अस्सी प्रतिशत स्त्रियों की कथा
पीढ़ा घिसता है तो पीढ़ी बनती है
तनाव-क्षेत्र में महिलाओं को नज़रअंदाज करने से समाज का नुकसान
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता पर महिलाओं की आपत्तियां
इतिहास का अंधकूप बनाम बंद गलियों का रूह-चुह : गया में यौनकर्म और यौनकर्मी : पहली क़िस्त
औरत : आजाद होने का अर्थ !
उन्हें लड़ना ही होगा अपने हिस्से के आसमान के लिए
स्त्री के विरूद्ध स्त्री कठघरे में ( !)
पश्चिम उत्तर प्रदेश : स्त्री की नियति
हरियाणा की मनीपुरी बहुएं
बदलाव की बयार : जद्दोजहद अभी बाकी है
बेहाल गाँव, बेहाल बेटियां , गायब पौधे… धरहरा , जहाँ बेटी पैदा होने पर नहीं लग पाते हैं पेड़ : सुशासन का सच
भारतीय पुलिस-तंत्र में महिलाओं की स्थिति: ‘गुनाह-बेगुनाह’ उपन्यास के विशेष सन्दर्भ में- केएम प्रतिभा