यह चित्र श्रृंखला रूटीन में शामिल हमारे क्रिया -कलापों से समझा रही है कि ‘ सहमति’ की क्या अहमियत होती है . यौन -संबंधों के लिए भी हाँ -और ना का आदर जरूरी है . ‘ सहमति-असहमति ‘ के प्रति यदि सचेत आदर हो तो न सिर्फ बलात्कार की पीडिताओं के खिलाफ सामाजिक सोच बदलेगी , बल्कि विवाह के भीतर बलात्कार को भी संवेदनशीलता के साथ समझा जा सकेगा. हम ज्यादा सभ्य आचरण के लिए प्रेरित होंगे. ‘ एवरी डे फेमिनिज्म’ से साभार
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