एशियाड में स्त्रीकाल: मर्दवादी रूढ़ियों को हराकर महिलाओं ने फहराये परचम

सुशील मानव

मर्दवादी रुढ़ियों व आर्थिक-सामाजिक बाधाओं को पारकर भारतीय महिला खिलाड़ियों ने एशियाड के फलक पर दर्ज़ किया अपना नाम







इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में संपन्न हुए 18वें एशियाई खेलों में भारत ने अपना दमखम दिखाते हुए एशियाई खेलों के इतिहास में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कुल 69 पदक जीते। भारत के इस सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में महिला खिलाड़ियों का योगदान अभूतपूर्व रहा। या यूँ कहें कि महिला खिलाड़ियों के सहयोग बिना भारत का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ नहीं बनता। महिला खिलाड़ियों ने एकल प्रतिस्पर्धा, महिला टीम स्पर्धा और मिश्रित प्रतिस्पर्धाओं में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर देश की झोली में कई पदक डाले। यहाँ गौरतलब बात ये है कि कुछ खिलाड़ियों को छोड़ दे तो अधिकांश महिला खिलाड़ी आर्थिक और सामाजिक रूप से बेहद पिछड़े वर्ग से आती हैं। खेलों में सरकारी सुविधा के नाम पर इन्हें नाममात्र का प्रोत्साहन मिला और इन्होंने फ़लक़ पर अपना नाम दर्ज कर दिया। कई महिला खिलाड़ियों के लिए ये सफर कतई आसान नहीं रहा है। महिलाओं ने घर परिवार समाज, संस्थागत, कानूनी और शारीरिक बाधाओं को पारकर ये पदक जीते हैं। महिला खिलाड़ियों ने अपने तमगों के दम पर क्रिकेट जैसे विशुद्ध मुनाफाखोर बाज़ारवादी खेल (पता नहीं खेल कहना अब कितना उचित है इसे) के वर्चस्व को चुनौती दी है। हिमा दास, दुती चंद, विनीता फोगाट, स्वपना बर्मन, राही सरनोबत ने एथलेटिक्स, हैप्थाल्टन,कुश्ती, निशानेबाजी, कबड़्डी, स्क्वॉश जैसे खेलों को गरिमा प्रदान की और इन्हें बाकायदा क्रिकेट के बरअक्श खड़ा कर दिया।

तमाम महिला खिलाड़ियों में एक भी अल्पसंख्यक महिला का नाम न होना दुखी करता है। किसी महिला खिलाड़ी द्वारा पदक जीतने के पहले सामंती पुरुषसत्ता के खिलाफ संघर्ष करना पड़ता है जो दर्जनों रूपों में महिलाओं के खिलाड़ी बनने की प्रक्रिया में बाधा बना खड़ा होता है।कई बार महिलाओं के खिलाड़ी बन जाने और अपनी सफलता के चरम में पहुंचने के बाद भी ये सामंती पुरुषवादी संस्थाएं उन्हें किसी भी तरह की इज्ज़त बख्शने के मूड में नहीं होती हैं। गर याद हो तो एक महीने पहले जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में 400 मीटर दौड़ प्रतिस्पर्धा में हिमा दास के स्वर्ण पदक जीतने के बाद उनकी जाति को निशाना बनाया गया था। मर्दवादी मीडिया संस्थान पूरी निर्ल्ज्जता से एक बार फिर पदक विजेता महिला खिलाड़ियों को निशाने बनाने में लगे हुए थे। कितना शर्मनाक है कि स्क्वॉश में रजत पदक विजेता टीम की सदस्य दीपिका पल्लीकल की निजी पहचान को कमतर आँकते हुए कई अखबारों और चैनलों ने उन्हें क्रिकेटर दिनेश कार्तिक की पत्नी के रूप में पेश किया है। ये मीडिया संस्थानों की घोर सामंती और मर्दवादी मानसिकता का नमूना भर है। वहीं एक दूसरे मामले में फ्रीस्टाइल कुश्ती में स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट के गोल्डेन जीत से ज्यादा उनके साथी खिलाड़ी नीरज के साथ रिश्तों को झूठी और भ्रामक खबरों को गढ़कर और फैलाकर मीडिया इस महिला खिलाड़ी के निजी जिंदगी में तूफान उठाने की भरपूर कोशिश की। ‘नीरज और विनेश के बीच बढ़ रही नजदीकियां’ हेडिंग से कई मीडिया संस्थानों ने खबरें छापी और चलाई। जिससे क्षुब्ध होकर इस महिला खिलाड़ी द्वारा एक अखबार की कटिंग को शेयर करते हुए ट्वीट के जरिए खंडन तक करना पड़ा। इस खबर का खंडन करते हुए विनेश ने लिखा ‘मेरे और नीरज सहित बाकी सभी भारतीय एथलीट एक दूसरे को सपोर्ट करते हैं ताकि देश को गर्व महसूस करा सकें लेकिन दुख तब होता है जब देश का सम्मान और गौरव बढ़ाने वाले एथलीट की गलत तस्वीर पेश की जाती है’
खैर इन मर्दावादी सामंती संस्थाओं को दरकिनार कर आइए एक नज़र डालते हैं जकार्ता में संपन्न हुए 18वें एशियाड खेलों में भारतीय महिला खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर.

एकल प्रदर्शन
विनेश फोगाट एशियाई खेलों में कुश्ती में स्वर्ण जीतनेवाली पहली महिला पहलवान बनी। पैर में चोट लगने के बावजूद विनेश ने 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल स्पर्धा के फाइनल में जापान की इरि युकी को मात देकर स्वर्ण पदक जीता।

महिला हैप्थाल्टन स्पर्धा में स्वप्ना बर्मन ने गोल्ड मेडल जीता। स्वप्ना जलपाईगुड़ी के बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके दोनो पैर में छः अँगुलियाँ हैं जिससे उन्हें जूते तक ठीक से नहीं आते हैं।

राही सरनोबत एशियाई खेलों के निशानेबाजी प्रतिस्पर्धा में गोल्ड जीतनेवाली पहली महिला निशानेबाज बनीं।

दुती चंद ने 200 मीटर में सिल्वर मेडल जीता 23.20 सेंकड में। जबकि 100 मीटर में 11.32 सेकंड का समय निकालकर रजत पदक जीता। बता दें कि दुती चंद पर पिछले एशियाई खेलों की टींमें चुने जाने के बाद पुरुषत्व के लक्षण का आरोप लगाकर टीम से निकाल दिया गया था। इंटरनेशनल एथलेटिक्स फेडरेशन की हाइपरएंड्रोजेनिज्म पॉलिसी की शिकार बनकर प्रतिबंधित हुई दुती ने यहां तक पहुँचने से पहले लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है। इसमें उनकी मददगार रही पायुषनी मिश्रा। 

हिमा दास ने 400 मीटर की प्रतिस्पर्धा में रजत पदक हासिल किया।
पीवी सिंधू को शटल में रजत पदक जीता।
शटलिंग में ही साइना नेहवाल को कांस्य पदक मिला।
कुराश के 52 किलोग्राम प्रतिस्पर्धा पिंकी बलहारा ने सिल्वर मेडल जीता। बता दें कि कुछ रोज पहले ही पिंकी के परिवार में तीन लोगो की मौत हो गई थी। उसी दौरान सीनियर नेशनल, जूनियर नेशनल और एशियाड खेलों का ट्रायल देना था। महीने भर में ही पिता दादा और चचेरे भाई को खोने  के बाद भी लोगो के ताने से बचने के लिए पिंकी छुपकर प्रैक्टिस किया करती थी।

कुराश में में मालाप्रभा यलप्पा जाधव ने कांस्य पदक जीता।
वूशु में रोशिबना देवी ने कांस्य पदक जीता 
डिस्कस थ्रो में सीमा पुनिया ने कांस्य पदक जीता।
चित्रा ने 1500 मीटर दौड़ में कांस्य जीता।
मुजफ्फरपुर की दिव्या काकरान ने कुश्ती में कांस्य पदक जीता। बता दें कि दिव्या के टखने में चोट लगी थी और दर्द में होने के बावजूद उन्होंने ये मुकाबला लड़ा और जीता।
अंकिता रैना ने महिला एकल टेनिस में कांस्य पदक हासिल किया।
हीना सिद्धू ने निशानेबाजी में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में ब्रांज जीता
दीपिका पल्लीकल ने जीता स्क्वॉश में कांस्य पदक
जोशना चिनप्पा ने भी स्क्वॉश में जीता कांस्य पदक
सेलिंग के ओपन लेसर4,7 इवेंट में हर्षिता तोमर ने ब्रांज मेडल जीता
केरल की वी. नीना ने लंबी कूद में रजत पदक हासिल किया। बता दें कि वी. नीना के पिता मजदूरी करते हैं।
महिलाओं की 3000 मीटर स्टेपल चेज में रायबरेली की सुधा सिंह ने रजत पदक जीता।  सुधा की उम्र 32 साल है। बेलारूस के कोच से विवाद होने के बाद कोई उन्हें कोचिंग देने को तैयार नहीं था। कइयों ने तो मान लिया था कि उम्रदराज सुधा खत्म हो चुकी हैं। लेकिन ललित भनोट के हस्तक्षेप के बाद रेणु कोहली और सुरेंद्र कुमार ने सुधा को कोचिंग दी। मुंबई रेलवे में कार्यरत सुधा वर्षों से परिवार से दूर हैं और यूपी सरकार से गुहार लगाती रही हैं कि उन्हें यूपी बुला लिया जाए।

टीम प्रतिस्पर्धा
4 गुणा 400 मीटर रिले में महिला टीम ने स्वर्ण पदक जीता। विजेता टीम का हिस्सा थी हिमा दास,एम आर पूवम्मा वी. वेल्लुआ कोरोध और सरिताबेन गायकवाड।
भारत ने महिला सेलिंग में सिल्वर मेडल जीता। भारत के लिए 49erFX इवेंट में वर्षा गौतम और स्वेता श्रेवेगर ने सिल्वर जिताया। बता दें कि श्वेता अदालती लड़ाई लड़कर एशियाड पहुँची थी। बता दें कि एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के बावजूद श्वेता का चयन एशियाड के लिए नहीं किया गया था। जबकि पूरा का पूरा सेलिंग फेडरेशन उनके खिलाफ खड़ा था।
रानी रामपाल की अगुवाई में महिला हॉकी में भारतीय टीम को सिल्वर मेडल मिला
पायल चौधरी की अगुवाई में भारतीय महिला टीम ने कबड्डी का रजत पदक हासिल किया
महिला तीरंदाजी में भारतीय महिला टीम ने सिल्वर मेडल जीता। ज्योति सुरेखा, मधुमिता और मुस्कान टीम में शामिल रहीं।
स्कवॉश में भारतीय महिला टीम ने रजत पदक जीता। टीम दीपिका पल्लीकल और जोशना चिनप्पा, सुनयना कुरुविला, शामिल है।

मिक्स प्रतिस्पर्धा
ब्रिज के मिक्स प्रतिस्पर्धा में महिलाओं ने पुरुषों के साथ मिलकर कांस्य पदक जीता। किरण नादर, हेमा देवड़ा, हिमानी खंडेलवाल शामिल थी।
मिक्स्ड रिले में भारत ने सिल्वर जीता 4 गुना 400 में हिमा दास, एमआर पूवम्मा, मुहम्मद अनस, अरोक्ये राजीव शामिल रहे।
मिक्सड टेबल टेनिस में मनिका बन्ना अंचत शरत की जोड़ी ने कांस्य मेडल जीता। 
निशानेबाजी में राइफल के मिक्स्ड टीम स्पर्ध में अपूर्वी चंदेला ने रवि कुमार के साथ मिलकर कांस्य पदक जीता

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