जिसे हम जंगल, नदी, पहाड़ों के रखवाले के तौर पर जानते हैं क्या वो थे में बदल जायेंगे?

खौफ और आशंकाओं में जी रहे कश्मीर के लोग, नाबालिगों और महिलाओं पर भी...

श्रीनगर के एक लल्ला डेड महिला अस्पताल में कई युवा महिला डॉक्टरों ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से उन बाधाओं पर अपनी पूरी निराशा व्यक्त की वहां कई ऐसे मामले हैं महिलाएं प्रसव के लिए समय पर नहीं आ सकती हैं। बहुत कम एम्बुलेंस हैं; जो एम्बुलेंस चल रहा होता है उन्हें रास्ते में ही पिकेट पर रोक दिया जाता है। प्रसव के कई मामले ऐसे हैं अच्छे से इलाज नहीँ होने के कारण बच्चे विकृति के साथ जन्म जन्म ले रहे हैं. यह उनके माता-पिता को आजीवन कष्ट दिया जा रहा है। वर्तमान स्थिति में तनाव और खौफ (भय) के कारण कई महिलाएं समय से पहले बच्चों को जन्म दे रही हैं। एक युवा महिला चिकित्सक ने दुख के साथ हमें बताया ऐसा लगता है कि सरकार हमारा गला घोंट रही है.

डीयू (DU) प्रशासन का महिला विरोधी और अमानवीय व्यवहार

एक महिला जो कि बीमार है, जिस पर वह पीरियड में भी है क्या उसकी मूलभूत सुविधाओं को ध्यान नहीं रखना चाहिए? क्या उस अकेली लड़की से इस व्यवस्था को इतना डर था कि उसको बाहर ही रखा गया। जबकि उसकी स्थिति खराब थी? यदि कोई आ जा नहीं सकता तो इनके जानने वाले लोग हम तक कैसे पहुँच गए। यदि यहाँ से यानी इस फ्लोर से बाहर जाना ही आंदोलन को खत्म करना माना जा रहा है तो रात में मीडियाकर्मियों के आने पर हमपर नीचे आने का दवाब क्यों बनाया गया। वह लड़की रात 11 बजे यहां से अकेले गई, यदि उसको कुछ हो जाता तो उसका जिम्मेदार कौन होता।

बिहार:महिला कांस्टेबल की हत्या: संदेहास्पद पुलिस, बेखबर सरकार, बेशर्म मीडिया

स्थानीय अखबारों के अनुसार पुलिस अपनी इंट्री के साथ ही संदिग्ध भूमिका में दिख रही है. दैनिक हिन्दुस्तान ने 5 जून को लिखा, ‘सीवान पुलिस स्नेहा के शव के साथ लगातार साजिश रच रही है। सोमवार की देर रात को सीवान पुलिस ने स्नेहा के शव को नौवागढ़ी स्थित उसके घर पहुंचाया। इसके बाद सीवान पुलिस के द्वारा रात में ही शव को जलाने का दबाव बनाया जा रहा था। लेकिन परिजनों ने कहा कि अधिक रात होने के कारण शव मंगलवार को जलाया जाएगा।

बिहार शेल्टर होम: जारी है लड़कियों का यौन-शोषण, पूर्णिया से नया मामला, लड़कियों को...

बिहार के शेल्टर होम में लड़कियों का यौन-शोषण बदस्तूर जारी है. ताजा मामला बिहार के पूर्णिया शेलटर होम से सामने आया है....

एम.जे. अकबर के मानहानि मुकदमे में नया मोड़: दिल्ली बार काउंसिल दिल्ली ने वकालतनामे...

स्त्रीकाल डेस्क  पूर्व केन्द्रीय मंत्री एम जे अकबर द्वारा दिल्ली के पटियाला हाई कोर्ट में दायर मानहानि के मुकदमे में खुद उनके लिए मुश्किलें बढ़...

कुछ यूं आयी धारा 497:ऐतिहासिक संदर्भों में ऐडल्ट्री

लाल बाबू ललित  जब हम ऐडल्ट्री शब्द की बात करते हैं तो सामान्य अर्थों में इसका मतलब होता है दो विपरीतलिंगी व्यक्तियों के बीच अमान्य...

केंद्र सरकार के न चाहने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने खत्म की व्यभिचार की...

स्त्रीकाल डेस्क  केंद्र सरकार के न चाहने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को भारतीय आचार दंड संहिता (आईपीसी)...

भीमा-कोरेगांव हिंसा पर एनडीए के डिप्टी मेयर की फैक्ट फायन्डिंग रिपोर्ट से उड़ सकती...

एक ओर पुणे, महाराष्ट्र की पुलिस सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, वकीलों को भीमा-कोरेगाँव में 1 जनवरी को हुई हिंसा का दोषी मानते हुए गिरफ्तार कर...

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