कानूनी भेदभाव: बेड़ियाँ तोड़ती स्त्री (सी.बी.मुथम्मा)
उल्लेखनीय है कि अदालत में बहस के दौरान महाधिवक्ता सोली सोराबजी ने सरकार की तरफ से दलील दी थी कि महिलाओं द्वारा विवाह करने की स्थिति में, गोपनीय और महत्वपूर्ण सरकारी सूचनाओं और दस्तावेजों के लीक होने का खतरा या संभावना बढ़ सकती है। इस पर न्यायमूर्ति अय्यर ने पूछा था "क्या पुरुषों द्वारा शादी करने से यह खतरा या संभावना शून्य है?"
हम क्रूर और कामातुर पूर्वजों की संतानें हैं:क्रूरता की विरासत वाले देश में विधवाओं...
किन्तु, एक बार मैंने भी यह बात एक हिंदू के मुंह से सुनी थी। उसने खुलकर कहा था-‘हम अपनी पत्नियों को अक्सर इसलिए, दुःखी रखते हैं, क्योंकि हमें यह डर रहता है कि कहीं वे हमें जहर न दे दें। इसलिए हमारे ज्ञानी पुरखों ने विधवाओं को भयानक रूप से दंडनीय बनाया था, ताकि कोई भी स्त्री जहर देने का साहस न कर सके।’
महात्मा फुले के अंतिम दिनों की दुर्दशा का जिम्मेवार कौन?
आखिर में उन्होंने जोतीराव-सावित्री का घर सौ रूपए में बेच डाला | इसके बाद ये दोनों खड़कमाल आली के फुटपाथ पर रहने लगे | आगे चलकर बेटी का विवाह एक विधुर के साथ हुआ लेकिन बहु को मात्र भीख मांगकर अपना गुजर बसर करना पड़ा | १९३३ में जब उसकी मृत्यु फुटपाथ पर हुई तब एक लावारिस के रूप में पुणे नगरपालिका ने उनका अंतिम संस्कार किया | जिस काल में यह ह्रदयविदारक घटनाएँ फुले परिवार के साथ घटित हो रही थी उस समय में सत्यशोधक आन्दोलन जेधे और जवलकर के कब्ज़े में था |
संसद के वे दिन: जब मैं झांसी से चुनकर आयी
एस्टीमेट कमेटी और पब्लिक अकाउन्ट कमिटी, यह दो महत्वपूर्ण सांसदीय समितियां थीं जो अध्यक्ष सदस्यों के सरकारी व्ययों पर देखरेख करने का अधिकार देती थीं। उन दिनों में कोई भी व्यक्ति गलत सूचना देने का ख्वाब भी नहीं देख पाता था। समिति के दौरे बहुत ही शैक्षणिक होते थे। हम राजस्थान के दौरे पर गए थे। हम ट्रेन में ही रहे जो हमें जगह-जगह ले जाती थी हमारा खाने-सोने की व्यवस्था सभी ट्रेन में ही थी। यह यात्रा काफी मजेदार रही।
पहली महिला कुली, दलित महिला आंदोलन नेत्री जाईबाई चौधरी
जाई बाई चौधरी के द्वारा चलाए गए शिक्षा अभियान और उसके प्रति उनकी अप्रतिम अद्भुत समर्पण भावना का पता प्रसिदध दलित साहित्यकार कौशल्या बैसन्त्री की विश्वप्रसिद्ध आत्मकथा दोहरा अभिशाप के कई पन्नों में लिखा हुआ मिलता है। कौशल्या बैसन्त्री अपनी आत्मकथा में एक जगह लिखती है - जाई बाई चौधरी नाम की अछूत महिला ने नई बस्ती नामक जगह पर लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला था।
क्या आप छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद मिनीमाता को जानते हैं?
ज्योति प्रसाद
कुछ ही हफ़्ते बाक़ी हैं इस देश के लोकतंत्र के चुनावों में. मीडिया से लेकर देश...
वह भविष्य का नेता था लेकिन राजनीति ने उसे तुष्टिकरण में फंसा दिया (!)
लाल बाबू ललित
परिस्थितिजन्य मजबूरियों के कारण राजनीति में पदार्पण को विवश हुआ वह शख्स अपनी मस्ती में अपनी बीवी, अपने बच्चों और अपने पेशे...
‘राष्ट्रवादी’ इतिहासकार काशी प्रसाद जायसवाल: एक स्त्रीवादी अवलोकन
रतन लाल
एसोसिएट प्रोफेसर हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, 'रोहित के बहाने' सहित 5 किताबें प्रकाशित.संपर्क : 9818426159
राष्ट्रवादी आंदोलन और राष्ट्रवादी इतिहास लेखन के दौर...
राष्ट्रीय आंदोलन में महिलायें और गांधीजी की भूमिका पर सवाल
कुसुम त्रिपाठी
स्त्रीवादी आलोचक. एक दर्जन से अधिक किताबें
प्रकाशित हैं , जिनमें ' औरत इतिहास रचा है तुमने',' स्त्री संघर्ष के सौ
वर्ष ' आदि चर्चित...
उसने पद्मावतियों को सती/जौहर होते देखा है ..
विलियम डैलरिम्पल/अनिता आनंद
सती/ जौहर के फिल्मांकन से एक पक्ष अपना अर्थ-व्यापार कर रहा है तो दूसरा पक्ष उससे अपने जाति गौरव को जोड़कर राजनीति-व्यापार....