लड़की और चाँद

बॉडी शेमिंग पर संदीप तोमर की कविता “लड़की और चाँद “बॉडी शेमिंग जबकि किसी व्यक्ति को उसके शरीर के आकार और बनावट के बारे में अपमानजनक ढंग से मज़ाक बनाया जाता है| विशेषकर लड़कियों के सन्दर्भ में जबकि  उन पर अच्छा दिखने का दबावहमेशारहता है और खरा न उतरने पर उन्हें भावनात्मक आघात हो सकते हैं उन्हें मानसिक रूप से कमजोर बनाता है| भाई-बहन,दोस्त,सहेलियों के साथ-साथ, माता-पिता भी इस व्यवहार में शामिल हो सकते हैं ।   

अब भी शरीर से बेडौल हो गयी लड़कियां

पहनती हैं ढीले और हल्के रंग के वस्त्र

अब भी वे चलती हैं नज़रें नीची करके
उनके कंधे भी झुके होते हैं नज़रों से भी कहीं अधिक

अब भी कोई हमउम्र नहीं देखता उनके लिए सपने
उनके हिस्से नहीं आया है प्रेमी का सुख

अब भी वे नहीं हंस पाती हैं खिलखिलाकर
दब जाती हैं उनकी हंसी उनके वजन के बोझ तले

अब भी उनकी सखी-सहेलियां देती हैं ताने
नहीं करती शामिल उनको अपनी हँसी ठिठोली में

बहुत कुछ बदला है इन सालों में
नहीं बदली है स्थूलकाय लड़कियों के लिए दुनिया

मनुष्य जरूर पहुंचा है चाँद और मंगल पर
लेकिन नहीं बदली उसकी सोच शरीर को लेकर।

चित्र गूगल से साभार

सन्दीप तोमर

साहित्यकार

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