आचार्य श्रीराम शर्मा और स्त्री शिक्षा
आचार्यश्री का मानना था कि लड़कियों को केवल किताबी शिक्षा देने भर से काम नहीं चलेगा। बल्कि लड़कियों को स्वालम्बन की शिक्षा देनी होगी ताकि आधी आबादी अपने पैरों पर खड़ी हो सके। उनका सोचना था कि- ‘‘लड़कियों की शिक्षा के सम्बन्ध में कुछ नये सिरे से विचार करना पड़ेगा क्योंकि बच्चों की, घर गृहस्थी की जिम्मेदारी सँभालते हुए घर छोड़कर अन्यत्र कठिनाई में ही जा सकती हैं। उन्हें ऐसे ही उद्योग सीखने चाहिए, जिन्हें घर रहते हुए सहायक धन्धे के रूप में आसानी से सम्पन्न किया जा सके’’
वैवाहिक बलात्कार और हिंसा: एक अध्ययन
राजलक्ष्मी एक पति अपनी पत्नी का बलात्कार कैसे कर सकता है? वैवाहिक बलात्कार की जब भी बात होती है तो यह सवाल...
सत्ता में भारतीय महिलाओं की उपस्थिति: सामर्थ्य, सीमाएँ एवं संभावनाएँ
अन्तरराष्ट्रीय मंचो पर महिला प्रश्न पर चली आ रही बहस और आन्दोलन का अपना एक लम्बा इतिहास रहा है। पूरे विश्व में विधायिकाओं में सिर्फ 10.5 प्रतिशत महिलाएँ हैं और मंत्री पद पर सिर्फ 6 प्रतिशत महिलाएँ है। हमारे देश की स्थिति हमारे पड़ोसी देशों से भी बदतर है। हमारे देश में भी महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण का प्रश्न अचानक ही उत्पन्न नहीं हुआ। 1947 में महिलाओं की स्थिति के संबंध में तैयार हुई रिपोर्ट में एक पूरा अध्याय ही महिलाओं की राजनीतिक स्थिति के बारे में था और इसमें विशेष रूप से इस बात का उल्लेख किया गया था कि महिलाओं की खराब स्थिति के लिए उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति के साथ ही उनकी राजनीतिक स्थिति भी जिम्मेदार है और इससे उबरने के लिए विधायक निकायों में आरक्षण के बारे में कहा गया था.
हिंदू कोड बिल और डॉ. अंबेडकर
डॉ. अंबेडकर राजनीति के आकाशगंगा के ऐसे देदीप्यमान नक्षत्र हैं जिनकी छवि कालांतर में भी धूमिल नहीं हो...
‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ उपन्यास में प्रकृति चित्रण
कस्तूरी चक्रवर्ती
प्रकृति व्यापक अर्थ में, प्राकृतिक, भौतिक या पदार्थिक जगत या ब्रह्माण्ड हैं। प्रकृति का मूल अर्थ ब्रह्माण्ड है। इस ब्रह्माण्ड के एक छोटे...
स्त्री की यौन मुक्ति की लड़ाई, जो प्रो. कर्वे और डा....
संविधान दिवस विशेष
लेखक: राजीव सुमन
स्त्री के लिए यौन-मुक्ति की यह लड़ाई 1934 में प्रोफेसर कर्वे के पक्ष में डा. अम्बेडकर ने लड़ी थी. हालांकि...
क्रूर और हिंसक यथार्थ में प्रेम और करुणा को बचाये रखने की कोशिश...
मीना बुद्धिराजाकविता अपनी संरचना और प्रकृति में तमाम भेद-भावों से परे और लिंग,वर्ण,समुदाय, जाति- वर्ग की अवधारणाओं से मुक्त और आज़ाद रहती है ।...
भिखारी ठाकुर की तुलना शेक्सपियर से करना भिखारी ठाकुर का अपमान है
आँचल
अंग्रेजी साहित्य की शोधार्थी आंचल भिखारी ठाकुर की तुलना शेक्सपियर से किये जाने को भिखारी ठाकुर का अपमान बता रही हैं. इस टिप्पणी के अनुसार...
‘यौन हिंसा के सन्दर्भ में लज्जित करने की रणनीति’ (यशपाल के झूठा-सच में)
पल्लवी
‘भीड़ के बीचों बीच नीलाम करने वाला एक जवान लड़की को चुटिया से खींचकर खड़ा किये था. लड़की के शरीर पर कोई कपड़ा ना...
हिंदी साहित्य में आदिवासी महिलाओं का योगदान
गंगा सहाय मीणा
हिंदी साहित्य में आदिवासी महिलाओं के योगदान का मूल्यांकन किया जाना दिलचस्प है क्योंकि आदिवासी लेखन में स्त्री का स्वर प्राथमिक स्वर...