कांशीराम से मायावती तक: दलित राजनीति और दलित स्त्री-प्रश्न
प्रियंका सोनकर
प्रियंका सोनकर असिस्टेन्ट प्रोफेसर
दौलत राम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय. priyankasonkar@yahoo.co.in
दलित राजनीति में महिलाओं की संख्या कम है । दलित राजनीति में कुल मिलाकर...
पहली महिला कुली, दलित महिला आंदोलन नेत्री जाईबाई चौधरी
जाई बाई चौधरी के द्वारा चलाए गए शिक्षा अभियान और उसके प्रति उनकी अप्रतिम अद्भुत समर्पण भावना का पता प्रसिदध दलित साहित्यकार कौशल्या बैसन्त्री की विश्वप्रसिद्ध आत्मकथा दोहरा अभिशाप के कई पन्नों में लिखा हुआ मिलता है। कौशल्या बैसन्त्री अपनी आत्मकथा में एक जगह लिखती है - जाई बाई चौधरी नाम की अछूत महिला ने नई बस्ती नामक जगह पर लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला था।
रजनी तिलक का स्त्री चिंतन : जाति, जेंडर, पितृसत्ता और यौनिकता के प्रश्न
स्त्री के पास अत्याचारों के अनुभवों का एक भण्डार होता है जिसकी चाभी शायद ही कभी किसी के पुरुष के हाथ लगती होगी. स्त्री के प्रति बहुत सदाशयी पुरुष भी अनुकूल समय देखकर पाला बदल देता है. रजनी ऐसे सदाशयी पुरुषों से भी सवाल करती हैं. ये सवाल करने की ताकत उन्हें जीवन में मिले अनुभवों और उनकी आंच में तपकर बाहर निकलने से आई है. स्त्री की नज़र और उसका मन हर भाव को बहुत सटीक तौलता है.
सामाजिक क्रांति के लिए आवश्यक सावित्रीबाई फुले के महत्वपूर्ण दस्तावेज
विद्याभूषण रावत
सावित्री बाई जोतिबा फुले भारतीय इतिहास में सर्वोत्तम युगल के तौर पर कहे जा सकते है. भारतीय समाज में यदि फुले दम्पति के...
दलित लेखिका की दावेदारी: अपनी जमीं अपना आसमाँ
आत्मकथा में दूसरा महत्वपूर्ण चरित्र है ‘भाई जी’ यानि लेखिका रजनी तिलक के पिता। लेखिका के पिता जुझारू, अत्यंत मेहनती, परिस्थितियों के शिकार, अपनी दिमागी रुप से बीमार पत्नी के प्रति समर्पित पति और एक जिम्मेदार पिता के रूप में सामने आते है।
मिथक और स्त्री आंदोलन का अगला चरण
संजीव चंदन
‘रिडल्स इन हिन्दुइज्म’ में डा. बाबा साहेब अंबेडकर इतिहास लिखने से ज्यादा इतिहास की व्याख्या को महत्वपूर्ण मानते हैं. भारतीय इतिहास के बहुत...
‘डेंजर चमार’ की गायिका गिन्नी माही का प्रतिरोधी स्वर : हमारी जान इतनी सस्ती...
कौशल कुमार
'द डेंजर चमार' अल्बम के माध्यम से गिन्नी माही के गीतों में प्रतिरोध की अभिव्यक्ति का अध्ययन:
प्रतिरोध के रूप में प्रदर्शन- असंतोष से...
वीरांगना होलिका मूल निवासी थी , क्यों मनायें हम उनकी ह्त्या का जश्न
( भारत में होली जैसे त्योहारों का जन्म कृषि समाज के आम जन के उल्लास के रूप में हुआ है . ऋतुओं के चक्र...
नागपुर में अखिल भारतीय महिला क्रांति परिषद (1942) का अमृत महोत्सव
डा. बाबा साहेब अम्बेडकर की उपस्थिति में नागपुर में 20 जुलाई 1942 को हुई अखिल भारतीय महिला परिषद का के 75वें वर्ष में कई...
बहुजन चौपाल में हुई चर्चा: भारत का भगवाकरण और सामाजिक न्याय की चुनौतियां
डिम्पल और अरूण कुमार नारायण
बहुजन चौपाल हाशिये के समाज का वह अम्ब्रेला है जो बहुजन की समस्याओं को उनके नजरिये से देखने व समझने का...