लेखक संगठनों को समावेशी बनाने के सुझाव के साथ आगे आये लेखक: प्रलेस से...

पिछले कुछ दिनों से लेखिकाएं और लेखक प्रगतिशील लेखक संगठन की कार्यप्रणाली और उसमें ब्राह्मणवादी पितृसत्तात्मक वर्चस्व पर सवाल उठ रहे...

बहस में डाक्यूमेंट्री

सुधा अरोड़ा/  अरविन्द जैन ( ' इंडियाज डॉटर' डाक्यूमेंट्री के विवाद के दौरान स्त्रीकाल का अपडेट रुका था . उन्हीं दिनों लेखिका सुधा अरोड़ा और स्त्रीवादी...

परिवर्तनगामी चेतनाकी संवाहक प्रस्तुति… ‘सपने हर किसी को नहीं आते’

हनीफ मदार उदारीकरण के प्रभाव में वर्तमान दौर से उपजी सामाजिक उथल-पुथल जिसके कारण विभिन्न सामाजिक तबकों की विविधता भरी जिंदगियों में तरह - तरह...

बनारस घराने की अंतिम ठसक का विदा-लेख

अभिषेक श्रीवास्तंव  बुधवार की शाम बनारस बेचैन था और कलकत्ता मौन। काल के निरंतर प्रवाह में सदियों से ठिठके हुए ये दो शहर जो हमेशा...

फिल्म तो हिट होती रहेंगी, माहवारी स्वच्छता को हिट करें

क्वीलिन काकोती आज मैं अपना सैनिटरी पैड खरीदने एक फार्मेसी गयी. दुकानदार के अलावा तीन अन्य पुरुष और एक महिला वहां खड़े थे। मैंने पैड...

रतन थियाम का रंगकर्म : कला की विभिन्न विधाओं की समेकित अभिव्यक्तियों के समुच्चय...

मंजरी श्रीवास्तव इस समीक्षात्मक आलेख में  युवा नाट्य समीक्षक मंजरी श्रीवास्तव ने ‘मैकबेथ’ के बहाने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय सोसाइटी के अध्यक्ष रतन थियाम  की पूरी...

ब्राह्मणवाद ने की बाजीराव-मस्तानी की हत्या

चंद्र सेन संजय लीला भंसाली की एक और दुखान्त प्रेम-कहानी- बाजीराव-मस्तानी। हर फिल्म निर्देशक की अपनी एक खासियत होती है। भंसाली  को भव्य-सेट और प्रेम...

सांस्कृतिक ढकोसलों पर कुठाराघात करती फिल्म : ‘ क्वीन ‘

डॉ. महेश गुप्ता डॉ. महेश गुप्ता डा महेश गुप्ता कवि और कलाकार हैं . रंगमंच से भी इनका जुड़ाव रहा है , हिन्दी और गुजराती में...

उस आख़िरी दृश्य में अनारकली !

डिस्क्लेमर: इस फिल्म के साथ हालिया प्रदर्शित फिल्म पिंक और पार्च्ड की एकाधिक बार तुलना इसलिए कि ये सारी फ़िल्में स्त्रीवादी फ्रेम की दावेदारी...

रंग रेखाओं में ढली कविता

रेखा सेठी  ( सुकृता पॉल कुमार  की पेंटिंग और  कविताओं से परिचय करा रही हैं आलोचक रेखा सेठी. ) सुकृता पॉल कुमार अंग्रेज़ी में कविता लिखने...

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