अतीत और वर्तमान को समझने की दिशा में एक प्रयास : रोमिला थापर के...
" 1961 में ‘अशोका एंड द डिक्लाइन ऑफ द मौर्यास’ (अशोक और मौर्यों का पतन) के प्रकाशन के साथ ही, रोमिला थापर प्राचीन भारत...
राष्ट्रीय आंदोलन में महिलायें और गांधीजी की भूमिका पर सवाल
कुसुम त्रिपाठी
स्त्रीवादी आलोचक. एक दर्जन से अधिक किताबें
प्रकाशित हैं , जिनमें ' औरत इतिहास रचा है तुमने',' स्त्री संघर्ष के सौ
वर्ष ' आदि चर्चित...
इतिहास से अदृश्य स्त्रियाँ
कुसुम त्रिपाठी
स्त्रीवादी आलोचक. एक दर्जन से अधिक किताबेंप्रकाशित हैं , जिनमें ' औरत इतिहास रचा है तुमने',' स्त्री संघर्ष के सौवर्ष ' आदि चर्चित...
डा. अम्बेडकर की पहली जीवनी का इतिहास और उसके अंश
संदीप मधुकर सपकाले
डा. अम्बेडकर की प्रमुख जीवनियों में चांगदेव भवानराव खैरमोड़े द्वारा लिखित जीवनी (मराठी, प्रथम खंड प्रकाशन 14 अप्रैल 1952), धनंजय कीर द्वारा लिखी...
उसने पद्मावतियों को सती/जौहर होते देखा है ..
विलियम डैलरिम्पल/अनिता आनंद
सती/ जौहर के फिल्मांकन से एक पक्ष अपना अर्थ-व्यापार कर रहा है तो दूसरा पक्ष उससे अपने जाति गौरव को जोड़कर राजनीति-व्यापार....
क्या आप जानते हैं गांधी की पहली जीवनी लेखिका कौन थीं, कब और किस...
संदीप मधुकर सपकाले
महात्मा गांधी की किसी भी भाषा में पहली जीवनी मराठी में 1918 में लिखी गयी थी. अवंतिकाबाई गोखले द्वारा लिखी गयी इस...
इतिहास के आईने में महिला आंदोलन
निवेदिता
मूलतः पत्रकार निवेदिता सामाजिक सांस्कृतिक आंदोलनों में भी सक्रिय रहती हैं. एक कविता संग्रह ‘ जख्म जितने थे' प्रकाशित . सम्पर्क : niveditashakeel@gamail.com
नारीवादी...
वेद का काल निर्धारण , एक नए परिप्रेक्ष्य में : पहली क़िस्त
डा. रति सक्सेना
(वेदों के काल निर्धारण प्रसंग से रति सक्सेना का यह विद्वतापूर्ण लेख वेदकालीन भारत को समझने में मदद करता है - स्त्रीकाल...
वह भविष्य का नेता था लेकिन राजनीति ने उसे तुष्टिकरण में फंसा दिया (!)
लाल बाबू ललित
परिस्थितिजन्य मजबूरियों के कारण राजनीति में पदार्पण को विवश हुआ वह शख्स अपनी मस्ती में अपनी बीवी, अपने बच्चों और अपने पेशे...
पीड़ाजन्य अनुभव और डा आंबेडकर का स्त्रीवाद
डा. भीम राम आंबेडकर के स्त्रीवादी सरोकारों की ओर, क़िस्त तीन
शर्मिला रेगे की किताब 'अगेंस्ट द मैडनेस ऑफ़ मनु : बी आर आम्बेडकर्स राइटिंग...