मलाला की प्रतिभा को सबसे पहले बीबीसी के एक पत्रकार ने पहचाना और उनसे साप्ताहिक कॉलम लिखवाना शुरू किया, यह स्वात घाटी से बाहर की दुनिया से मलाला का पहला संपर्क था. पढ़ने के लिए क्लिक करें नीचे दिए गए लिंक पर :
जिसने दुनिया को रूबरू कराया मलाला सेदुनिया
मलाला की दास्तान दिखाती है कि उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान के जाने के बाद भी, एक 16 वर्षीय लड़की की ज़िन्दगी कितने खौफ, दर्द और कठिनाइयों से भरी है. पढ़ने के लिए क्लिक करें बी बी सी के लिंक पर:
मलाला युसूफ़जइ के खौफ और साहस की दास्तान
२०१२ में तालेबान ने मलाला को गोली मार दी थी . बी बी सी पर पूरी रपट पढ़ने के लिए क्लिक करे :
तालिबान से लोहा लेने वाले को गोली मारी
मलाला को नॉबेल सम्मान से सम्मानित किये जाने पर पूरी दुनिया उसे बधाई दे रही है लेकिन उसके अपने ही देश पाकिस्तानमें इस पर मिश्रित प्रतिक्रया है . पढ़ने के लिए क्लिक करें :
मलाला को नॉबेल: विरोध में उठी आवाज
यह बहादुर लडकी देश दुनिया में महिलाओं के खिलाफ कट्टरपंथी हमलों पर अपनी राय के साथ सामने आती है . उसने अफ़्रीकी देश नाइजीरिया में 200 से अधिक छात्राओं के अपहरण के मामले में दुनिया को कहा कि चुप नहीं रहना चाहिए. पढ़ने के लिए क्लिक करें :
छात्राओं के अपहरण पर चुप न बैठे दुनिया : मलाला
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