‘पाक’ की ‘सफाई’ पर प्रार्थना पत्र
‘फेंकने दो उन्हें गोबर’: फुले दम्पति की संघर्ष गाथा
मेरा प्रथम पुरुष मित्र
सत्यजीत राय के वाजिद अली शाह
परिवारो में असमानता
टूट रही हैं वर्जनाएं: अनेक रिश्तों में होना आखिरी टैबू
संभोग के लिए हिंसक शब्दावली: पितृसत्तात्मक शक्ति संरचना में असामान्य शब्दों का सामान्यीकरण
हां मुझे फर्क पड़ता है…
एको एको जिंदगी, खुल के जिवांगें
महाश्वेता देवी की जंग का फ़ैसला , 25 साल बाद
अमृता प्रीतम की पिंजर: पुरुष पात्र रशीद के अनैतिक से नैतिक बनने के प्रयास की यात्रा
सिक्स पैक सीता
अलविदा “रोज दीदी” (डॉ. रोज केरकेट्टा )