वर्तमान के दो अंतहीन युद्ध
क्या एक मिथ (फातिमा शेख) के बरक्स सच कहना साम्प्रदायिकता है ?
डॉ पूरन सिंह की पाँच लघु कथाएँ
रॉंग नंबर
सामाजिक न्याय की विरासत को बचाओ यारो
पश्चिम बनाम पूरब, यूरोप बनाम भारत, अंग्रेज़ी बनाम हिंदी, राजनीति बनाम संस्कृति, वर्ग बनाम अस्मिता – नए विमर्शों का समायोजन
हां मुझे फर्क पड़ता है…
एको एको जिंदगी, खुल के जिवांगें
अमृता प्रीतम की पिंजर: पुरुष पात्र रशीद के अनैतिक से नैतिक बनने के प्रयास की यात्रा
सिक्स पैक सीता
नारी अस्मिता के वृत की त्रिज्याएं , चुनौतियां एवं संभावनाएं
मेरे भीतर की स्त्री
प्रधानमंत्री का ‘अधूरा सच’ व संवैधानिक इतिहास, संवैधानिकता और भारतीय संविधान