सौम्या दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी की शोधार्थी हैं.नाटक के एक समूह ‘अनुकृति’ से जुड़ी हैं. संपर्क : ई मेल-worldpeace241993@gmail.com
मेरे प्यारे नेल्सन,
धीरे-धीरे मेरे शरीर और मेरी आत्मा को खोखला करने वाले क्रोध की तुलना में मुझे शुष्क उदासी ही बेहतर लगने लगी है. एक अरसा हुआ तुमको गए फिर भी मेरी आँखें आज तक सूखी मछली की मानिंद ख़ुश्क हैं परन्तु दिल अभी भी भीतर से नम.
मैं यह जानकर उदास नहीं बल्कि हैरान हूँ कि तुम मुझसे बहुत दूर जा चुके हो. मुझे अभी भी यकीन नहीं होता कि तुम मुझसे दूर हो, बहुत दूर जबकि तुम मेरे बहुत पास हुआ करते थे. सब कुछ पीछे छोड़ने से पहले मैं तुमसे दो बातें कहना चाहती हूँ और यह वादा है कि इसके बाद कभी कुछ नहीं कहूँगी. पहला तो यह कि मेरे दिल में अभी भी तुम्हें फिर से किसी दिन देखने की उम्मीद और चाहत जिंदा है और सच कहूँ तो मेरी जिंदगी की ज़रूरत भी. लेकिन याद रखना कि मैं कभी भी तुमसे इससे ज्यादा कुछ नहीं कहूँगी- अपनी अना की वज़ह से नहीं क्योंकि तुम जानते हो कि हमारे रिश्ते में ‘अना’ जैसे शब्द का कोई वजूद ही नहीं है. रहा सवाल हमारी मुलाकात का, तो उसके मायने तभी है, जब उस मुलाकात में तुम्हारी मर्ज़ी भी शामिल हो. इसलिए मैं तब तक इंतज़ार करती रहूंगी जब तक तुम मिलने की इच्छा जाहिर न करो. मैं यह नहीं चाहूंगी कि तुम एक बार फिर मुझे चाहने लगो., मेरे साथ हमबिस्तर हो जाओ और न ही यह कि हम एक लम्बे समय तक साथ रहे. तुम जब और जितना ठीक समझो उतना वक़्त काफी है मेरे लिए. लेकिन मैं यह जानती हूँ कि तुम्हारे प्यार को पाने की तड़प हमेशा बरक़रार रहेगी मुझमें कहीं. तुमको फिर कभी न देख पाने का ख्याल भर नहीं लाना चाहती मैं अपने ज़हन में.
तुम्हारे प्यार को खो देना मेरे लिए बहुत पीड़ादायी है, लेकिन अब जो कुछ बचा है उसको नहीं खोउंगी. नेल्सन, तुमने मुझे जो भी दिया है वह बेहद बेशकीमती है मेरे लिए और तुम कभी भी मुझसे वह वापस नहीं ले पाओगे और फिर तुम्हारी संजीदगी और तुम्हारा साथ मेरे लिए इतने ख़ास थे कि आज भी जब मैं अपने भीतर झांकती हूँ तो वो गर्माहट और ख़ुशी महसूस कर सकती हूँ. मुझे उम्मीद है कि तुम्हारे साथ का अहसास मुझे कभी बंजर नहीं होने देगा. जानते हो, यह सब लिखते हुए मैं हैरान और शर्मिंदा हूँ खुद पर लेकिन केवल यही सच, सच है कि मैं आज भी तुमको उतना ही प्यार करती हूँ जितना की तुम्हारी मायूस बाँहों में टूट कर गिरने के वक़्त करती थी. इसका साफ़ सा अर्थ है मैं यदि मेरी सम्पूर्णता से भी चाहूँ और दिल में कितनी भी कड़वाहट भरलूँ तो भी तुम्हारे प्रति उमड़ते इस प्यार को कम नहीं कर सकती. लेकिन हाँ, मेरे इस प्यार से तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी. एक बात और नेल्सन, तुम मुझे ख़त लिखने के पाबंद नहीं हो, लिखना.. जब तुम लिखना चाहो और तुम्हारी यह चाहत जानकर मुझे बेइंतहा ख़ुशी मिलेगी.
खैर, सारे शब्द बेमानी लगते हैं। बस तुम करीब लगते हो, बहुत करीब…मुझे भी अपने इतने ही करीब आ जाने दो और अब जब तुम साथ नहीं हो तो पहले की तरह मुझे हमेशा के लिए मुझमें ही सिमट जाने दो।
तुम्हारी अपनी सिमोन